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CAA Protest: जानिए, वो फेक न्यूज़ जो भीड़ को गुमराह करने के लिए फैलाए गए ?

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बेंगलुरू। 12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद मिली मंजूरी के बाद वजूद में आए नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए का पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शनकारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। नॉर्थ-ईस्टर्न राज्यों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन राजधानी दिल्ली में पहुंचते ही हिंसक हो गया।

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दिल्ली के जामिया यूनिवर्सटी कैंपस में छात्र-छात्राओं द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रदर्शन देखते ही देखते विपक्षी दलों और असामाजिक तत्वों के भेंट चढ़ गया। सरकारी बसें जलाई गई और पुलिस और छात्रों के बीच संघर्ष के दौरान पत्थरबाजी हुई, जिसमें छात्र-छात्राएं ही नहीं, पुलिसकर्मी भी घायल हुए।

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दिलचस्प बात यह है कि पूरे देश में पहुंच चुका विरोध प्रदर्शन झूठ और पूर्वानुमानों के नाम पर हो रहा है। यह सब कुछ हो रहा है उस कानून के खिलाफ, जिसके निर्माण के लिए पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया। गत 9 दिसंबर में लोकसभा में और 11 दिसंबर को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास होकर कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास पहुंचा था।

सीएए में किसी भी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता छीनने की बात नहीं करता हैं, लेकिन अफवाहों, भ्रांतियों और पूर्वानुमानों के शिकार बनाकर असमाजिक तत्व और विपक्षी दल अपना मतलब साधने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इनमे सबसे अधिक शिकार खासकर मुस्लिम समुदाय को बनाया गया है, जो सबसे अधिक सड़कों पर उपद्रवियों जैसा व्यवहार करने को विवश हैं।

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दरअसल, नवनिर्मित नागरिकता कानून में सिर्फ और सिर्फ उन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कहीं गई है, जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में भागकर हिंदुस्तान में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं या भविष्य में प्रताड़ना से परेशान होकर भारत की नागरिकता चाहते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शांतिपूर्व विरोध-प्रदर्शन को हिंसक और बर्बर बनाने के लिए झूठ और फरेब न्यूज का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि भीड़ को मौजूदा सरकार के खिलाफ और उकसाया जा सके और उन्हें अपनी योजना के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सके। इतिहास गवाह है कि दंगों के जरिए कैसे पूर्व में राजनीतिक रोटियां सेंकी गई हैं।

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जामिया यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राएं शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में घुस आए असमाजिक तत्वों ने हाईजैक कर लिया गया। इसकी पुष्टि जामिया यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने की, जब उन्होंने बताया कि कैंपस में 530 से अधिक फेक आईडी मिली है। इसकी तस्दीक दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 10 लोगों से भी हुई है।

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दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार 10 लोगों की पहचान हिस्ट्रीशीटर बदमाश के रूप हुई है, जिनका मकसद था भीड़ में घुसकर प्रदर्शन को हिंसक प्रदर्शन में बदलना। जामिया में छात्रों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष के दौरान गोली भी गिरफ्तार असामजिक तत्वों द्वारा चलाई है, इसका पता दिल्ली पुलिस के आधिकारिक बयान से चला जब दिल्ली पुलिस ने बताया कि जामिया कैंपस में चली गोली के मिले खोखे दिल्ली पुलिस के रायफल से मैच नहीं खाते हैं।

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दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने जामिया के छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान सरकारी बसों में आग लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। सिसोदिया ने जिस तस्वीर का हवाला देकर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस दोनों को बदनाम करने की कोशिश की उनका वह हथकंडा भी झूठा और फरेबी निकला।

सर्कुलेट हुए एक वीडियो में स्पष्ट हो चुका था कि सिसोदिया एक झूठ के सहारे राजनीति कर रहे थे ताकि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में माइलेज मिल सके, लेकिन हुआ उसका उल्टा। वीडियो में साफ-साफ दिख रहा था कि सिसोदिया दिल्ली पुलिस पर जिस बस को पेट्रोल डालकर जलाने की बात कह रहे थे, वह बस न केवल पूरी तरह सुरक्षित था बल्कि यह भी स्पष्ट हो गया कि दिल्ली पुलिस का जवान बस को आग नहीं लगा रहा था बल्कि बस में लगी आग को पानी डालकर बुझा रहा था।

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सीएए विरोध प्रदर्शन दौरान एक अफवाह यह उड़ाई गई कि फिल्म अभिनेत्री परिणित चोपड़ा द्वारा सीएए के विरोध में ट्वीट करने के कारण बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने उन्हें 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के ब्रैंड एम्बेस्डर पद से हटा दिया है। पूरे सोशल मीडिया में यह फेक न्यूज खूब फैलाया गया। यहां तक शीर्ष मीडिया संस्थानों ने भी बिना तथ्यों का पड़ताल किए छापा।

