मोदी ने इन 10 बड़े चेहरों को क्यों रखा कैबिनेट से बाहर?
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने नए मंत्रिपरिषद (union council of ministers 2019) में पिछली सरकार के कुछ बड़े चेहरों को जगह नहीं दी है। ये तमाम वो चेहरे हैं, जिनके बारे में पूरी संभावना थी कि वो फिर से मंत्री बनाए जा सकते हैं। लेकिन, जब शपथग्रहण की बारी आई तो उनका नाम मंत्रियों की लिस्ट (2019 cabinet ministers list of india) से गायब दिखा। संवैधानिक तौर पर किसी को मंत्री बनाना या नहीं बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार (prerogative) है। ऊपर से मोदी के पास अपनी पार्टी के 303 सांसद हैं। इसलिए, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) समेत कुछ वरिष्ठ सहयोगियों से राय-मशविरा जरूर किया होगा, लेकिन किसी नेता को दोबारा मंत्रिपरिषद में जगह नहीं देने का अंतिम फैसला उन्हीं का है। ऐसे में आइए समझने की कोशिश करते हैं कि पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहे इन 10 बड़े चेहरों की मंत्रिपरिषद (union council of ministers 2019) से छुट्टी क्यों हुई?
सुषमा स्वराज
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने इसबार खुद ही चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। लेकिन, बाद में माना जा रहा था कि वो विदेश मंत्रालय (MEA) संभाल सकती हैं और उन्हें राज्यसभा के माध्यम से संसद में लाया जा सकता है। लेकिन, आखिरी वक्त में उनका नाम कैबिनेट मंत्रियों की लिस्ट (cabinet ministers of india 2019) से गायब हो गया। हालांकि, उन्होंने बाद में जिस तरह का बयान दिया है, उससे जाहिर होता है कि उनसे सलाह-मशविरा के बाद ही मोदी ने पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर (S Jaishankar) को नई कैबिनेट (2019 cabinet ministers list of india) में जगह दी है।
सुरेश प्रभु
पिछली सरकार में प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत ही उम्मीद से पूर्व शिवसेना नेता सुरेश प्रभु (Suresh Prabhu) को रेल मंत्री बनाया था। बाद में लगा कि वो रेल मंत्रालय उतने अच्छे से नहीं संभाल पा रहे हैं। फिर उन्हें रेल मंत्रालय से हटाकर कॉमर्स मंत्री (commerce minister)बनाया गया। आगे चलकर सिविल एविएशन मंत्रालय (minister civil aviation) का भी जिम्मा दिया गया। सुरेश प्रभु को मंत्री बनाने के चलते मोदी को शिवसेना की भी नाराजगी मोल लेनी पड़ी थी। शिवसेना नहीं चाहती थी कि उसके बागी को कैबिनेट में जगह मिले। लेकिन प्रभु, मोदी की उस उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए, जिस इमेज को देखकर मोदी ने शिवसेना को नाराज करने का जोखिम लिया था।
मेनका गांधी
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) को मोदी कैबिनेट (cabinet ministers of india 2019) में शामिल नहीं किया जाना चौंकाने वाला फैसला जरूर है। वह बीजेपी की ही नहीं लोकसभा की भी सबसे वरिष्ठ दो सांसदों में शामिल हैं। वाजपेयी सरकार और पिछली मोदी सरकार में वो शामिल थीं। लगता है कि इसबार चुनाव के दौरान उनके द्वारा की गई कुछ विवादित टिप्पणियों के चलते प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी कैबिनेट (narendra modi's ministers) से बाहर रखने का फैसला किया है।
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जे पी नड्डा
जे पी नड्डा (J P Nadda) मोदी और अमित शाह दोनों के ही बेहद भरोसेमंद हैं। अमित शाह अब गृहमंत्री बन चुके हैं, इसलिए माना जा रहा है कि नड्डा को भाजपा (BJP) अध्यक्ष बनाया जा सकता है या फिर वो कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम कर सकते हैं। भाजपा संगठन में उनकी काफी अच्छी पकड़ है और इसलिए पार्टी और शायद संघ को भी लगता है कि अमित शाह के काम को वो और भी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ा सकते हैं।
राधा मोहन सिंह
पूर्व कृषि मंत्री (Agriculture Minister) राधा मोहन सिंह (Radha Mohan Singh) पर मोदी ने बहुत भरोसा किया था। वे बिहार के मोतिहारी से इसबार भी चुने गए हैं। लेकिन, लगता है कि कृषि मंत्री (Agriculture Minister) के रूप में उनका परफॉर्मेंस पीएम मोदी की कसौटी पर खड़ा नहीं उतर सका। उनसे जितनी उम्मीद की गई थी, उतना वो डिलिवर नहीं कर पाए।
जयंत सिन्हा
जयंत सिन्हा (Jayant Sinha) मोदी के पिछले कार्यकाल में हाई-प्रोफाइल मंत्री माने गए, लेकिन उसके मुताबिक शायद पीएम की नजर में वो उतना डिलिवर नहीं कर पाए। उनके पिता यशवंत सिन्हा ने पीएम मोदी और सरकार की खिंचाई का कभी कोई मौका नहीं छोड़ा, लेकिन फिर भी मोदी ने जयंत सिन्हा (Jayant Sinha) को काम करके दिखाने का पूरा मौका दिया। शायद मौजूदा परिस्थितियों में पीएम मोदी को लगा कि वो अपनी छवि के मुताबिक परफॉर्म नहीं कर पाए। दूसरी बात की झारखंड कोटे से पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, उसके चलते भी उनका नाम शायद कट गया होगा।
राज्यवर्धन सिंह राठौर
राज्यवर्धन सिंह राठौर (Rajyavardhan Singh Ratore) का पिछली सरकार में मंत्री के तौर पर काम की काफी सराहना हुई। उन्होंने सूचना और प्रसासरण मंत्रालय (राज्यमंत्री) और यूवा एवं खेल मामलों के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में अच्छा काम किया, ऐसा माना जाता है। लेकिन, माना जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा की बड़ी जीत और दूसरे नेताओं के समीकरणों के चलते फिलहाल उन्हें मंत्रिपरिषद (union council of ministers 2019) में जगह नहीं मिल पाई है।
जुएल ओरावं
जुएल ओरांव (Jual Oram) पिछलीबार ओडिशा (Odisha) से जीतने वाले भाजपा के अकेले सांसद थे। इसबार मोदी मंत्रिपरिषद (union council of ministers 2019) में ओडिशा से धर्मेंद्र प्रधान और प्रताप सारंगी को जगह मिली है। जबकि, आदिवासी कोटे से झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं। शायद इसी के चलते जुएल ओरांव (Jual Oram) को मंत्री नहीं बनाया गया है।
महेश शर्मा
पूर्व संस्कृति मंत्री महेश शर्मा (Mahesh Sharma) पिछली सरकार में यूपी से ब्राह्मण चेहरे थे। इसबार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे (Mahendra Nath Pandey) को कौशल विकास मंत्रालय (Minister of Skill Development and Entrepreneurship) का कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यही वजह है कि महेश शर्मा मंत्रिपरिषद में जगह नहीं बना पाए हैं।
अनुप्रिया पटेल
यूपी में बीजेपी की सहयोगी अपना दल (Apna Dal) के कोटे से उसकी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) को मंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे ये कारण माना जा रहा है कि उन्होंने चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे के दौरान भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। आखिरकार दोनों पार्टियों में तालमेल तो हो गया, लेकिन शायद इस चक्कर में अनुप्रिया को अब अपनी कुर्सी गंवानी पड़ गई।
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