Union Budget 2018: वित्त मंत्री का भाषण सुनने से पहले जान लीजिए बजट की ABCD
आम बजट सरकार के लेखा-जोखा की सबसे विस्तृत रिपोर्ट होती है।
नई दिल्ली। 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाना है। बजट के दौरान देश के वित्त मंत्री कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिनके बारे में आमतौर पर लोगों को पता नहीं होता है। संसद में बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री कुछ खास शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिसका सीधा असर आम आदमी पर तो पड़ता है लेकिन उन शब्दों का मतलब सभी को पता नहीं होता है। हालांकि ये शब्द आपकी आमदनी, व्यापार, पैसे से संबंधित होते हैं। आइए जानते हैं वो कौन-कौन से शब्द हैं और उनका क्या मतलब होता है।
आम बजट का मतलब जानिए
आम बजट सरकार के लेखा-जोखा की सबसे विस्तृत रिपोर्ट होती है। इसमें एक वित्तीय वर्ष में सभी स्त्रोतों से सरकार को होने वाली आमदनी और खर्च का ब्यौरा होता है। आम बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है। इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए पैसे का आवंटन होता है। बड़े तौर पर इसमें आने वाले साल के लिए कर प्रस्तावों का ब्यौरा पेश किया जाता है।
डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर) को समझिए
वह टैक्स, जिसे आपसे सीधे तौर पर वसूला जाता है। जैसे की इनकम टैक्स, व्यवसाय से आय पर कर, शेयर या दूसरी संपत्तियों से आय पर कर, प्रॉपर्टी टैक्स आदी। डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की इनकम पर लगाया जाता है। चाहे वह इनकम किसी भी स्रोत से हुई हो, जैसे इंवेस्टमेंट, सैलरी, ब्याज आदि। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत आते हैं।
इन्डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) को समझिए
वह टैक्स, जिसे आप सीधे नहीं जमा करते हैं। लेकिन यह आप ही से किसी और रूप में वसूला जाता है। देश में तैयार, आयात या निर्यात किए गए सभी सामानों पर लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं। इसमें उत्पाद कर और सीमा शुल्क शामिल किए जाते हैं। कस्टमर्स द्वारा कोई वस्तु खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान लगाया जाने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है। कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं।
क्या है जीएसटी ?
जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है। यह केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया गया है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इंडायरेक्ट टैक्स है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है। इस बार के बजट में पहली बार जीएसटी पर बात होगी, क्योंकि 1 जुलाई 2017 में ही जीएसटी लागू हुआ है।
Custom duty यानि सीमा शुल्क को समझिए
देश में आयात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क अथवा कस्टम ड्यूटी लगती है। Custom Duty यानी सीमा शुल्क वह शुल्क होता है जो देश की सीमा से अंदर-बाहर जाने वाली वस्तु पर लगता है। निर्यात की जाने वाली वस्तु पर निर्यात शुल्क लगता है, जबकि आयात की जाने वाली वस्तु पर आयात शुल्क लगता है।
Fiscal Deficit यानि राजकोषीय घाटा का मतलब जानिए
Fiscal Deficit यानी राजकोषीय घाटा उस अंतर को कहते हैं जो सरकार को प्राप्त कुल राजस्व और सरकार के कुल व्यय के बीच होता है। अगर खर्च अधिक होता है तो यह घाटा होता है और अगर राजस्व अधिक होता है तो यह फायदा होता है। हालांकि, समान्यतया यह सिर्फ घाटा ही होता है।
Revenue Deficit यानि राजस्व घाटा क्या होता है?
राजस्व घाटे का मतलब सरकार की अनुमानित राजस्व प्राप्ति और एक्सपेंडिचर में अंतर होता है। आमतौर पर किसी वित्त वर्ष के लिए सरकार राजस्व प्राप्ति और अपने खर्च का एक अनुमान लगाती है। लेकिन, जब उसका व्यय उसके अनुमान से बढ़ जाता है, तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है।
Primary Deficit यानि प्राथमिक घाटे को जानिए
देश के वित्तीय घाटे और ब्याज की अदायगी के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं। प्राथमिक घाटे के आंकड़े से इस बात का पता चलता है कि किसी भी सरकार के लिए ब्याज अदायगी कितनी बड़ी या छोटी समस्या है।
Fiscal policy यानि राजकोषीय नीति को समझिए
राजस्व के आय-व्यय से संबंधित सरकार के कार्य राजकोषीय नीति कहलाते हैं। इसे बजट के जरिए लागू किया जाता है। सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का यह सबसे प्रमुख साधन है।
Monetary Policy यानि मौद्रिक नीति क्या होती है?
