CAA: शास्त्री और लोहिया का वो बयान, जिसका हवाला देकर PM मोदी ने कर दी विपक्ष की बोलती बंद!
नई दिल्ली- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में भी विपक्षी दलों को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के लिए उनकी ओर से दिए जा रहे तर्कों और उसको लेकर हुई हिंसा के लिए खूब सुनाया। पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि सीएए के विरोध में हुई अराजकता को ही अधिकार मानकर संविधान की दुहाई देने की कोशिश की जा रही है। पीएम मोदी ने कहा की केरल के सीएम को विधानसभा में स्वीकार करना पड़ा है कि वहां जो प्रदर्शन हो रहे हैं, उसमें अलगाववादी ताकतें शामिल हो गई हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने लाल बहादुर शास्त्री के दो और राम मनोहर लोहिया का एक बयान पढ़कर सुनाया कि उन्होंने पाकिस्तान में तब हो रहे धार्मिक उत्पीड़न को लेकर क्या कहा था।
शास्त्री जी के वो बयान, जो पीएम मोदी ने सुनाए
पीएम मोदी ने शास्त्री जी के दो बयान सुनाए। अंग्रेजी वाले पहले बयान का मतलब ये है कि 'यह सदन मानता है कि पाकिस्तान के पूर्वी भाग में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के जीवन, संपत्ति और सम्मान पर के खतरे को देखते हुए और पाकिस्तान के उस भाग में उनके मानव अधिकारों के उल्लंघन को ध्यान में रखकर, भारत सरकार को वहां से आने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए पाबंदियों में ढील देनी चाहिए और इसको लेकर दुनिया की राय बनाने के लिए भी कदम उठाने चाहिए... ' उनका दूसरा बयान कुछ इस तरह से है- 'जहां तक ईस्ट पाकिस्तान का ताल्लुक है, उसका ये फैसला मालूम होता है कि वहां से गैर-मुस्लिम, जितने हैं सब निकाल दिए जाएं, वह एक इस्लामिक स्टेट है, एक इस्लामिक स्टेट के नाते, वह यह सोचता है कि यहां केवल इस्लाम को मानने वाले ही रह सकते हैं। गैर-इस्लामिक लोग नहीं रह सकते, लिहाजा हिंदू निकाले जा रहे हैं, ईसाई निकाले जा रहे.... मैं समझता हूं कि करीब 37 हजार से ऊपर ईसाई आज वहां से भारत आ गए हैं। बौद्ध धर्म मानने वाले भी वहां से निकाले जा रहे हैं।' प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने ये बयान 3 अप्रैल, 1964 को दिया था और उस वक्त जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री थे। ये उस वक्त की बात थी जब पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को देश में शरण देने के लिए सरकार पर भारी दबाव था।
राम मनोहर लोहिया का बयान पीएम मोदी ने बताया
पीएम मोदी के मुताबिक राम मनोहर लोहिया ने पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति को लेकर कहा था- 'हिन्दुस्तान का मुसलमान जिए और पाकिस्तान का हिंदू जिए, मैं इस बात को बिल्कुल ठुकराता हूं कि पाकिस्तान के हिंदू पाकिस्तान के नागरिक हैं, इसलिए हमें उनकी परवाह नहीं करनी है। पाकिस्तान का हिंदू चाहे जहां का नागरिक हो, लेकिन उसकी रक्षा करना हमारा उतना ही कर्तव्य है जितना हिंदुस्तान के हिंदू या मुसलमान की।' प्रधानमंत्री ने तंज कसा कि उनके समाजवादी साथी उन्हें मानें या न मानें, लेकिन लोहिया जी को उन्हें नहीं नकारना चाहिए।
सीएए और एनपीआर पर मोदी के निशाने पर विपक्ष
राज्यसभा में अपने करीब 100 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने सीएए, धारा-370 से लेकर एनपीआर तक पर विपक्ष को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जनगणना और एनपीआर सामान्य गतिविधियां हैं, जो देश में पहले भी होती रही हैं। लेकिन, वोट बैंक की राजनीति की मजबूरी में 2010 में एनपीआर लाने वाले लोग ही आज इसको लेकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके साथी इस देश के राष्ट्र निर्माताओं को भी वोट बैंक की राजनीति के कारण भूलने लगे हैं, जो कि चिंता का विषय है। पीएम ने कहा कि यूपीए के गृहमंत्री ने मीडिया से एनपीआर को प्रचारित करने के लिए कहा था। उनके समय में करोड़ों लोगों के फोटो स्कैन हो चुके थे, बायोमैट्रिक शुरू हो चुका था, जिसका गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए इस सरकार ने इस्तेमाल किया है। लेकिन, आज तुच्छ राजनीतिक मकसद से इसका विरोध करने में लगे हैं। पीएम ने आरोप लगाया कि विकास और विभाजन में विपक्ष डंके की चोट पर विभाजन का रास्ता पकड़ता है।
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