क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बुलंदशहर: इंस्‍पेक्‍टर सुबोध की बाईं आंख की तरफ से सिर के पार निकली गोली, पिता भी हुए थे मुठभेड़ में शहीद

Google Oneindia News

बुलंदशहर। स्‍याना कोतवाली के प्रभारी इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की मौत की वजह के बारे में अब स्‍पष्‍ट कारण सामने आ गया है। डीएम अनुज कुमार झा ने बताया कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है कि गोली सुबोध कुमार की बाईं आंख की तरफ से सिर में जा घुसकर बाहर निकली। इससे पहले पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया जा रहा था कि सिर पर पत्‍थर लगने की वजह से सुबोध कुमार सिंह की मौत हुई। बहरहाल, अब डीएम के बयान के बाद स्‍पष्‍ट हो गया है कि सुबोध कुमार सिंह की मौत गोली लगने से ही हुई है, न कि सिर में पत्‍थर लगने की वजह से। सुबोध कुमार झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा में तैनात रहे और उनकी अंतिम पोस्टिंग बुलंदशहर के स्याना थाना में रही। वह जहां भी गए बदमाशों से लोहा लेने से पीछे नहीं हटे।

पिता भी ट्रेन में बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान हुए थे शहीद

पिता भी ट्रेन में बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान हुए थे शहीद

सुबोध कुमार सिंह 28 सितंबर 2015 को हुए बिसाहड़ा कांड के पहले जांच अधिकारी रहे थे। बिसाहड़ा में तीन साल पहले इकलाख की हत्या हो गई थी। सुबोध कुमार ने 10 आरोपियों को दूसरे दिन ही गिरफ्तार कर लिया था। सुबोध कुमार के पिता भी यूपी पुलिस में थे। सुबोध के पिता की मौत ट्रेन में बदमाशों से हुई मुठभेड़ के दौरान हुई थी। इंस्पेक्टर सुबोध जैथरा क्षेत्र के गांव तरिगवां के मूल निवासी थे। उनके पिता स्व. रामप्रताप सिंह कांस्टेबल थे और ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद सुबोध ने पुलिस महकमे में मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी पाई। सुबोध कुमार ने 1994 में उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी जॉइन की थी।

जब एक गोली गर्दन को छूती हुई निकल गई थी

जब एक गोली गर्दन को छूती हुई निकल गई थी

2001 में सुबोध कुमार मेरठ के सरधना थाने में तैनात थे। यहां कुख्यात बदमाश सुरजी की उन दिनों अपराध जगत में तूती बोलती थी। 3 जुलाई 2001 को पुलिस को मिली सूचना के बाद सुरजी को घेरा लिया गया। नवादा गांव के जंगल में सुरजी और उसका पूरा गैंग छिपा था। पुलिस ने घेराबंदी की तो बदमाशों ने गोली चलानी शुरू कर दीं। सुबोध कुमार और उनके साथियों ने बदमाशों पर इतनी गोलियां बरसाईं कि वे हक्‍के-बक्‍के रहे। इसी दौरान एक गोली सुबोध कुमार की गर्दन को छूते हुए निकल गई थी।

दिसंबर में एनकाउंटर के दौरान लगी थी सुबोध कुमार सिंह को गोली

दिसंबर में एनकाउंटर के दौरान लगी थी सुबोध कुमार सिंह को गोली

सुबोध कुमार सिंह बेहद अनुभवी और मजबूत इरादों वाले पुलिस अधिकारी थे। यह पहला मौका नहीं था जब इस प्रकार की चुनौतीपूर्ण स्थिति का उन्‍होंने सामना किया हो, लेकिन इस बार उन्‍हें अपने ही साथी पुलिसकर्मियों का साथ नहीं मिला। सुबोध कुमार सिंह भीड़ के बीच अकेले पड़ गए थे। शायद यही वजह रही कि वह स्थिति को काबू नहीं कर सके और दंगाइयों ने उनकी ही जान ले ली। सुबोध कुमार वृंदावन में भी सेवाएं दे चुके हैं। कानून-व्‍यवस्‍था कायम रखने को वह उस वक्‍त भी बेहद तत्‍पर थे। वृंदावन में उन्‍होंने गो तस्‍करों के खिलाफ बेहद कड़ रुख अपनाया था। इतना ही नहीं, दिसंबर में उनकी चाहन चोरों के साथ एक बर मुठभेड़ भी हुई थी। इस एनकाउंटर में उन्‍हें गोली भी लगी थी। वृंदावन में भी 9 महीने तक सेवा देने के बाद सुबोध कुमार का ट्रांसफर बुलंदशहर की स्‍याना कोतवाली में कर दिया गया था।

बेटा कर रहा है सिविल सर्विस की तैयारी

बेटा कर रहा है सिविल सर्विस की तैयारी

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के बैचमेट ने बताया कि सुबोध का बड़ा बेटा श्रेय दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है, वह बीएससी कर चुका है। छोटा बेटा नोएडा के एक स्कूल से 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ग्रेटर नोएडा की जारचा, बादलपुर और दादरी कोतवाली के प्रभारी रह चुके थे।

Comments
English summary
Bulandshahr Voilence: full profile of Martyr Inspector Subodh Kumar singh
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X