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प्रधानमंत्री मोदी की तेज कदम चाल से छूट रहे ब्‍यूरोक्रेट्स के पसीने

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नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 26 मई को प्रधानमंत्री पद संभाला था तो अफसरशाही में सुधार उनके कुछ खास एजेंडो में से एक खास एजेंडा था। सरकार के फैसलों में तेजी लाने के लिए मोदी ने जो कोशिशें अपनाई हैं उससे शायद अब सरकारी बाबुओं को काफी परेशानी होने लगी है।

Modi-bureaucrats

इंग्लिश डेली बिजनेस स्‍टैंडर्ड की खबरों के मुताबिक कई सरकारी बाबू मोदी के काम करने के तरीके से काफी परेशान हैं।

काम करने के ज्‍यादा घंटे, फाइलों को जल्‍दी से जल्‍दी क्‍लीयर करना और इस तरह की कई बातों से उनके पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में नोडल मिनिस्‍ट्रीज इंटर-मिनिस्‍ट्रीयल कंसलटेशन में कम समय लगाती हैं।

टॉप मंत्रालयों की ओर से आदेश जारी किए गए हैं कि किसी भी तरह के कैबिनेट नोट को जल्‍द से जल्‍द फारॅवर्ड किया जाए। यह डेडलाइन प्रेशर बाबुओं को झेलना पड़ रहा है।

कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने कुछ निम्‍नस्‍तरीय नोट्स को ध्‍यान में रखते हुए हाल ही में सभी मंत्रालयों को चिट्ठी लिखी है कि किसी भी नोट या सूचना को जारी करने से पहले यह सुनिश्विचत कर लिया जाए कि इनमें किसी भी तरह की गलती न हो।

एक अधिकारी के हवाले से बिजनेस स्‍टैंडर्ड ने लिखा है कि नोडल मिनिस्‍ट्री कभी कभी किसी फाइल के लिए दो घंटे की मोहलत मांगती है।

किसी भी प्रस्‍ताव को इतने कम समय में कैसे एनलाइज किया जा सकता है। आपको हर बिंदु पर गौर करना होता है।

नई सरकार की ओर से जो नए निर्देश जारी किए गए हैं उनके मुताबिक सरकारी विभागों को उनसे संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय के पास कमेंट भेजना होगा और वह भी कैबिनेट नोट का ड्राफ्ट हासिल होने के सिर्फ 15 दिनों के

अंदर। इस नोट को सचिव से निर्देशक, संयुक्‍त सचिव, अतिरिक्‍त सचिव और ऐसे ही अधिकारियों के पास से गुजरना होता है।

ऐसे में यह 15 दिनों को समय काफी जरूरी है। इस नोट पर इन सभी अधिकारियों का कमेंट भी काफी आवश्‍यक है।

एक अधिकारी के मुताबिक रूटीन फाइलों के अलावा उन्‍होंने पिछले तीन माह के दौरान 48 कैबिनेट नोट्स को भी क्‍लीयर किया है। इसका मतलब है कि एक नोट पर करीब दो दिनों का समय लगता है।

कुछ मंत्रालयों और वरिष्‍ठ ब्‍यूरोक्रेट्स की ओर से अपने तेज काम के जरिए प्रधानमंत्री को प्रभावित करने की कोशिशों के चक्‍कर में कुछ और लोगों पर मंत्रालयों और पीएमओ का नाम लेकर भी दबाव बनाने की कोशिश की जाती है।

ऐसा नहीं है कि सारे ब्‍यूरोक्रेट्स इस बात से परेशान हैं बल्कि कुछ ब्‍यूरोक्रेट्स ऐसे भी हैं जिन्‍हें अब इस बात का अहसास होता है कि वह पहले से ज्‍यादा सशक्‍त हो गए हैं। वह इन सभी परिवर्तनों को तेजी से स्‍वीकार भी कर रहे हैं।

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English summary
Bureaucrats are facing tough times under PM Narendra Modi's directives
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