शाहीनबाग धरने से जल्द नहीं हटे लोग तो जाएंगे दो साल के लिए जेल, जानिए कारण
शाहीनबाग धरने से जल्द नहीं हटे लोग तो जाएंगे दो साल के लिए जेल, जानिए कारण
बेंगलुरु। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता कानून सीएए के खिलाफ पिछले कई महीनों से शाहीन बाग पर महिलाओं समेत लोग धरना दे रहे हैं। कोरोना वायरस से जहां पूरी दुनिया में त्राहिमान मचा हुआ है हर कोई कोरोना के कहर से डरा हुआ घर में स्वयं को कैद करने को मजबूर है। वहीं धरने पर बैठे लोग धरना बंद कर घर जाने के लिए तैयार ही नहीं हैं। लेकिन अगर ये जल्द ही धरने से हटती नहीं है तो दिल्ली सरकार इनके खिलाफ केस दर्ज कर इन्हें दो साल के लिए हवालात भेज सकती हैं। जानिए आखिर ऐसा क्यों?
केजरीवाल सरकार का ये आदेश भेजेगा इन्हें जेल
बता दें दुनिया में अपना कहर फैलाने वाले कोरोना (Covid-19) के संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है। इस कड़ी मेंदिल्ली सरकार की तरफ से किसी एक स्थान पर 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने की मनाही है। ऐसा करने पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी तक के निर्देश दिए गए है। इतना ही नहीं इसका उलंघ्ान करने वालों पर केस दर्ज कर दो साल तक जेल भेजने का प्रवाधान किया गया है।
समझाने पहुंची पुलिस और प्रशासन की एक भी नही सुनी बात
गौरतलब है कि इस आदेश के बाद कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मंगलवार को शाहीन बाग पहुंचे। उन्होंने वहां बैठे लोगों को संक्रमण के खतरे के बारे में समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों के साथ अधिकारियों सुनने के बजाए उसने तेज बहस पर आमदा हो गए। अधिकारियों ने वायरस के खतरे को समझाते हुए प्रदर्शन को खत्म करने की अपील की, जिस पर प्रदर्शनकारियों ने धरना जारी रखने का ऐलान किया। प्रदर्शनकारियों को करीब दो घंटे तक कानून का हवाला देकर टीम ने बहुत समझाया लेकिन इसके बाद भी वे नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।
जल्द दर्ज हो सकता है केस
इसके बाद दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रदर्शनकारियों की भीड़ न खत्म होने की स्थिति में शाहीन बाग थाने में मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा। कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए मुकदमा होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में साफ हैं कि अगर बुधवार को अगर शाहीन बाग धरने में 50 से अधिक लोग जुटते हैं तो कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर उनके खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस जबरन जेल भेज सकती हैं।
12 दिसंबर से जारी प्रदर्शन
12 दिसंबर को जब मोदी सरकार ने सीएए को मंजूरी दी थी, उस समय ही देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था। इस एक्ट के तहत सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आने वाले उन हिंदु, जैन, पारसी, क्रिश्चियन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को नागरिकता देगी जिन्हें अपने देश में अल्पसंख्यक होने की वजह से अत्याचार झेलने को मजबूर होना पड़ा। 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए लोगों को सरकार की तरफ से नागरिकता का प्रावधान किया गया है।शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी बोले-
Coronavirus से बचने के मास्क और सैनिटाइजर दे सरकार