NCDRC ने कहा- बिल्डर को घर के साथ मालिक को वाहन पार्किंग देना जरूरी
मुंबई। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अधिकारियों ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (MSCRDC) के उस आदेश को सही ठहराया है। जिसमें आयोग ने कहा था कि, बिल्डर को आवासीय परिसर में प्रत्येक होमबायर्स को कम से कम एक वाहन की पार्किंग के लिए स्थान देना होगा। आदेश में कहा गया है कि, बिल्डर्स ओपन कार पार्किंग के लिए होमबायर्स से अलग से चार्ज नहीं वसूल सकते हैं।
एचटी में छपी खबर के मुताबिक, एनसीडीआरसी के सदस्य प्रेम नारायण ने प्रॉपर्टी डेवलपर सरोज सेल्स ऑर्गनाइजेशन (एसएसओ) की उस अपील को खारिज कर दिया है, जो उपभोक्ता फोरम द्वारा रद्द किए जाने के बाद महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चली गई थी। सरोज सेल्स ऑर्गनाइजेशन के खिलाफ होमबायर्स डॉली भरूचा और आरती चार्ज ने याचिका दायर की थी। भरुचा और चॉर्ज ने कांदिवली (पश्चिम) में एसएसओ द्वारा विकसित "ब्रीज़ी कॉर्नर" में फ्लैट खरीदे थे।
2009 में प्रॉपर्टी डेवलपर द्वारा आवासीय परिसर के अंदर वाहनों की पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध कराने से इनकार करने के बाद ये शिकायतें दर्ज की गई थीं। 3 जनवरी, 2015 को जिला फोरम ने उनकी शिकायत को स्वीकार किया और बिल्डर को दोनों होमबॉयर्स को पार्किंग की जगह उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इसने एसएसओ पर 50,000 रुपये का जुर्माना और मुकदमे की लागत 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
जिला फोरम के फैसले के खिलाफ बिल्डर ने महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाया। 13 जून, 2017 को MSCRDC ने बिल्डर की अपील को खारिज कर दिया औऱ बिल्डर को होमबायर्स को कम से कम एक पार्किंग उपलब्ध कराने का आदेश दिया। ओपन कार पार्किंग कॉमन एरिया के अंतर्गत आता है, इसलिए बिल्डर द्वारा अलग से चार्ज करना गलत है। वहां से राहत ना मिलने पर बिल्डर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का रुख किया।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने MSCRDC आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। आयोग ने मुआवजे और मुकदमेबाजी की लागतों को भी उचित ठहराया। आयोग ने कहा कि, मुकदमेबाजी के दौरान शिकायतकर्ताओं ने बहुत मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न का सामना किया है क्योंकि उनके पास कोई पार्किंग स्थान नहीं था। मुआवजे और मुकदमेबाजी की लागत उचित है।
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