'भारत माता की जय' बोलने वाले ही भारत में रहेंगे: धर्मेंद्र प्रधान
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। एक तरफ जहां विपक्ष एकजुट होकर इस कानून का विरोध कर रहा है तो दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस कानून के समर्थन में बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि जो लोग भारत माता क जय बोलने के लिए तैयार हैं सिर्फ उन्हें ही भारत में रहने की अनुमति दी जाएगी। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि क्या हम अपने देश को धर्मशाला बनाना चाहते हैं। भारत में रहने के लिए भारत माता की जय कहना पड़ेगा।
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क्या
बलिदान
बेकार
जाएगा
एक
कार्यक्रम
के
दौरान
बोलते
हुए
धर्मेंद्र
प्रधान
ने
कहा
कि
क्या
नेताजी
सुभाष
चंद्र
बोस
का
बलिदान
बेकार
जागा,
क्या
भगत
सिंह
का
बलिदान
व्यर्थ
जाएगा।
इन
लोगों
ने
देश
की
आजादी
की
लड़ाई
लड़ी
थी,
क्या
यह
लड़ाई
इसलिए
थी
कि
70
साल
बाद
लोग
इश
विषय
पर
विचार
करेंगे
कि
किसे
देश
का
नागरिक
गिने
या
नहीं।
क्या
हम
इस
देश
को
धर्मशाला
बनाएंगे।
उन्होंने
कहा
कि
इस
देश
के
सामने
चुनौती
क्या
है
कि
रहम
नागरिकता
की
गिनती
करें
या
नहीं।
करोड़ो
लोगों
ने
आजादी
की
लड़ाई
लड़ी,
लिहाजा
लोगों
को
विचार
करना
पड़ेगा
कि
किन्हें
हम
देश
के
नागरिक
के
रूप
में
गिने
या
नहीं।
राहुल
गांधी
ने
साधा
निशाना
वहीं
नागरिकता
संशोधन
कानून
का
विरोध
करते
हुए
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
'मैंने
एक
वीडियो
ट्वीट
किया
है
जिसमें
नरेंद्र
मोदी
कह
रहे
हैं
कि
भारत
में
कोई
डिटेंशन
सेंटर
नहीं
हैं
और
उसी
वीडियो
में
एक
डिटेंशन
सेंटर
के
कुछ
दृश्य
हैं,
इसलिए
आप
तय
करें
कि
कौन
झूठ
बोल
रहा
है।'
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
एनआरसी
और
सीएए
नोटबंदी-2
है।
इससे
देश
के
गरीबों
को
बहुत
नुकसान
होने
जा
रहा
है,
नोटबन्दी
को
भूल
जाइये,
ये
उससे
बड़ा
झटका
होगा।
राहुल
गांधी
ने
ये
वीडियो
को
शेयर
करते
हुए
ट्वीट
किया
था,
RSS
का
प्रधानमंत्री
भारत
माता
से
झूठ
बोलता
है।'
इसके
बाद
बीजेपी
ने
राहुल
गांधी
पर
तीखा
हमला
बोला
था।
भाजपा
ने
किया
पलटवार
राहुल
गांधी
के
ट्वीट
पर
बीजेपी
आईटी
सेल
हेड
अमित
मालवीय
ने
असम
सरकार
द्वारा
जारी
की
गई
साल
2011
की
प्रेस
रिलीज
को
ट्वीट
किया,
इसमें
362
अवैध
घुसपैठियों
को
तीन
दिन
डिटेंशन
कैंप
में
भेजने
की
बात
कही
गई
है।
अमित
मालवीय
ने
एक
अन्य
ट्वीट
किया
जिसमें
उन्होंने
लिखा,
'राहुल
गांधी
अक्सर
विदेश
यात्रा
पर
जाते
हैं,
एक
बार
उनको
वीजा
लिमिट
से
ज्यादा
देर
रुकना
चाहिए
और
देखना
चाहिए
कि
किस
तरह
उनकी
पहचान
की
जाती
है,
और
फिर
कैसे
वापस
भेजने
से
पहले
उनको
डिटेंशन
सेंटर
में
डाल
दिया
जाता
है।'