15 दिन पहले इंस्पेक्टर सुबोध ने किया था दोस्त को फोन, बताई थी अपनी ख्वाहिश
बुलंदशहर हिंसा में जान गंवाने वाले इंस्पेक्टर सुबोध ने अपने एक करीबी मित्र को इस घटना से 15 दिन पहले फोन किया था।
नई दिल्ली। बुलंदशहर में गोकशी की खबर पर भड़की भीड़ ने यूपी पुलिस के एक बहादुर अफसर की जान ले ली। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत की खबर से उनके गृह जनपद एटा में गम का माहौल है। उनके गांव तरगवा में सन्नाटा पसरा है और इंस्पेक्टर सुबोध को करीब से जानने वाले लोग उनके मधुर व्यवहार को याद कर रो रहे हैं। नौकरी की मजबूरी ऐसी थी कि सुबोध अपने गांव कम ही आ पाते थे, लेकिन अक्सर फोन पर गांव के लोगों के हालचाल लिया करते थे। सुबोध के पिता भी पुलिस में थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा उनके दो बेटे हैं। सुबोध के करीबी मित्र श्यामवीर राठौर ने बताया कि करीब 15 दिन पहले उनका फोन आया था और उन्हें अपनी एक इच्छा उनसे जाहिर की थी।
'अभी 15 दिन पहले सुबोध का फोन आया...'
श्यामवीर राठौर ने बताया, 'पिछले साल सुबोध की मां का देहांत हुआ था, उस वक्त वो गांव आए थे। उनके दो चाचा गांव में ही रहते हैं। नौकरी के चलते सुबोध का गांव आना कम ही होता था, लेकिन वो जब भी आते थे तो बच्चों से उनकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछते। सुबोध बच्चों को पास-बिठाकर समझाते थे कि पढ़-लिखकर बड़े अफसर बन जाओ और गांव का नाम रोशन करो। अभी करीब 15 दिन पहले ही सुबोध का फोन मेरे पास आया और बातों-बातों में उन्होंने कहा था कि वो गांव के बच्चों के लिए कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे वो पढ़-लिखकर आगे बढ़ सकें। सुबोध चाहते थे कि उनके गांव के बच्चे अपनी अलग पहचान बनाएं।'
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पुलिसकर्मियों ने सुबोध को अकेला क्यों छोड़ा?
आपको बता दें कि मूल रूप से एटा के रहने वाले इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह यूपी के मेरठ, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में भी तैनात रह चुके थे। तीन साल पहले ही वो अपने परिवार सहित गाजियाबाद शिफ्ट हुए थे। इससे पहले वो मेरठ के पल्लवपुरम में रहते थे। इंस्पेक्टर सुबोध की मौत के बाद यूपी की योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। हालांकि सरकार ने इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश दे दिए हैं और दो दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। वहीं, मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और इस मामले की भी जांच की जाएगी कि आखिर भीड़ के बीच पुलिसकर्मियों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अकेला क्यों छोड़ा।
कल किसके पिता की जाऩ जाएगी?
दूसरी तरफ अपने पिता इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत पर उनके बेटे अभिषेक ने बड़ा बयान दिया है। अभिषेक ने कहा, 'मेरे पिता मुझे एक ऐसा अच्छा नागरिक बनाना चाहते थे, जो समाज में धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा ना देता हो। आज इस हिंदू मुस्लिम फसाद में मेरे पिता की जान गई है, कल किसके पिता की जाऩ जाएगी?' आपको बता दें कि सोमवार को बुलंदशहर के स्याना इलाके में गोकशी की खबर पर हिंदू संगठनों के लोग सड़कों पर उतर आए थे। गुस्साई भीड़ ने सड़क पर जाम लगाते हुए गाड़ियों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर भी हमला किया। भीड़ के हमले में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की जान चली गई। इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
मामले में दो एफआईआर दर्ज
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत गोली लगने से बताई गई है। वहीं, मौके पर मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने घटना के बार में बताया कि उग्र भीड़ ने सड़क जाम कर दी थी और वो लोग पुलिस टीम पर पत्थरबाजी कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की संख्या 300 से 500 के बीच बताई जा रही है। इस हमले में इंस्पेक्टर सुरेश कुमार को भी चोट आई है। पुलिस ने इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की हैं, पहली- अवैध गोकशी को लेकर और दूसरी भीड़ के हिंसक प्रदर्शन को लेकर। मामले में अभी तक दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एहतियात के तौर पर बुलंदशहर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस का कहना है कि दोषी लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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