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भारत और बांग्‍लादेश की दोस्‍ती से चिढ़ का नतीजा बर्दवान साजिश!

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बर्दवान। बर्दवान ब्‍लास्‍ट के मुख्‍य साजिशकर्ता एसके राहमताल्‍ला उर्फ साजिद उर्फ शंभू से इस समय नेशनल इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी, एनआईए की ओर से पूछताछ शुरू हो गई है। इस पूछताछ में साजिद ने एनआईए को कई अहम जानकारियों के बीच ही बांग्‍लादेश में होने वाले तख्‍तापलट से जुड़ी भी कई अहम जानकारियां मुहैया कराई हैं।

साजिद की ओर से दी गई जानकारियों पर अगर यकीन किया जाए तो इस ब्‍लास्‍ट की साजिश के और ज्‍यादा गहरा होने की ओर इशारा मिलता है। साथ ही साथ उन सभी बातों की भी पुष्टि होती है जो बाकी आरोपियों की ओर से एनआईए को मुहैया कराई गई हैं।

पश्चिम बंगाल बना लांच पैड

पूछताक्ष में उसने बताया कि साजिश में शामिल सभी लोगों का सिर्फ एक सूत्रीय एजेंडा था और वह था बांग्‍लादेश में हमलों को अंजाम देना। साजिद ने जो जानकारियां एनआईए को दी हैं, उसमें उसने कहा है कि उनका निशाना कभी भी भारत नहीं था।

लेकिन वह इस बात को लेकर काफी गंभीर थे कि कैसे भारत की जमीन का प्रयोग कर बांग्‍लादेश में आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा सकता है। साजिद के मुताबिक वह पश्चिम बंगाल को बांग्‍लादेश में आतंकी हमलों के लिए बतौर लांच पैड या लांच सेंटर के तौर पर वर्ष 2009 से ही प्रयोग करना चाहते थे।

उस समय इन सभी लोगों ने अपना काम शुरू कर दिया था और इन्‍हें अपने मॉड्यूल्‍स को सेट करने में भी कोई बाधा नजर नहीं आई। ऐसे में इन सभी को अपने काम को अंजाम देना और आसान नजर आने लग गया था।

दो दिनों के अंदर साजिद को मिला पैन कार्ड

साजिद की ओर एनआईए को जो कुछ भी बताया गया है, उसके मुताबिक उसके पिता लेफ्टिनेंट सिद्दीकी एक रिटायर्ड आर्मी पर्सनल हैं। आवामी लीग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की वजह से उसने अपना काफी समय बांग्‍लादेश की जेलों में भी बिताया है।

जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्‍लादेश के पास एक पूरी कमेटी थी जिसने इस पूरे ऑपरेशन की योजना तैयार की थी। साजिद के मुताबिक शुरुआत में इन लोगों ने पश्चिम बंगाल में लोगों की घुसपैठ कराई। साजिद को इस काम में बतौर कमांडर तैनात किया गया था।

साजिद ने स्‍थानीय और धार्मिक नेताओं के साथ इसी मकसर के लिए दोस्‍ती की। पश्चिम बंगाल में सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठियों के लिए कई कैंप बनाए गए। इन कैंपों को स्‍थानीय नेताओं की ओर तैयार किया गया था।

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इन नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि संगठन के लोगों को सभी जरूरी दस्‍तावेज मुहैया कराए जाएं। साजिद को इन्‍हीं नेताओं की वजह से ड्राइविंग लाइसेंस, ईपीआईसी कार्ड और साथ ही साथ पैन कार्ड भी हासिल हो गया और वह भी पश्चिम बंगाल आने के दो दिनों के अंदर।

500 लोगों की फोर्स की प्‍लानिंग

साजिद की मानें तो भारत में संगठन की ओर से करीब 500 लोगों की एक पूरी फोर्स तैयार करने की योजना थी। यह लोग पश्चिम बंगाल में लोगों को लेकर आते, उन्‍हें ट्रेनिंग दी जाती और फिर उन्‍हें बांग्‍लादेश वापस भेज दिया गया।

बांग्‍लादेश में हमलों को अंजाम देने के लिए संगठन की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई थी। सिर्फ कुछ ही माह बाद संगठन बांग्‍लादेश में अपनी साजिश को पूरा करने की ओर था।

लेकिन तभी बर्दवान में हुए ब्‍लास्‍ट ने साजिश का भांडाफोड़ कर दिया और बर्दवान के मॉड्यूल का पता लगने के साथ ही साजिश भी सामने आ गई। संगठन के लोगों का मानना था कि अगर भारत को लांच पैड की तरह प्रयोग किया जाएगा तो दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ जाएंगे।

