क्या पाउडर लगाने से कैंसर हो सकता है?
आमतौर पर पाउडर बनाने के लिए सिलिकॉन डाईऑक्साइड, मैग्नीसियम ऑक्साइड, आयरन ऑक्साइड, एल्यूमीनियम ऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड, बेंनजॉएन और कैल्शियम कार्बोनेट होता है. इसके अलावा ऑर्गेनिक ऑयल और खुशबू का भी इस्तेमाल किया जाता है.
सामान्य भाषा में कहें तो पाउडर बहुत से खनिजों का मिश्रण होता है जिन्हें रिफाइंड करके तैयार किया जाता है.
कैंसर... पर 'पाउडर लगाने से तो गोरे होते हैं न!'
ये बात डरा सकती है क्योंकि पाउडर तो सभी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन शायद ही किसी ने कभी ये सोचा होगा कि पाउडर लगाने से कैंसर भी हो सकता है.
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के बेबी पाउडर को लेकर ऐसे कई दावे किए गए हैं कि इस पाउडर के इस्तेमाल से गर्भाशय का कैंसर हो सकता है.
इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब एक अमरीकी महिला ने फ़ार्मास्युटिकल कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर आरोप लगाया कि इसके इस्तेमाल से उसे गर्भाशय का कैंसर हो गया.
इसके बाद कैलिफ़ोर्निया की एक अदालत ने कंपनी को क़रीब 27 अरब रुपये हर्जाना देने का आदेश सुनाया.
इस अमरीकी महिला के मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए न्यायधीशों ने कहा कि इस पाउडर में एस्बेस्टस का इस्तेमाल होता है लेकिन कंपनी ने उससे होने वाले ख़तरे के बारे में उपभोक्ताओं को नहीं बताया.
एक नहीं, हज़ारों महिलाओं ने लगाए आरोप
वैसे ये अकेला मामला नहीं है.
न्यूजर्सी स्थित जॉनसन एंड जॉनसन के मुख्यालय में हज़ारों महिलाओं ने दावा किया है कि पाउडर लगाने के बाद वे गर्भाशय कैंसर की शिकार हुईं.
उनका दावा है कि गुप्तांगों के पसीने को सोखने के लिए वे पाउडर का इस्तेमाल करती थीं. जिसके बाद उन्हें ये दिक्कत हुई.
हालांकि कंपनी इन तमाम दावों को ग़लत बता रही है. लेकिन इस मामले का असर अब भारत में भी नज़र आ रहा है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया और दूसरी कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर की गुणवत्ता की जांच के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश पर 100 से ज़्यादा ड्रग इंस्पेक्टर देश में कंपनी के कार्यालयों, होल-सेलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स से सैंपल जमा करेंगे और उसकी जांच की जाएगी.
इस संबंध में जब हमने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से जानकारी मांगी तो उन्होंने ये तो माना कि यह मामला उनकी जानकारी में है लेकिन कार्रवाई को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की.
इस जांच को समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक विस्तृत रिपोर्ट के बाद की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. रॉयटर्स ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है, "जॉनसन एंड जॉनसन को दशकों से पता था कि उनके बेबी पाउडर में एस्बेस्टस है."
क्या वाकई अभ्रक से कैंसर हो सकता है?
सालों से यह बात चिंता का विषय बनी हुई है कि टैल्कम (अभ्रक युक्त) पाउडर लगाने से गर्भाशय का कैंसर होता है, खासकर गुप्तांगों पर.
लेकिन इस बात के पक्ष में सबूत निर्णायक नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के मुताबिक़, गुप्तांगों पर अभ्रक के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है.
प्राकृतिक रूप से प्राप्त अभ्रक में एस्बेस्टस होता है, जिससे कैंसर होता है.
1970 के दशक से ही बेबी पाउडर और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में एस्बेस्टस मुक्त अभ्रक का इस्तेमाल किया जाता है.
जननांगों पर कई सालों तक टैल्कम पाउडर इस्तेमाल करने से अंडाशय का कैंसर होने को लेकर चिंता जताई गई है लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.