पड़ताल के बाद पता चला कि परिणित चोपड़ा का कार्यकाल वर्ष 2016 में ही खत्म हो चुका है। उनकी जगह पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रैंड एम्बेस्डर अब साक्षी मलिक हैं, जिन्हें परिणित चोपड़ा के बाद नियुक्त किया गया था। इसकी पुष्टि तत्काल अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेंद्र मलिक ने भी कर दी हैं।

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वहीं, एक अफवाह यह अफवाह भी सोशल मीडिया पर उड़ाई गई कि फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह को भी एंटी CAA ट्वीट करने के चलते सावधान इंडिया से हटा दिया गया था। दरअसल, साल 2011 से सावधान इंडिया को होस्ट कर रहे सुशांत सिंह ने भी नागरिकता कानून और जामिया में छात्रों के साथ हुई हिंसा को लेकर कई ट्वीट किये थे।

जल्द ही तस्वीर साफ हो गई जब चैनल के एक बयान ने उन सभी अटकलों की हवा निकाल दी। चैनल के मुताबिक सुशांत को 'सावधान इंडिया' से इस वजह से नहीं निकाला गया, क्योंकि वो प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे, बल्कि उनके निकाले जाने के पीछे की वजह शो के फॉर्मेट का बदल दिया जाना है।

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स्टार इंडिया लगातार अपने चैनल के शोज को लेकर परिवर्तन करता है और यह महज संयोग था कि सीएए विरोध प्रदर्शन के समय उनके कांट्रैक्ट को खत्म करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उसे सीएए से जोड़कर कहीं न कहीं सुशांत सिंह ने भी माइलेज लेने की कोशिश की। बाद में सुशांत मुंबई धरने में पहुंचे थे।

जामिया प्रदर्शन से जुड़ी एक घटना का अफवाह बंगाल में खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान एक छोटी बच्ची बुरी तरह से घायल है। वायरल हो रही तस्वीर में एक छोटी बच्ची खून से लथपथ दिख रही है। तस्वीर के साथ किए गए ट्वीट में प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए लिखा गया है, 'इससे पहले कि आप प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने बाहर निकलें, ये याद रखें। आपको कुछ इस तरह से जवाब मिलेगा।

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तस्वीर की सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे, क्योंकि वायरल तस्वीर बांग्लादेश की है और उसका नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। पड़ताल से पता चला है कि उक्त तस्वीर बांग्लादेश में हुए एक ट्रेन एक्सिडेंट है, जिसमें वह बच्ची घायल हुई थी। इसलिए सोशल मीडिया में छपे अथवा लिखे तथ्यों की सच्चाई को जाने बिना शेयर नहीं करना चाहिए।

अभी सोशल मीडिया में आर्मी को लेकर खूब अफवाहें फैलाई जा रही हैं। आर्मी ने ऐसे करीब 40 ट्विटर हैंडल की शिकायत की है, जो प्रदर्शनकारियों को भ्रमित और उकसाने के लिए अफवाह और फेक वीडियो फैला रहे हैं। इनमें से करीब 20 हैंडल ब्लॉक किए गए हैं।

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आर्मी के मुताबिक जिन जगहों पर आर्मी के जवान तैनात हैं, उन एरिया का नाम लेकर कुछ लोग सोशल मीडिया पर अफवाह फैला रहे हैं। पुराने और कहीं और के वीडियो फैलाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि आर्मी वहां ऐक्शन ले रही है। हालांकि आर्मी द्वारा ऐसे फेक ट्विटर हैंडल पर लगातार नजर रखी रही है, लेकिन सभी पर नजर रखना मुश्किल है इसलिए लोगों से अफवाहों पर भरोसा नहीं करने की अपील की जा रही है।

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उल्लेखनीय है देश भर में प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी परिवहनों को खूब नुकसान पहुंचा जा रहा है, इसमें बस और ट्रेन शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक पूर्वी रेलवे जोन में 72 करोड़ रुपये की संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई है। दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में 13 करोड़ रुपये की संपत्ति और नॉर्थईस्ट फ्रंटियर जोन में 3 करोड़ रुपये की संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई है। आंलोदन के नाम पर नुकसान के मामले में साउथ-इस्टर्न रेलवे का खड़कपुर इलाका है। जबकि नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के असम के इलाकों में भी कई जगहों पर उपद्रवियों ने रेलवे प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया है।

यह भी पढ़ें- CAA Protest: रेलवे को 88 करोड़ का नुकसान, उपद्रवियों के खिलाफ चुन चुनकर दर्ज कराएगी केस

जामिया के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में असमाजिक तत्वों ने हाईजैक किया

जामिया के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में असमाजिक तत्वों ने हाईजैक किया

जामिया यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राएं शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में घुस आए असमाजिक तत्वों ने हाईजैक कर लिया गया। इसकी पुष्टि जामिया यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने की, जब उन्होंने बताया कि कैंपस में 530 से अधिक फेक आईडी मिली है। इसकी तस्दीक दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 10 लोगों से भी हुई, जिनकी पहचान हिस्ट्रीशीटर बदमाश के रूप हुई है, जिनका मकसद था भीड़ में घुसकर प्रदर्शन को हिंसक प्रदर्शन में बदलना।

जब दिल्ली पुलिस पर लगाए झूठे आरोप की खुल गई पोल!

