लखनऊ हिंसा में जान गंवाने वाले युवक की पत्नी ने कहा- वो राशन लाने गए थे, गोली मार दी गई
लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन जारी है। बात अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश की करें तो यहां प्रदर्शन में अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में एक शख्स लखनऊ का है। गुरुवार को लखनऊ में भी हिंसक प्रदर्शन के दौरान पुलिस पुलिस कार्रवाई में वो जख्मी हो गया था जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। उसका नाम मोहम्मद वकील है। वकील की पत्नी शबीना का कहना है कि वो प्रदर्शन में शामिल नहीं थे जबकि राशन लेने के लिए गए थे और उन्हें गोली मार दी गई। शबीना ने कहा कि हालात देखकर उन्हें लगा था कि कर्फ्यू लग सकता है ऐसे में उन्होंने वकील से कहा कि घर में राशान नहीं है, जाकर ले आए ताकि अगर ऐसा कुछ होता है तो दिक्कत न हो।
क्या कहा वकील के पिता ने
वकील के पिता शर्फुद्दीन का कहना है कि वह सब्जियां, राशन और दवा खरीदने बाहर गया था और उसके बाद हमें शाम को उसके ही मोबाइल से सूचित किया गया कि वह अस्पताल में भर्ती है। "वह अपने पीछे सात महीने की गर्भवती पत्नी और छह छोटे भाई-बहन छोड़ गया है। वह परिवार का एकमात्र कमाऊ व्यक्ति था। उन्होंने बताया कि वो ई-रिक्शा चलाता था। मृतक के पिता ने आगे कहा, "जाहिर तौर पर वह सतखंडा क्षेत्र के आसपास फंस गया था, जहां प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेला जा रहा था। अपने आपको बचाने के लिए वह एक गली में जा भागा और उसे गोली लग गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये बात आई सामने
.32 बोर के असलहा से प्रदर्शन के दौरान मोहम्मद वकील को सटाकर गोली मारी गई। गोली उसकी कमर के ऊपर दाहिनी ओर किडनी के पास से होते हुए रीढ़ की हड्डी में फंस गई थी। यह बात डॉक्टर के पैनल से किए गए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में सामने आई। उग्र प्रदर्शन के दौरान वकील को सटाकर गोली मारे जाने की बात सामने आने पर पेच फंस गया है। पुलिस जहां एक तरफ प्रदर्शन के दौरान भगदड़ में वकील और उपद्रवी के टकराने के दौरान फायर होने से घटना की आशंका जता रही है। दूसरी तरफ उपद्रव के दौरान गोली लगने से भी इन्कार नहीं कर रही है, लेकिन दोनों स्थित में मृतक व उपद्रवी के इतने करीब आने वाली थ्योरी का जवाब किसी के पास नहीं है।
लखनऊ में जमकर हुई थी आगजनी
बता दें कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने और हालात पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने मधेगंज पुलिस चौकी पर हमला कर दिया था। भीड़ ने यहां जमकर तोड़फोड़ की और यहां खड़ी कई गाड़ियों को फूंक डाला था। वहीं प्रदर्शन के दौरान गोली चलने पर डीजीपी उत्तर प्रदेश का कहना है कि पुलिस की तरफ से किसी भी तरह की फायरिंग नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसका इस आंदोलन और पुलिस कार्रवाई से कोई लेना-देना है।