हालांकि इंटरनेशनल एजेंसी फ़ॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक़, मिले-जुले सबूतों को देखते हुए जननांगों पर टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल को कैंसरकारी की श्रेणी में रखा गया है.
सर गंगा राम अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर रोहित बत्रा का कहना है कि लगभग सभी पाउडर में एस्बेस्टस होता है और ये भी सच है कि एस्बेस्टस की अधिक मात्रा अगर शरीर के भीतर चली जाए तो कैंसर हो सकता है.
वो कहते हैं, "किसी एक पाउडर का नाम लेना ठीक नहीं होगा. अमूमन पाउडर का इस्तेमाल बहुत सीमित होता है. ऐसे में कैंसर रेयर ऑफ़ द रेयर केस में ही होता है लेकिन अगर कोई बहुत अधिक मात्रा में पाउडर का इस्तेमाल कर रहा है तो आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में सबसे ज़रूरी है कि पाउडर या किसी भी चीज़ का संयमित इस्तेमाल करें और नहाते वक़्त शरीर के उन हिस्सों को अच्छी तरह साफ़ करें, जहां पाउडर लगाया है."
जॉनसन एंड जॉनसन का दावा
एक ओर जहां रॉयटर्स की रिपोर्ट और तमाम महिलाओं का दावा है कि जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है. वहीं कंपनी इन तमाम बातों को ग़लत बता रही है.
बीबीसी को भेजे गए एक मेल में कंपनी ने दावा किया है कि रॉयटर्स की रिपोर्ट पूरी तरह एकतरफ़ा है और उनका पाउडर पूरी तरह सुरक्षित और एस्बेस्टस फ्री है.
कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने क़रीब एक लाख महिला-पुरुष पर अध्ययन किया है और पाया है कि पाउडर पूरी तरह सुरक्षित हैउनका कहना है कि इस सिसलसिले में उन्होंने रॉयटर्स को भी तमाम अध्ययनों की रिपोर्ट्स भेज दी हैं.
उन्होंने अपने दावे में कहा है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि,
- इसका इस्तेमाल सालों से होता आ रहा है
- यह आम लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है
- इस पाउडर को लेकर कई स्वतंत्र अध्ययन किये जा चुके हैं
- इससे कैंसर होने की कोई पुष्टि नहीं होती
तो क्या पाउडर का इस्तेमाल ख़तरनाक है?
सबसे पहले तो ये जानना ज़रूरी है कि हर कंपनी अपने तरीक़े से पाउडर बनाती है. किसी कंपनी के पाउडर में किसी तत्व की अधिकता हो सकती है तो किसी में किसी दूसरे तत्व की.
आमतौर पर पाउडर बनाने के लिए सिलिकॉन डाईऑक्साइड, मैग्नीसियम ऑक्साइड, आयरन ऑक्साइड, एल्यूमीनियम ऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड, बेंनजॉएन और कैल्शियम कार्बोनेट होता है. इसके अलावा ऑर्गेनिक ऑयल और खुशबू का भी इस्तेमाल किया जाता है.
सामान्य भाषा में कहें तो पाउडर बहुत से खनिजों का मिश्रण होता है जिन्हें रिफाइंड करके तैयार किया जाता है.
दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. ऋषि पराशर बताते हैं कि सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि किसी बच्चे और किसी एडल्ट के लिए बनने वाले पाउडर में कोई अंतर नहीं होता है. बेबी सॉफ़्ट-सौम्य जैसे शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ़ और सिर्फ़ मार्केटिंग का हिस्सा है.
वो कहते हैं, "कुछ साल पहले तक ऐसी धारणा थी कि पाउडर गोरा बनाता है, पसीना सोखता है लेकिन क्या वाक़ई ऐसा है...मूलरूप से ये खनिजों और रसायनों का मिश्रण है और अगर आप रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, अधिकता में कर रहे हैं तो ख़तरा तो हो ही सकता है."
डॉ. पराशर मानते हैं कि पाउडर का इस्तेमाल करना ख़तरनाक हो सकता है लेकिन वो किसी ब्रांड विशेष के ही ख़तरनाक होने की बात नहीं मानते.
उनका कहना है कि अगर संभव हो तो इसके इस्तेमाल से बचें.