सजा है या पोस्टिंग..., कुत्ता टहलाने वाले IAS कपल के ट्रांसफर पर क्या कह रहे हैं बाकी अफसर
सजा है या पोस्टिंग..., कुत्ता टहलाने वाले IAS कपल के ट्रांसफर पर क्या कह रहे हैं बाकी अफसर
नई दिल्ली, 28 मई: दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में वीआईपी की तरह कुत्ते को टहलाने के लिए आईएएस दंपति संजीव खिरवार और उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा का तबादला कर दिया गया है। कुत्ता को टहलाने के लिए आईएएस दंपति त्यागराज स्टेडियम को जल्दी खाली करवा देते थे। 1994-बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजीव खिरवार को लद्दाख और उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा, जो कि एक आईएएस भी हैं, उन्हें अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया गया है। असल में तबादले की इस खबर ने कई सेवारत और सेवानिवृत्त अफसरों को हैरान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय (एमएचए) से उन्हें अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों (एजीएमयूटी) कैडर को नियंत्रित करने वाले अधिकारियों की जरूरत थी, ये तबादला, उसी को ध्यान में रखते हुए किया गया है, हालांकि ट्रांसफर की टाइमिंग को लेकर लोगों को ये सजा जैसा लग सकता है।
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सजा या पोस्टिंग...क्या सोचते हैं बाकी अफसर?
न्यूज 18 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक देश के पूर्व नौकरशाह और कार्यरत अफसर, इस आईएएस कपल के तबादलों को एक सजा करार देने के बारे में दोराय रखते हैं। असल में मीडिया में खबर आने के बाद गृह मंत्रालय ने संजीव खिरवार और उनकी आईएस पत्नी रिंकू धुग्गा के ट्रांसफर का आदेश दिया, जिससे अधिकांश ने महसूस किया कि यह नौकरशाहों के लिए सरकार की ओर से एक "कड़ा संदेश" था।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक पूर्व सचिव ने न्यूज 18 को बताया कि तबादलों को सजा नहीं माना जा सकता, भले ही घटना सही हो, लेकिन ये अधिकार का अनुचित दुरुपयोग था।
'हर पोस्ट अहम है...'
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक पूर्व सचिव बोले, "सजा देने के लिए, एक जांच होनी चाहिए, जो एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है, जो यहां मामला नहीं था। इस उदाहरण में, सरकार नौकरशाहों को एक त्वरित और कड़ा संदेश देना चाहती थी, जिनमें से कुछ अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता को बनाए हुए हैं।
वहीं भारत सरकार के पूर्व सचिव अनिल स्वरूप ने बताया कि आईएएस के लिए सजा देने जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा, 'हर पोस्ट महत्वपूर्ण है।
'पति-पत्नी का साथ ट्रांसफर करने का कोई नियम नहीं...'
सीमावर्ती स्थानों पर तबादलों के बारे में बात करते हुए, पूर्व नौकरशाह ने कहा कि केवल एक चीज जो गलत लग सकती है वह है विभिन्न स्थानों पर आईएएस दंपति की पोस्टिंग करना। उन्होंने कहा, ''हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि उन्हे (कपल) एक ही स्थान पर तैनात करना होगा, लेकिन सरकार अक्सर एक जोड़े (कपल) को एक साथ रखने की कोशिश करती है। अधिकारी हमेशा सरकार को प्रतिनिधित्व दे सकते हैं यदि वे पोस्टिंग से नाखुश हैं।''
भारत सरकार के पूर्व सचिव अनिल स्वरूप, जिन्होंने सिविल सेवकों पर कई किताबें लिखी हैं और नौकरशाही के मुद्दों पर मुखर रहे हैं, उन्होंने कहा, ''मैंने दो बार लद्दाख का दौरा किया है और मैंने पाया कि उस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है। तो इसे एक सजा नहीं बल्कि पोस्टिंग क्यों नहीं कहा जा सकता है।''
'ये कोई सजा के तौर पर की गई पोस्टिंग नहीं है, क्योंकि...'
वर्तमान में अपने राज्य कैडर में कार्यरत एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि सरकार ने आचरण नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए उन्हें ( संजीव खिरवार और रिंकू धुग्गा) कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया है, इसलिए यह सजा के तौर पर की गई पोस्टिंग नहीं है। उन्होंने कहा, ''हालांकि, स्थानांतरण किसी भी नियम के तहत सजा नहीं है। कानूनी रूप से, यह एक नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया है।''
'मीडियो रिपोर्ट पर तबादले नहीं किए जाते...'
पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने बताया कि तबादले, अपने आप में सजा नहीं हैं, बल्कि यह संदर्भ है जो इसे सजा बनाता है। पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने आगे कहा, '' अब आप सोचिए अगर ये ट्रांसफर एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर किए गए हैं तो तबादला बिना उचित जांच के, इतने कम समय में कैसे कर दिए जाते। हालांकि स्थानांतरण आदेश उचित जांच के बिना थोड़े समय के भीतर जारी किए गए थे, तो इसे चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है।''
उन्होंने कहा, ''एक धारणा है कि एक नौकरशाह है तो गलत ही किया होगा। वर्तमान मामले में, यह पता लगाना महत्वपूर्ण था कि क्या आईएएस अधिकारी ने स्टेडियम को शाम 7 बजे बंद करने के लिए कहा था या क्या स्टेडियम वास्तव में शाम 7 बजे बंद थे।''