BUDGET 2019: निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए अटैची की बजाय बहीखाता क्यों पकड़ा? #SOCIAL
दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में क़रीब दो घंटे का बजट भाषण दिया. लेकिन ये आम बजट संसद में पेश होने से पहले ही चर्चा में आ गया. वजह- उस अटैची का नदारद रहना जिसे सालों से सभी सरकारों के वित्त मंत्री बजट के दिन दिखाते नज़र आते थे.
दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में क़रीब दो घंटे का बजट भाषण दिया.
लेकिन ये आम बजट संसद में पेश होने से पहले ही चर्चा में आ गया. वजह- उस अटैची का नदारद रहना जिसे सालों से सभी सरकारों के वित्त मंत्री बजट के दिन दिखाते नज़र आते थे.
निर्मला अटैची की बजाय बहीखाता जैसा दिखने वाले बजट दस्तावेज़ के साथ संसद के बाहर नज़र आईं. इस बहीखाते पर कलावा बंधा था और राष्ट्रीय प्रतीक बना हुआ था.
ऐसा करने की वजह मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बताई.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, कृष्णमूर्ति ने कहा- ये भारतीय परंपरा है और ये पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है. ये बजट नहीं, बहीखाता है.
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian on FM Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase: It is in Indian tradition. It symbolizes our departure from slavery of Western thought. It is not a budget but a 'bahi khata'(ledger) pic.twitter.com/ZhXdmnfbvl
— ANI (@ANI) 5 July 2019
अटैची की बजाय बहीखाते और निर्मला सीतारमण के पहले बजट की चर्चा सोशल मीडिया पर छाई हुई है. पढ़िए किसने क्या लिखा?
अटैची की बजाय बहीखाते पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
@GabbbarSingh ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गई. इस तस्वीर में निर्मला के बराबर में खड़े शख्स ने टाई पहनी हुई थी. इस पर @GabbbarSingh ने लिखा, ''इस भाई को बोलो कि धोती पहनकर आए.''
अनिरुद्ध शर्मा लिखते हैं, ''आपने शपथ विदेशी भाषा में ली थी. बजट में भी इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल किया. ये एक पश्चिमी भाषा है मैडम जी.''
केतन ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''निर्मला मैडम कार से संसद आईं थीं. उनके माता-पिता भी कार से संसद आए थे. बस यही बताना है. आगे कोई जोक नहीं है.''
संजय कुमार यादव ने लिखा, ''ये बहुत अच्छी बात है. शास्त्रों के अनुसार खजाने को लाल कपड़े में रखने से उन्नति होती है.''
जावेद हसन ने लिखा, ''लैपटॉप में क्यों नहीं लाईं. डिजिटल इंडिया में बजट भी डिजिटल होना चाहिए.''
लोगों को कितना पसंद आया सरकार का बजट?
बीबीसी हिंदी ने कहासुनी के ज़रिए अपने पाठकों से पूछा कि वो बजट को कितने नंबर देंगे और उनको बजट कैसा लगा? हमें इन सवालों पर कई प्रतिक्रियाएं मिलीं.
कुछ लोगों ने इस बजट को 10 में से 10 नंबर दिए और कुछ ने डबल ज़ीरो.
गौरव शर्मा ने लिखा, ''इस बजट से आम लोगों को कुछ नहीं मिला.''
रुचि लिखती हैं, ''रोज़गार और शिक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया है. स्कूलों में टीचर्स की इतनी कमी है.''
ट्टिवटर हैंडल @coolfunnytshirt ने राहुल गांधी की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ''राहुल के सर के ऊपर से जा रहा है. लेकिन दिमाग में प्रतिक्रियाओं की प्रैक्टिस हो रही है. ताकि कह सकें- बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं है. जॉब्स का क्या हुआ. मज़ा आ रहा है.''
Sar ke uppar se jaa raha hai #Budget2019 #BudgetForNewIndia .. Lekin dimaag mein reactions ki practice ho rahi hai "Budget is pro rich" "Budget is anti poor" "Nothing for farmers" "rafale scam ka kya hua" "jobs ka kya hua" "rss is evil" "akraman ho raha hai" "maza aa raha hai" pic.twitter.com/g3q2ZOlqU8
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) 5 July 2019
'यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है
हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है'
बजट की शुरुआत में निर्मला ने मंज़ूर हाशमी का ये शेर पढ़ा था.
Translating it for non-westernoislamic slaves: विश्वास हो तो पथ प्रतीत होता है, वायु का आवरण लेकर भी दीपक प्रज्वलित होता है। https://t.co/miNpPAHgrQ
— Rofl Gandhi (@RoflGandhi_) 5 July 2019
ट्विटर हैंडल RoflGandhi_ ने ट्वीट किया, ''पश्चिमी गुलामी से बचने के लिए इस शेर का अनुवाद पेश है,
''विश्वास हो तो पथ प्रतीत होता है,
वायु का आवरण लेकर भी दीपक प्रज्वलित होता है.''
वीडियो में देखिए पूरा बजट
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