अमित शाह के 'एक देश एक जुबान' वाले बयान पर बीजेपी के अंदर भी तूफान, येदियुरप्पा ने कही बड़ी बात
नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने हिंदी को देश की भाषा बनाने की बहस के बीच बड़ा बयान दिया है। दरअसल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हिंदी भाषा को देश की पहचान बनाने की वकालत की थी, जिसके बाद येदियुरप्पा ने इस बारे में अपना रुख साफ जाहिर करते हुए हिंदी को ना कह दिया है। येदियुरप्पा ने कहा कि सभी आधिकारिक भाषा हमारे देश में समान हैं, लेकिन जहां तक कर्नाटक की बात है कन्नड़ हमारी मुख्य भाषा है। हम कभी भी इसकी महत्ता से समझौता नहीं करेंगे, हम कन्नड़ भाषा और हमारी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
येदियुरप्पा भी विरोध में
कर्नाटक में अक्सर कन्नड़ ऑर्गेनाइजेशन खुद की पहचान को लेकर सड़क पर उतरते रहते हैं। जिस तरह से नौकरी में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने की मांग हो रही है, उस बीच मुख्यमंत्री ने कहा था कि कन्नडिगा को प्रदेश में नौकरी में बड़ा आरक्षण मिलना चाहिए। बता दें कि जिस तरह से अमित शाह ने हिंदी भाषा को देश को मुख्य भाषा बनाने की बात कही और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बनाने की वकालत की थी, उसका सबसे पहले विरोध केरल के मुख्यमंत्री पीनारयी विजयन ने किया था।
केरल के मुख्यमंत्री ने खोला था मोर्चा
पिनारयी ने ट्वीट करके कहा था कि यह भाषा बाहुल्य भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। उन लोगों पर हिंदी भाषा को थोपना उन्हें अपना गुलाम बनाने जैसा है। केंद्रीय मंत्री का बयान हिंदी बौलने वाले और हिंदी नहीं बोलने वालों के बीच तनाव पैदा करने वाला है। इससे पहले सोमवार को फिल्म अभिनेता कमल हासन ने भी अमित शाह के बयान की आलोचना की थी और उन्होंने कहा था कि विविधता में ही एकता है, इसी वादे के साथ हम एक गणतंत्र हुए थे। अब कोई शाह, सुल्तान या सम्राट उस वादे को तोड़ नहीं सकता है।
येचुरी ने भी की आलोचना
यही नहीं वरिष्ठ लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने भी शाह के बयान की आलोचना करते हुए कहा था कि यह विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का है जोकि वैचारिक रूप से भाजपा की मार्गदर्शक है, भाजपा देश पर हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर थोपना चाहती है। येचुरी ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा है एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
|
क्या कहा था शाह ने
बता दें कि अमित शाह ने ट्वीट करके कहा था कि आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूँ कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्प्न को साकार करने में योगदान दें। भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।
इसे भी पढ़ें- सरदार सरोवर बांध के 56 साल की कहानी: सपना नेहरू का, पूरा किया मोदी ने