ननकाना साहिब गुरूद्वारे में सिखों पर हमले से भारत में मजबूत हुआ CAA का पक्ष!
बेंगलुरू। इस्लामिक स्टेट पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिमों द्वारा ननकाना साहिब गुरूद्वारे में अल्पसंख्यक सिख समुदायों पर हमले और सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल ननकाना साहिब गुरूद्वारे को गिराने और स्थान का नाम बदलकर गुलाम ए मुस्तफा रखने के ऐलान ने भारत में विपक्ष के प्रायोजित विरोध-प्रदर्शनों को पोल खोलकर रख दी है। इस ताजा घटनाक्रम ने भारतीय संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 की प्रासंगिकता को अब और मजूबती प्रदान कर दी है।
पाकिस्तान में प्रताड़ित हो रहे सिख समुदाय की हालत बयान करने वाले वीडियो वायरल होने के बाद पंजाब CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाक PM इमरान खान से सिखो की सुरक्षा की गुहार लगाई गई, वो भूल गए कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी के लिए ही सरकार द्वारा नागरिकता कानून में संशोधन किया गया जबकि प्रताड़ितों में सिखो की संख्या सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद ही पाकिस्तान में मर्जी से छूट गए हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में पुनर्वापसी का वादा किया था, लेकिन आजादी के 70-72 वर्षों बाद भी नागरिकता संशोधित कानून में चिन्हित तीनों पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्र में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की पहल नहीं की गई, लेकिन जब केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसे प्रताड़ितों को सुगम तरीके से भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए कानून लेकर आई तो पूरा विपक्ष एकजुट होकर नए कानून का विरोध कर रही है।
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CAA के खिलाफ कांग्रेस समेत विपक्ष के अनर्गल आरोप की खुली पोल
कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष के समर्थन से सीएए के खिलाफ सड़क पर हिंसक प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं, जिसे लगभग एक महीना हो चुका है। विपक्ष सीएए के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाकर खासकर भारतीय मुस्लिम समुदायों को गुमराह करने में लगा हुआ है। भारतीय मुस्लिमों में डर बैठाया दिया गया है कि सीएए में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी को जगह दी गई, लेकिन मुस्लिम को साजिशन जगह नहीं दी गई। विपक्ष का यह आरोप एक सफेद झूठ साबित हुआ, क्योंकि मुस्लिम बहुसंख्यक तीनों राष्ट्र में मुस्लिम प्रताड़ना के शिकार नहीं हैं।
CAA भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की बात नहीं करता
दरअसल, नागरिकता संशोधन एक्ट प्रताड़ित और सताए गए लोगों को नागरिकता देने की बात करती है, जो मुस्लिम नहीं हैं। एक्ट में कहीं भी भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की बात नहीं करता है, लेकिन राजनीतिक वजहों और खासकर मुस्लिमों के वोटों के लिए राजनीतिक दल भारतीय मुस्लिमों को गुमराह कर सड़कों पर खड़ा कर दिया है। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी संसद के दोनों सदनों में इसकी पुष्टि कर चुके हैं कि सीएए से किसी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता नहीं जाएगी, क्योंकि राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बन चुके सीएए में नागरिकता लेने नहीं, बल्कि नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
पंजाब सीएम ने सबसे पहले सीएए लागू नहीं करने का किया ऐलान
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जो खुद एक सिख है और सर्वाधिक सिख समुदाय वाले सूबा पंजाब के मुखिया हैं, ने पंजाब में सिर्फ इसलिए सीएए लागू नहीं करने के ऐलान किया, क्योंकि कांग्रेस का शीर्ष आलाकमान सियासी कारणों से इसका विरोध कर रही हैं। कैप्टन साहब भूल गए कि वर्ष 2003 में भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने खुद संसद में खड़े होकर ऐसे कानून बनाने की दुहाई दी थी, जिसमें तीनों देशों से सताए गए अल्पसंख्यकों को सुगम तरीक से भारत की नागरिकता दी जा सके। कैप्टन साहब पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने सीएए को पंजाब में लागू नहीं करने का ऐलान किया था।
ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर हमले के बाद भी नहीं खुली आंख
कैप्टन साहब की आंखें अभी पाकिस्तान में पवित्र ननकाना साहिब गुरूद्वारे में प्रताड़ित हो रहे सिखों पर भी नहीं खुली हैं। इसकी तस्दीक केरल विधानसभा में पारित सीएए के खिलाफ प्रस्ताव के समर्थन के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा करीब 11 राज्यों को भेजे गए पत्र है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने केरल के मुख्यमंत्री द्वारा मांगे गए समर्थन पत्र पर सहमति प्रदान की है। यह दिखाता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री महज मोदी सरकार के खिलाफ राजनीतिक एकजुटता के लिए सीएए का विरोध में खड़े हैं जबकि वह भली भांति जानते हैं कि यह कानून सिर्फ और सिर्फ प्रताड़ितों के लिए हैं, जिसमें बड़ी संख्या में सिख समुदाय शामिल हैं।
सीएए के खिलाफ केवल लोगों को गुमराह कर रहा है विपक्ष
उल्लेखनीय है केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान गैर कानूनी करार दिया है। चूंकि यह महज एक राजनीतिक प्रपंच था, इसलिए केरल के मुख्यमंत्री पुनाराई विजयन ने केवल उन्हीं 11 राज्यों में सीएए के खिलाफ समर्थन पत्र भेजा है, जहां गैर-बीजेपी सरकारें हैं। दिलचस्प बात यह है कि केरल के मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए समर्थन पत्र में बिहार का नाम भी शामिल है, जहां बीजेपी समर्थित एनडीए की सरकार है। यह राजनीतिक प्रपंच इसलिए भी है, क्योंकि सीएए के खिलाफ कांग्रेस समेत कोई भी दल दलील नहीं रख पा रहा है, केवल लोगों को गुमराह कर रहा है।
CAA पर पोल खुली विपक्ष की पोल तो एनआरसी का मुद्दा उठा दिया
सीएए मुस्लिमों के खिलाफ है, क्योकि एक्ट में मुस्लिम समुदाय का नाम नहीं है। विपक्ष के इस दलील की पोल खुली तो विपक्ष ने एनआरसी का मुद्दा उठा दिया और कहने लगा कि सीएए के बाद एनआरसी होगा तो मुस्लिमों की नागरिकता जाएगी जबकि सच्चाई यह है कि पूरे भारत में एनआरसी लागू करने के लिए अभी तक कोई ड्राफ्ट तक तैयार नहीं हुआ है। सरकार एनपीआर लेकर आई तो विपक्ष ने अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि यह एनआरसी की एक कड़ी है, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्ष भूल गया कि एनपीआर तो वर्ष 2010 में शुरू हो गया और इसे कांग्रेस ने 2011 में हुए जनगणना में शामिल करते हुए कांग्रेस ने एनपीआर को अपना बच्चा करार दिया था।
ननकाना साहिब में सिखों पर पत्थर प्रताड़ना का ज्वलंत उदाहरण
निः संदेह विशुद्ध रूप से राजनीति की शिकार हो रहे सीएए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए संजीवनी है। पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब में सिखों के खिलाफ शुरू हुआ ताजा घटनाक्रम इसका ज्वलंत उदाहरण हैं, जहां ननकाना साहिब गुरूद्वारे के सामने खड़ा हुआ मुस्लिम बहुसंख्यकों को हूजूम न केवल सिखों को ननकाना साहिब से भगाने को अमादा है बल्कि ऐतिहासिक और पवित्र ननकाना साहिब की जगह मस्जिद बनाने की बात कह रहा है। यह तमाशा पूरी दुनिया देख रही है, लेकिन कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष शांत हैं, क्योंकि ननकाना साहिब की ताजा घटना भारत में विपक्ष द्वारा सीएए के खिलाफ खड़े किए झूठ के किले को ढहाने के लिए काफी है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में तेजी से घटी है अल्पसंख्यकों की आबादी
इतिहास गवाह है कि सीएए में चिन्हित तीनों देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तेजी से अल्पसंख्यकों की आबादी घटी है, जहां उन्हें धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आजादी से दूर रखा गया और जबरन उनकी बहू-बेटियों के साथ बलात्कार किया गया और उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ननकाना साहिब में यही सब हुआ, जिसका विरोध करने पर मुस्लिम बहुसंख्यक सड़कों पर आ गए और ननकाना साहिब के वजूद को खत्म करने का ऐलान कर दिया। भीड़ का नेतृत्व ननकाना साहिब गुरूद्वारे के ग्रंथी के बेटी का अपहरण करने वाले मोहम्मद हसन का भाई कर रहा था।