रिश्‍तों से पड़ रहा था मंसूबों पर असर

भारत और बांग्‍लादेश के अच्‍छे रिश्‍ते जेएमबी की आंखों में खटक रहे थे। साथ ही इन अच्‍छे संबंधों की वजह से उनके ग्रेटर बांग्‍लादेश बनाने के मंसूबे भी पूरे नहीं हो सकते थे। साथ ही संगठन का मानना था कि दोनों देशों के बीच अच्‍छे रिश्‍तों की वजह से शरिया कानून को लागू करने में भी खासी दिक्‍कतें आ रही हैं।

सिमी से मिली मदद

स‍ाजिद की ओर से दी गई जानकारी में साफ है कि कौसर और जिया-उल-हक दोनों ही उससे काफी करीब थे। कौसर ने साजिद के लिए ग्रांउड वर्क को पूरा किया जिसके बाद साजिश के लिए हथियारों को पहुंचाया गया, सारा सामना यहां आया और मॉड्यूल्‍स को जरूरी रकम भी पहुंचाई गई।

जो भी पैसा यहां पर आया उसे जेएमबी ने बांग्‍लादेश से भेजा था और इसका प्रयोग मॉड्यूल्‍स के सेट अप में किया गया था। इस रकम को कई अलग-अलग तरीकों से पहुंचाया गया था। टॉप ऑपरेटिव्‍स के लिए जो रकम थी उसे बैंकों में जमा करा दिया गया था और बाकी पैसे को हाथों-हाथ सौंपा गया था।

ज्‍यादातर रकम का प्रयोग अधिकारियों को घूस देने, जमीन खरीदने और ट्रेनिंग कैंपों को स्‍थापित करने में खर्च किया गया था। इसके अलावा इसी पैसे से इन लोगों ने हथियार भी खरीदे थे।

साजिद के मुताबिक ज्‍यादातर हथियार को यहां के स्‍थानीय लोगों से खरीदा गया था क्‍योंकि बांग्‍लादेश से हथियार यहां लाना काफी खतरनाक काम साबित हो सकता था। सिमी के सदस्‍यों से संपर्क साधा गया और फिर उनकी मदद से हथियार हासिल किए गए।

असम में तैयार था बैकअप

संगठन की योजना हमलों को सबसे पहले पश्चिम बंगाल से अंजाम देने की थी। इसके लिए जेएमबी ने असम में अपना एक मॉड्यूल भी तैयार कर लिया था इसे हमले की अगली कड़ी में प्रयोग किया जाना था। बर्दवान में जब ब्‍लास्‍ट हुआ तो संगठन की पहली मंशा इस पूरे ऑपरेशन को छिपाने की थी।

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जब तक संगठन की ओर से स्‍थानीय अथॉरिटीज को इस बात का भरोसा दिलाया गया कि कैसे यह ऑपरेशन उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है तब तक बर्दवान ब्‍लास्‍ट ने साजिश को पूरी दुनिया के सामने लाकर रख‍ दिया।

संगठन की ओर से कैडर्स को आदेश दिए गए कि सारे सुबूतों को मिटा दिया जाए। किसी भी कीमत पर संगठन अपने ऑपरेशन को बंद नहीं कर सकता था।

कैडर्स को दिए गए आदेश

साजिद के मुताबिक ऑपरेशन के लिए बनाई गई सेंट्रल कमेटी की ओर से कुछ दिनों के लिए एक तरह से गायब होने का आदेश दिया गया लेकिन साफ कर दिया गया था कि किसी भी कीमत पर ऑपरेशन बंद नहीं होना चाहिए।

कमेटी ने साजिद को कहा था कि संगठन सारी प्रक्रिया को फिर से शुरू करेगा और इसके लिए संगठन कोई जल्‍दबाजी नहीं दिखाएगा। यहां तक कि आतंकी पांच वर्ष तक इंतजार करने को भी तैयार थे।

इस योजना के तहत ही कई कैडर्स को देश के अलग-अलग हिस्‍सों में भेज दिया गया। कुछ कैडर्स को तो बांग्‍लादेश भी रवाना किया गया। उन्‍हें कहा गया है कि अगले निर्देशों तक वह वहीं थोड़ा इंतजार करें।

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English summary
S K Rahmatlla Burdwan mastermind alias Sajid alias Shambu is being questioned by the National Investigating Agency for his alleged role in the Burdhwan coup and he gave details about Bangladesh coup.
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