जब दिल्ली पुलिस पर लगाए झूठे आरोप की खुल गई पोल!

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने जामिया के छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान सरकारी बसों में आग लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। सिसोदिया ने जिस तस्वीर का हवाला देकर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस दोनों को बदनाम करने की कोशिश की उनका वह हथकंडा भी झूठा और फरेबी निकला। सर्कुलेट हुए एक वीडियो में स्पष्ट हो चुका था कि सिसोदिया एक झूठ के सहारे राजनीति कर रहे थे ताकि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में माइलेज मिल सके, लेकिन हुआ उसका उल्टा।

झूठा निकला परिणित चोपड़ा को लेकर फैलाया गया अफवाह

झूठा निकला परिणित चोपड़ा को लेकर फैलाया गया अफवाह

सीएए विरोध प्रदर्शन दौरान एक अफवाह यह उड़ाई गई कि फिल्म अभिनेत्री परिणित चोपड़ा द्वारा सीएए के विरोध में ट्वीट करने के कारण बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने उन्हें 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के ब्रैंड एम्बेस्डर पद से हटा दिया है। पूरे सोशल मीडिया में यह फेक न्यूज खूब फैलाया गया। यहां तक शीर्ष मीडिया संस्थानों ने भी बिना तथ्यों का पड़ताल किए छापा। पड़ताल के बाद पता चला कि परिणित चोपड़ा का कार्यकाल वर्ष 2016 में ही खत्म हो चुका है। उनकी जगह अब रियो ओलंपिक गेम में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रैंड एम्बेस्डर हैं, जिन्हें परिणित चोपड़ा के बाद नियुक्त किया गया था। इसकी पुष्टि तत्काल अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेंद्र मलिक ने भी कर दी हैं।

सावधान इंडिया शो फॉर्मेट में चेंज से खत्म हुआ सुशांत का कांट्रैक्ट

सावधान इंडिया शो फॉर्मेट में चेंज से खत्म हुआ सुशांत का कांट्रैक्ट

सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाया गया कि फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह को एंटी CAA ट्वीट करने के चलते सावधान इंडिया से हटा दिया गया। दरअसल, साल 2011 से सावधान इंडिया को होस्ट कर रहे सुशांत सिंह ने भी नागरिकता कानून और जामिया में छात्रों के साथ हुई हिंसा को लेकर कई ट्वीट किए थे। जल्द ही तस्वीर साफ हो गई जब चैनल के एक बयान ने उन सभी अटकलों की हवा निकाल दी। चैनल के मुताबिक सुशांत को ‘सावधान इंडिया' से इस वजह से नहीं निकाला गया, क्योंकि वो प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे, बल्कि उनके निकाले जाने के पीछे की वजह शो के फॉर्मेट का बदल दिया जाना है। स्टार इंडिया लगातार अपने चैनल के शोज को लेकर परिवर्तन करता है और यह महज संयोग था कि सीएए विरोध प्रदर्शन के समय उनके कांट्रैक्ट को खत्म करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उसे सीएए से जोड़कर कहीं सुशांत सिंह ने भी माइलेज लेने की कोशिश की।

जामिया का बताकर खूब शेयर की जा रही है बांग्लादेश की तस्वीर

जामिया का बताकर खूब शेयर की जा रही है बांग्लादेश की तस्वीर

जामिया प्रदर्शन से जुड़ी एक घटना का अफवाह बंगाल में खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान एक छोटी बच्ची बुरी तरह से घायल है। वायरल हो रही तस्वीर में एक छोटी बच्ची खून से लथपथ दिख रही है। तस्वीर के साथ किए गए ट्वीट में प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए लिखा गया है, 'इससे पहले कि आप प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने बाहर निकलें, ये याद रखें। आपको कुछ इस तरह से जवाब मिलेगा। तस्वीर की सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे, क्योंकि वायरल तस्वीर बांग्लादेश की है और उसका नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए फैलाए जा रहे हैं फेक वीडियो

प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए फैलाए जा रहे हैं फेक वीडियो

अभी सोशल मीडिया में आर्मी को लेकर खूब अफवाहें फैलाई जा रही हैं। आर्मी ने ऐसे करीब 40 ट्विटर हैंडल की शिकायत की है, जो प्रदर्शनकारियों को भ्रमित और उकसाने के लिए अफवाह और फेक वीडियो फैला रहे हैं। इनमें से करीब 20 हैंडल ब्लॉक किए गए हैं। फेक आईडी से पुराने और कहीं और के वीडियो फैलाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि आर्मी वहां ऐक्शन ले रही है।

Comments
English summary
Interestingly, protests that have reached across the country are taking place in the name of lies and predictions. All this is happening against the law, for which the entire democratic process was used. In the Lok Sabha on December 9 and in the Rajya Sabha on December 11, it passed unanimously and reached the President to become a law.
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