लोकसभा चुनाव 2019: उत्तराखंड में एसपी से गठबंधन के बाद बीएसपी बोली- हमारी सीधी लड़ाई बीजेपी से है
नई दिल्ली: बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नें उत्तर प्रदेश में महागठबंधन करने के बाद उत्तराखंड में भी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन कर लिया है। उत्तराखंड में गठबंधन होने के एक दिन बाद बहुजन समाज पार्टी ने मंगलवार को दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस के वोट नही काटेंगे। उनकी सीधी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के साथ है।
उत्तराखंड में इन सीटों पर लड़ेगी एसपी-बीएसपी
सपा-बसपा ने सोमवार को घोषणा की थी कि वो आगामी लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में भी मिलकर लड़ेंगे। समझौते के मुताबिक बीएसपी टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा.नैनीताल और हरिद्वार में उम्मीदवार खड़ें करेगी जबकि सपा पोड़ी गढ़वाल से चुनाव लड़ेगी। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने बताया कि उत्तराखंड बीएसपी में घोषणा के बाद उत्साह है और वो अपने सारे संसाधनो के साथ चुनाव में उतरेगी। हम निश्चित तौर पर ना सिर्फ कांग्रेस के वोट काटेंगे बल्कि भाजपा के वोट भी काटेंगे।
'चारों सीटों पर है वोट बैंक'
कुलदीप बालियान ने चार सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर बोलते हुए दावा किया कि हमारा चारों सीटों पर वोट बैंक है। इसमें चार में से तीन सीटें पहाड़ की हैं।यह कहना गलत होगा कि बसपा की हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में कुछ पकड़ है। अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और नैनीताल सीट में भी हमारे पास आधार है। इसके अलावा सपा के पास पौड़ी गढ़वाल सीट पर भी आधार है जहां से चुनाव लड़ती है। हमारा गठबंधन बीजेपी और कांग्रेस दोनों की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन राज्य में हमारी सीधी लड़ाई बीजेपी के खिलाफ है। समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सचान जो कि पार्टी की नेशनल वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं. उनका कहना है कि पार्टी के पास सूबे में जीतने का मौका है। लोग बीजेपी और कांग्रेस से थक चुके हैं।
'कांग्रेस-बीजेपी राज्य के मुद्दे उठाने पर फेल'
सत्यनारायण सचान ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के सांसद जीतने के के बाद उत्तराखंड के मुद्दे संसद में उठाने में नाकाम रहे हैं। हम मजबूती से राज्य के मुद्दे उठाएंगे। हम राज्य में अपने सारे संसाधन झोकेंगे। इसके मसाथ ही जल्द ही अपनी रणनीति को लेकर दोनों पार्टियां संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। वहीं दूसरी और कांग्रेस और भाजपा के नेताओं का ने गठबंधन के दावों को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि उनके वोट बैंक का कोई प्रभाव नहीं है। गौरतलब है कि पांच साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने देवभूमि में क्लीन स्वीप किया था। कांग्रेस,,सपा-बसपा को एक भी सीट इस चुनाव में नहीं मिली थी। वहीं विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा का खाता नहीं खुल पाया था।