सियाचिन में तैनात जवानों के पास बेहतर क्वालिटी के जूते और गर्म कपड़ों की कमी, CAG की रिपोर्ट ने खोली पोल
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नई दिल्ली। सियाचिन दुनिया का वह वॉरजोन जो सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है और जहां -60 डिग्री सेल्सियस पर भी सैनिक बिना थके, रुके देश की रक्षा में तैनात रहते हैं। मगर यहां पर तैनात हमारे जवानों के पास न तो जरूरी राशन है और न ही जरूरी सिक्योरिटी गियर। यह दिल दुखाने वाली जानकारी काम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया कैग की रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट में सियाचिन के अलावा डोकलाम और लद्दाख में तैनात सैनिकों की इसी हालत का जिक्र किया गया है।
समय रहते दूर होगी कमी
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सियाचिन, डोकलाम और लद्दाख जैसे इलाकों में तैनात सैनिकों के पास बर्फ में चलने के लिए जूते यानी स्नो बूट्स के अलावा गर्म कपड़े, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज तक नहीं हैं। इसके अलावा उनके पास राशन का सामान भी नहीं है। इस रिपोर्ट को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया गया था। रिपोर्ट में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी को शुरू होने में हो रही देरी पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इस यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव पहली बार साल 1999 में कारगिल रिव्यू कमेटी की तरफ से दिया गया था।
कमी से किया इनकार
जो रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की गई है वह साल 2017-2018 की है। एक आर्मी ऑफिसर की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई। इस ऑफिसर ने हालांकि इस बात से इनकार कर दिया कि सियाचिन जैसी जगह पर जहां पर पोस्ट्स से 16,000 से लेकर 20,000 फीट तक की ऊंचाई पर हैं,वहां पर किसी भी तरह की कमी से जवानों को जूझना पड़ रहा है। रक्षा मंत्रालय ने भी कहा है कि सियाचिन में तैनात जवानों के पास जरूरी कपड़ों और उपकरणों का अभाव है और इसे समय रहते दूर कर लिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि बजट की कमी के बाद भी इस तरह की किसी भी कमी से जवानों को गुजरना नहीं पड़ा है।
एक जवान पर एक लाख रुपए का खर्च
सियाचिन में तैनात एक जवान पर करीब एक लाख रुपए का खर्च आता है। सेना की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है कि देश में तैयार जरूरी सामान जिसमें गर्म कपड़े और सिक्योरिटी गियर शामिल हैं, उन्हें अब आयात किया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ऊंचे क्षेत्र में तैनात सैनिकों को रोजाना की जरूरत के हिसाब से राशन तय किया जाता है ताकि उन्हें जरूरी ऊर्जा मिल सके। लेकिन जरूरी खाद्य सामग्री की कमी के चलते सैनिकों को 82 प्रतिशत तक कम कैलोरी मिली।
तो क्या सियाचिन के नाम पर हो रहा घोटाला
लेह की एक घटना का जिक्र करते हुए CAG ने रिपोर्ट में कहा कि यहां से स्पेशल राशन को सैनिकों के लिए जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में ये सामान मिला ही नहीं था। इसके अलावा फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए। इससे सैनिक बेहतर उत्पाद का प्रयोग नहीं कर पाए। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ा। साथ ही इससे सैनिकों की स्वच्छता (हाइजीन) भी प्रभावित हुई।