अर्थव्यवस्था में धन की मात्रा में परिवर्तन करने के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से जो कदम उठाए जाते है उसे मौद्रिक नीति कहते है। इसके जरिए रिजर्व बैंक महंगाई को नियंत्रित करता है।
Inflation यानि मुद्रास्फीति का जानिए
मुद्रास्फीति महंगाई को कहते है। सामान्य कीमतों में होने वाली वृद्दि इसे पिछले मूल्य के प्रतिशत के रुप में दिखाया जाता है।
FDI यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है
किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारत स्थित किसी कंपनी में अपनी शाखा, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक कंपनी द्वारा निवेश करने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं।
GDP यानि सकल घरेलू उत्पाद
कल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है।
Capital Budget यानि पूंजी बजट
बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी का ब्यौरा पेश करते हैं, उसमें पूंजिगत आय भी शामिल होती है। यानी, इसमें सरकार द्वारा रिजर्व बैंक और विदेश बैंक से लिए जाने वाले कर्ज, ट्रेजरी चालानों की बिक्री से होने वाली आय के साथ ही पूर्व में राज्यों को दिए गए कर्जों की वसूली से आए धन का हिसाब पूंजी बजट का हिस्सा होता है।
Finance Bill यानि वित्त विधेयक को जानिए
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के नए करों का प्रस्ताव करते हैं। इसके तहत मौजूदा कर प्रणाली में किसी भी तरह के बदलाव का भी प्रस्ताव किया जाता है। संसद की मंजूरी के बाद ही इसे लागू किया जाता है।
GNP यानि सकल राष्ट्रीय उत्पाद
एक वर्ष के दौरान तैयार सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को, विदेशी नागिरकों द्वारा स्थानीय बाजार से अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।
इनपुट क्रेडिट को जानिए
कारोबारियों को डबल टैक्स से बचाने के लिए इनपुट क्रेडिट की सुविधा दी जाती है। इनपुट टैक्स क्रेडिट उसे कहते हैं, जब कच्चे माल के लिए दिए गए टैक्स को अंतिम उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में से घटाने की सुविधा मिले। यानी अगर आपने कच्चे माल पर कोई टैक्स दिया है, तो अंतिम उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में से आपको कच्चे माल पर लगने वाले टैक्स को घटाने की सुविधा मिलेगी और सिर्फ बचा हुआ टैक्स ही देना होगा।
कैपिटल गेन को समझिए
किसी चल-अचल संपत्ति, शेयर या बॉन्ड को बेचने से जो फायदा होता है उसे कैपिटल गेन कहा जाता है। यह दो तरह का होता है- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन। संपत्ति के मामले में अगर संपत्ति को 3 साल के बाद बेचा जाए तो उससे हुआ फायदा लॉन्ग टर्म गेन कहलाता है, जबकि उससे पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म गेन कहलाता है। शेयर और बॉन्ड के मामले में 1 साल से कम की अवधि में शेयर या बॉन्ड बेचने पर शॉर्ट टर्म कहलाता है, जबकि इससे अधिक की अवधि में लॉन्ग टर्म कहलाता है।
80सी की बचत क्या है?
आप अपनी आमदनी में से इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की एफ़डी, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे निवेशों में लगा सकते हैं, और ऐसे ही निवेशों को जोड़कर डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है। इस डेढ़ लाख रुपये को आपकी कुल आय में से घटा दिया जाता है और उसके बाद इनकम टैक्स का हिसाब लगाया जाता है।
सब्सिडी क्या होता है?
किसी सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है। भारत जैसे कल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) में इसका इस्तेमाल लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। केंद्र सरकार ने आजादी के बाद से अब तक विभिन्न रूपों में लोगों को सब्सिडी दे रही है, चाहे रसोई गैस सब्सिडी हो या फूड सब्सिडी। लेकिन, सरकार अब धीरे-धीरे सब्सिडी को खत्म करने की ओर कदम बढ़ा रही है।
Disinvestment यानि विनिवेश को समझिए
जब सरकार अपने संचालन की किसी कंपनी या संस्थान में अपनी हिस्सेदारी बेचती है, तो उसे विनिवेश कहा जाता है। इसका मतलब ये है कि सरकार अपने अधिकार वाली कंपनी में से हिस्सेदारी निजी कंपनियों या व्यक्ति को बेच देती है।
कम हो सकते हैं सोने के दाम, आम बजट पर टिकी हैं निगाहें