कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- 'नामर्द' कहना मानहानि के बराबर, हो सकती है जेल
नागपुर। किसी भी शख्स को 'नामर्द' कहना अब परेशानी का सबब बन सकता है, यहां तक की जेल भी हो सकती है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि किसी भी व्यक्ति को नामर्द कहना मानहानि के बराबर है, ऐसा कहना दंडनीय अपराध है। अगर कोई किसी के लिए ऐसी बात करता है उसे जेल के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी को नामर्द कहना उसके पौरुष पर सवाल खड़े करता है और दूसरों के मन में उसके प्रति नकारात्मक भाव पैदा करता है।
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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनाया फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यह बात एक महिला की उस अर्जी को खारिज करते हुए कही जिसमें उसने अपने पति की ओर से किए गए आपराधिक केस को खारिज करने की मांग की थी। दरअसल महिला ने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया था, जिसके बाद महिला के पति ने उसके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। दंपत्ति को एक बच्ची भी है, जिसके जन्म के बाद ही उनके बीच रिश्ते खराब हुए। इस दौरान महिला अपने मायके गई जहां रहने के दौरान ही महिला ने कोर्ट में पति से तलाक की अर्जी डाल दी। इसी दौरान कोर्ट में तलाक का केस गया तो बच्ची की कस्टडी पिता को मिल गई।
पत्नी के आरोपों पर पति ने किया मानहानि का केस
महिला को कोर्ट का फैसला ठीक नहीं लगा और उसने कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दे दी कि उसका पति 'नामर्द' है। महिला के आरोपों से परेशान होकर पति ने कोर्ट में शिकायत की और मानहानि के लिए ससुरालवालों पर आईपीसी की धारा 500 और 506 के तहत केस कर दिया। सुनवाई के दौरान महिला ने कहा कि वह अपने पति की नपुंसकता को लेकर कुछ नहीं बोलना चाहती थी लेकिन उसकी हरकतों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
कोर्ट ने कहा- 'नपुंसक' कहना धारा 499 के तहत मानहानि के अंतर्गत आता है
इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुनील शुकरे की एकल बेंच ने कहा कि किसी व्यक्ति के लिए नपुंसक शब्द का इस्तेमाल करना धारा 499 के तहत मानहानि के अंतर्गत आता है और इसमें धारा 500 के तहत सजा भी दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के आरोपों को पढ़ने से यही नतीजा निकलता है कि उसके द्वारा लगाए गए आरोप अपमानजनक हैं। फिलहाल कोर्ट का ये फैसला उन पतियों के लिए राहतभरा होगा जिनकी पत्नियों ने इस मुद्दे को आधार बनाकर तलाक का फैसला लिया है।
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