मायावती ने किया नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध, बोलीं- संसदीय समिति को भेजा जाए बिल
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है और इस बिल को अगले हफ्ते सदन के पटल पर रखा जा सकता है। लेकिन इसके पहले ही इस विधेयक का विरोध होने लगा है। इस बिल का विरोध करने वाले दलों में बसपा भी शामिल हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को कहा कि पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक के मौजूदा स्वरूप के खिलाफ है।
मायावती ने मांग करते हुए कहा कि सरकार को इस विधेयक के पहलुओं पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक को संसदीय कमेटी को भेजने की भी मांग की। बसपा के अलावा इस बिल का विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने इसे संविधान की भावना के विपरीत बताते हुए कहा है कि नागरिकों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेद नहीं किया जाना चाहिए।
BSP Chief Mayawati: Party is against the current form of the Citizenship Amendment Bill (CAB), govt should reconsider aspects of the Bill and it should be sent to parliamentary committee. pic.twitter.com/hbon3AS2bC
— ANI (@ANI) December 5, 2019
इसके पहले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा था। ओवैसी ने नागरिकता बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में लिखा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। अगर देश धर्मनिरपेक्ष है और भाजपा इसे धार्मिक देश बनाना चाहती हैं तो यह उन पर निर्भर है। ओवैसी ने कहा कि नागरिकता बिल के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हो रहा है।
बता दें कि नए नागरिता संशोधन विधेयक में अरुणाचल और मणिपुर समेत चार राज्यों को छूट दी गई है। ये बिल संविधान की अनुसूची 6 पर लागू नहीं होगा। इस कारण इन 4 राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक से राहत मिली है। इनर लाइन परमिट क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर को अलग रखा गया है। इस बिल में पड़ोसी मुल्कों से शरण के लिए आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।