नीतीश के खास केसी त्यागी के बेटे हैं कैम्ब्रिज एनालिटिका के भारत प्रमुख, ट्रंप को बनवाया था राष्ट्रपति
नई दिल्ली। फेसबुक से यूजर्स का डाटा चुराकर उसका इस्तेमाल चुनाव अभियानों में करने की आरोपी कंपनी कैंब्रिज ऐनालिटिका की सेवाएं लेने को लेकर भारत की दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के एक-दूसरे पर आरोप के बाद राजनीति गर्माई हुई है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने कई आरोप एक-दूसरे पर जड़े हैं। भाजपा ने कहा हैं कि कांग्रेस ने इस कंपनी की सेवाएं लीं तो वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि जदयू नेता का बेटा ही भारत में इसको देखता है और राजनाथ सिंह इसकी सेवाएं ले चुके हैं। इस कंपनी ने ही अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम किया था।
केसी त्यागी के बेटे हैं भारत में कैंब्रिज ऐनालिटिका के प्रमुख
राजनीतिक पार्टियों को परामर्श देने वाली कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका पर करोड़ों फेसबुक यूजर के डाटा चोरी करने और इसका इस्तेमाल 2016 में हुए अमरीकी चुनावों में करने के आरोप हैं। भारत में कैंब्रिज ऐनालिटिका एससीएल इंडिया से जुड़ा है। यह लंदन के एससीएल ग्रुप और ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस (ओबीआई) प्राइवेट लिमिटेड का साझा उपक्रम है। भारत में अमरीश त्यागी इसके प्रमुख हैं। केसी त्यागी जदयू से राज्यसभा के सांसद हैं। जदयू केंद्र सरकार में सहयोगी दल है।
अमरीश त्यागी थे डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव विश्लेषक
40 साल के अमरीश त्यागी ने बतौर चुनाव विश्लेषक ट्रंप के चुनाव अभियान में अहम किरदार अदा किया था। उन्होंने अमेरिका में रहने वाले एशियाई वोटरों पर लगातार काम किया और ये सुनिश्चित किया कि ये वोट ट्रंप को मिले। इसके लिए अमरीश ने लगातार मैनेजमेंट किया। लंबे समय तक अमरीश ने ट्रंप के साथ काम किया है। अब कंपनी पर इसी चुनाव में चोरी के डाटा का इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है।
क्या करती है कैंब्रिज ऐनालिटिका?
एससीएल-ओबीआई का सबसे अहम काम राजनीतिक पार्टियों का सोशल मीडिया कैंपेन करना है। ये कंपनी डाटा विश्लेषण कर पॉलिटिकल कैंपेन मैनेजमेंट के तहत कंपनी सोशल मीडिया के लिए रणनीति तैयार करती है। कंपनी पार्टियों के लिए मार्केटिंग, ऑनलाइन दुनिया में इमेज बिल्डिंग और सोशल मीडिया में राजनीतिक पार्टियों को मजबूत करने का काम करती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एससीएल ग्रुप से सेवाएं लेती रही हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान में भी इस कंपनी के शामिल होने की बात कही जा रही है।
इसलिए हो रहा हंगामा?
इस पूरे मामले में पेंच ये भी है कि राजनीतिक पार्टियां अमूमन चुनाव में सोशल मीडिया पर किए गए खर्च का ब्यौरा सही से नहीं देती हैं। एससीएल इंडिया ने भारत में भी अमेरिका की तरह ही कोई अभियान चलाया है तो ये सूचना प्रौद्योगिकी अधिनिय कानून के तहत डाटा लीक के लिए अपराध की श्रेणी में आएगा। जिस तरह से अमेरिका में डाटा चुराकर चुनाव में उसके इस्तेमाल के आरोप कंपनी पर लग रहे हैं, उसे देखते हुए भारत में राजनीतिक पार्टियों में खलबली है।
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