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Indian Railways ने मुनाफा दिखाने के लिए कैसे की हेराफेरी, CAG ने बताया

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नई दिल्ली- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय रेलवे की माली हालत पर चिंता जताई है। सीएजी ने संसद के मानसून सत्र में रेलवे पर जो अपनी ऑडिट रिपोर्ट पेश की है, उसके मुताबिक भारतीय रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति ठीक दिखाने के लिए आंकड़ों के साथ हेरफेर किया है। मसलन, भविष्य में होने वाली कमाई की रकम को भी मौजूदा आमदनी में दिखाकर गुना-गणित ठीक रखने की कोशिश की गई है। सीएजी ने संसद के दोनों सदनों में अपनी ये रिपोर्ट पेश की है। इसमें रेलवे के आमदनी और खर्चों में अंतर के औसत को की ठीक दिखाने के लिए गलत आंकड़े पेश करने की बात कही गई है।

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CAG Report 2020: Railway ने गलत आंकड़ों से आर्थिक स्थिति बेहतर दिखाई | वनइंडिया हिंदी
रेलवे ने मुनाफा दिखाने के लिए आंकड़ों में की हेराफेरी-सीएजी रिपोर्ट

रेलवे ने मुनाफा दिखाने के लिए आंकड़ों में की हेराफेरी-सीएजी रिपोर्ट

सीएजी ने संसद में पेश रेलवे की ऑडिट रिपोर्ट में देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रेलवे ने ऑपरेटिंग रेशियो के आंकड़ों में हेरीफेरी की है। मसनल, 2018-19 में रेलवे को कमाने के लिए 101 रुपये खर्च करने पड़े थे, लेकिन बताया गया कि रेलवे को सिर्फ 97 ही खर्च करने पड़े। सबसे बड़ी बात ये है कि मुनाफा दिखाने के लिए रेलवे ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एनटीपीसी और कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) से अगले साल के लिए मिले एडवांस को उसी साल के मुनाफे में जोड़कर दिखा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक वह साल रेलवे की आर्थिक स्थिति के लिए सबसे बुरा साल हो सकता था। यदि उसने एनटीपीसी और कॉनकोर से मिली 8,351 करोड़ रुपये की एडवांस पेमेंट को नहीं दिखाया होता तो ऑपरेटिंग रेशियो 97.29% नहीं, बल्कि 101.77% होता।

माल ढुलाई में गिरावट आई

माल ढुलाई में गिरावट आई

रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का खर्च असल में कंट्रोल में नहीं आ रहा और ऑपरेटिंग रेशियो का बढ़ना अच्छी बात नहीं है। अब देखिए कि रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो नुकसान की तरफ क्यों बढ़ता जा रहा है। भारतीय रेलवे की सबसे मोटी कमाई माल भाड़े से होती है। अगर 2007-08 और 2009 की माल ढुलाई देखें तो उस दौरान लगभग 8 करोड़ टन अतिरिक्त माल ढुलाई हर साल होती थी। उस दौरान 2004 से 2009 तक लालू यादव रेल मंत्री थे और तब भारतीय रेलवे ने माल ढोने और राजस्व बढ़ाने में रिकॉर्ड हासिल किया था। लेकिन, 2018-19 में अतिरिक्त माल ढुलाई गिरकर 3 करोड़ टन पर आ गई है।

आमदनी और खर्च में बैलेंस नहीं- एक्सपर्ट

आमदनी और खर्च में बैलेंस नहीं- एक्सपर्ट

रेलवे बोर्ड के एक पुराने अधिकारी का कहना है कि तथ्य ये है कि अभी रेलवे की आमदनी और खर्च में बैलैंस नहीं है, जिसका सबसे बड़ा कारण माल ढुलाई कम होना है। उनके हिसाब से 2001-10 तक लोडिंग बहुत ही अच्छी हो रही थी। उस समय हर साल लोडिंग बढ़ रही थी और उस समय रेलवे के खर्च से आमदनी ज्यादा थी और ऑपरेटिंग रेशियो हमेशा 93-94 से लेकर 97% के बीच तक रहता था।

मौजूदा वित्त वर्ष में क्या होगा?

मौजूदा वित्त वर्ष में क्या होगा?

ऐसे में सवाल उठता है कि जब पिछले वित्त वर्ष में रेलवे की माली हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि मुनाफा दिखाने के लिए आंकड़ों के साथ खेल किया जा रहा था तो मौजूदा वित्त वर्ष में स्थिति क्या होगी? क्योंकि, कोरोना संकट की वजह से पहली बार करीब दो महीने ट्रेनें पूरी तरह से बंद रही हैं। हालांकि, माल ढुलाई में काफी तेजी आने के दावे भी किए गए हैं। इसी दौरान रेलवे के निजीकरण और प्राइवेट ट्रेनें चलाने की तैयारी हो रही है। ऐसे में हो सकता है कि रेलवे मैनेजमेंट को हाई वैल्यू प्रोजेक्ट की समीक्षा करने और राजस्व बढ़ाने के नए उपाय सोचने पड़ें।

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English summary
CAG Report:How Indian Railways rigged to show profits
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