जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा CAA, रोहिंग्याओं को करेंगे बाहर: केंद्रीय मंत्री
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर हो रहे विरोध के बीच केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा है कि ये कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा। रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां से जाना होगा। उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं को जम्मू-कश्मीर से बाहर किया जाएगा, इनके निर्वासन को लेकर हम पूरी तैयारी करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये लोग जम्मू-कश्मीर क्यों आए, क्या इनका मकसद यहां की जनसांख्यिकी बदलना था, इसकी भी जांच की जाएगी।
कैसे आए बंगाल से जम्मू तक?
सीएए को लेकर पश्चिम बंगाल में काफी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। जिसका नेतृत्व खुद वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं। उनका कहना है कि इस कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। इसपर जीतेंद्र सिंह ने कहा कि जिस दिन ये कानून संसद से पारित कर दिया गया, उसी दिन से यहां पर भी लागू हो गया है। अब सरकार का अगला कदम होगा रोहिंग्या शरणार्थियों का निर्वासन, ताकि वे इस कानून के तहत खुद को सुरक्षित ना कर सकें। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होगी कि ये शरणार्थी पश्चिम बंगाल के कई इलाकों से होते हुए जम्मू-कश्मीर और उत्तरी इलाके तक आकर कैसे बस गए।
जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में हैं रोहिंग्या
जीतेंद्र सिंह ने कहा कि जिस दिन सीएए संसद में पारित हुआ उसी दिन से जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गया है। अब बस यहां अगला कदम रोहिंग्याओं का निर्वासन होगा। उन्होंने सामान्य निधि नियमों पर जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में माना कि जम्मू क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं। सिंह ने कहा कि रोहिंग्याओं के निर्वासन की योजना केंद्र में विचाराधीन है। सीएए रोहिंग्या को किसी तरह का कोई लाभ प्रदान नहीं करता है।
कितनी है रोहिंग्याओं की आबादी?
उन्होंने कहा, वे उन 6 (धार्मिक) अल्पसंख्यकों (जिन्हें नए कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी) से संबंधित नहीं हैं। ना ही वे उन 3 (पड़ोसी) देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में से किसी से जुड़े हैं। रोहिंग्या समाज के लोग म्यांमार से यहां आए और इसलिए उन्हें वापस जाना होगा। अगर जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थियों की आबादी की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत 13,700 से अधिक विदेशी जम्मू और सांबा जिलों में बसे हुए हैं, जहां 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी 6,000 से अधिक हो गई है।
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