ननकाना साहिब ग्रंथी की बेटी को अपहर्ता को छुड़ाने आई थी भीड़
आरोप है कि पिछले साल ननकाना साहिब गुरूदारे के ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर को आरोपी मोहम्मद हसने अगवा करने और जबरन धर्मांतरण कर निकाह कर लिया था। उक्त वारदात करतारपुर कॉरिडोर के उद्धाटन से चार दिन पहले हुआ था। तब लड़की के पिता ने करतारपुर में धरना देने की चेतावनी दी थी, जिसके चलते पुलिस ने लड़की को वापस पिता के पास भिजवा दिया था, लेकिन आरोपी मोहम्मद हसन ने दोबारा लड़की को अगवा कर लिया। विरोध में सिखों ने प्रदर्शन किया, जिसे स्थानीय मुसलमानों ने समुदाय के खिलाफ मान लिया और ननकाना साहिब गुरुद्वारा पहुंच गए और गुरूदारे पर पथराव किया। आरोपी के मुताबिक पीड़ित ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूलने की है और उससे शादी रचाई थी।
ननकाना साहिब से सिखों को भगाने और गुरुद्वारा ढहाने की दी गई धमकी
ननकाना साहिब गुरूद्वारे में जब हमला हुआ तो गुरूद्वारे में गुरूपरब के चलते भक्त मौजूद थे। हिंसक भीड़ के गुरूद्वारे पर पथराव से वहां अफरा-तफरी मच गई। गुरूद्वारे में मौजूद सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे के अंदर फंसे हुए थे। पथराव से पूरे इलाके में दहशत का माहौल था, जिससे सिख समुदाय के कई लोग घरों में छिपे गए। हंगामा तब थमा जब देर रात पुलिस ने सरेंडर करते हुए गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद हसन रिहा कर दिया गया। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने ननकाना साहिब से सिखों को भगाने, गुरुद्वारा ढहाने और शहर का नाम बदलकर गुलाम अली मुस्तफा रखने की धमकी भी दी।
सिख समुदाय पर हमले पर मूक दर्शक बनी रही पाकिस्तान सरकार
पाकिस्तान सरकार शुक्रवार को सिख समुदाय पर हुए वहशियाना हमले पर तब तक मूक दर्शक बनी रही जब तक भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरूद्वारे में हुए तोड़-फोड़ की निंदा करते हुए पाकिस्तानी सरकार से सिखो की सुरक्षा के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाने के लिए नहीं कहा। ननकाना साहिब गुरूद्वारे में पथराव और उपद्रव की गूंज दुनियाभर में पहुंची। ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद प्रीत कौर गिल ने प्रधानमंत्री इमरान खान पर सवाल दागते हुए पाकिस्तान में सिख समुदायों को निशाना बनाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
भारत और अंतर्राष्ट्रीय दवाबों में चलते पाक ने उठाया कदम
भारत और अंतर्राष्ट्रीय दवाबों में पाकिस्तान सरकार ने कदम तो जरूर उठाया, लेकिन इसके लिए उसने सिख लड़की को अगवा करने और धर्म परिवर्तन वाले आरोपी को छोड़ना पड़ा, तब जाकर हिंसक प्रदर्शन शांत हुआ। यह बानगी है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा क्या है, लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह आंख बंदकर महज सियासी फायदे के लिए विपक्ष का सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह मजबूर हो सकते हैं, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मजबूर ही थे जब उन्होंने हाल ही में सिख दंगो से कांग्रेस का हाथ धोने के लिए तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव को जिम्मेदार ठहराने से गुरेज नहीं किया।
सीएए के खिलाफ देश में जारी विरोध-प्रदर्शन की आंच में आएगी कमी
ननकाना साहिब गुरूद्वारे में हुए हिंसक प्रदर्शन और सिखो को वहां से भगाने की धमकी ने उन लोगों को जरूर जगा दिया है, जो अभी तक सो रहे थे और गलतफहमियो और भ्रांतियों के शिकार होकर शांत पड़े हुए थे। ऐसा माना जा रहा है कि अब सीएए के खिलाफ देश में जारी विरोध-प्रदर्शन की आंच में कमी आएगी, क्योंकि यह साफ हो चुका है कि सीएए में चिन्हित तीनों देशों में कौन पीड़ित और प्रताड़ित है और कौन नहीं। क्योंकि भारतीय मुस्लिम को आगे कर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे राजनीतिक दलों को मिल रहा समर्थन अब कुंद पड़ना तय है।