कत्थई बिंदी-लिपस्टिक वाली और बिना बालों की 'दुल्हन'
एक कैंसर सर्वाइवर के तौर पर मैंने हमेशा उस शख़्स से शादी करने का सपना देखा जिससे मैं प्यार करती हूं. मैंने दुल्हन जैसी दिखने का सपना देखा, दुल्हन जैसा महसूस करने का सपना देखा. कैंसर के इलाज के दौरान (कीमोथेरेपी वगैरह) अपने बालों को खोना मेरे लिए अब तक की सबसे मुश्किल चीज़ रही है. मुझे ऐसा लगा कि मैं इतनी ख़ूबसूरत नहीं हूं कि कोई मुझसे प्यार करे. मुझे लगा मैं कभी भी दुल्हन जैसी दिखने या दुल्हन जैसा महसूस करने के लायक ख़ूबसूरती हासिल नहीं कर पाऊंगी.
माथे पर कत्थई बिंदी, होठों पर कत्थई लिपस्टिक के बीच खिलती उजली मुस्कुराहट, हाथों-पैरों पर रची कत्थई मेंहदी और कत्थई साड़ी में सजी बेहद ख़ूबसूरत दुल्हन. आप सोच रहे होंगे कि इसमें ख़ास या नया क्या है? हर दुल्हन ही अपने-आप में ख़ूबसूरत लगती है. आपकी बात ठीक है, मगर आपने इस दुल्हन के बारे में अभी पूरी बात नहीं सुनी है.
इस दुल्हन के बालों में करीने से बना ख़ुशबूदार फूलों का जूड़ा नहीं है, इसने चोटी भी नहीं की है और ना ही खुले बालों में कोई और हेयरस्टाइल बनाया है. इस दुल्हन के सिर पर बाल न के बराबर हैं...
इस दुल्हन का नाम है वैष्णवी पूवेंद्रन पिल्लै. इनके करीबी इन्हें प्यार से नवी बुलाते हैं. इंस्टाग्राम पर भी इनका नाम नवी इंद्रन पिल्लै है. नवी का परिवार मूल रूप से तमिलनाडु से है लेकिन वो कई पीढ़ियों से मलेशिया में रह रहे हैं. नवी भी इस वक़्त मलेशिया में ही हैं.
नवी कैंसर सर्वाइवर हैं. उन्होंने अपनी अब तक की ज़िंदगी में दो बार कैंसर को हराया है. एक बार स्तन कैंसर और एक बार लिवर-बैकबोन कैंसर को. हाल भी में उन्होंने कीमोथेरेपी का आख़िरी सेशन लिया था इसलिए उनके सिर के पूरे बाल जा चुके हैं.
दुनिया का हर शख़्स अपनी शादी के दिन सबसे ख़ूबसूरत दिखना चाहता है और वो इसके लिए भरपूर कोशिश भी करता है लेकिन कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए ये इतना आसान नहीं होता. ख़ासकर कैंसर का सामना कर रही औरतों के लिए लिए ये और ज़्यादा मुश्किल हो जाता है.
उनके स्तन हटाए जा चुके होते हैं, कीमोथेरेपी में सिर के बाल गिर चुके होते हैं और शरीर मुरझा चुका होता है.
नवी के लिए भी ये आसान नहीं था लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे वो इंटरनेट पर तो छा ही गईं, साथ ही कैंसर से जूझ रहे न जाने कितने लोगों के लिए हौसले की वजह बन गईं.
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नवी दुल्हन के लिबास में सजकर बाक़ायदा ब्राइडल फ़ोटोशूट कराया. इस ब्राइडल फ़ोटोशूट की सबसे प्यारी बात ये है कि उन्होंने किसी तस्वीर में अपने बिना बालों वाले सिर को ढंकने की ज़रा भी कोशिश नहीं की है. तस्वीरों में या तो उनका सिर बिल्कुल खुला है या फिर उस पर एक झीनी सी ओढ़नी है जिसमें उनका सिर साफ़ नज़र आ रहा है.
इस फ़ोटोशूट की एक और प्यारी बात ये है कि किसी तस्वीर में नवी के चेहरे पर ग़म की हल्की सी भी लकीर नहीं दिखती. तस्वीरों में उनके चेहरे पर या तो खिलखिलाती हंसी है या भीनी सी मुस्कुराहट, या फिर अपने सपनों को अंजाम देने का गर्व.
उन्होंने अपनी ये तस्वीरें इंस्टाग्राम पर पोस्ट की हैं और साथ में ऐसी बातें लिखीं हैं जो किसी को भी संघर्ष का दामन थामे रखने का हौसला देंगी.
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बीबीसी ने नवी से बात की और उनकी पूरी कहानी विस्तार से जानी. तो पेश है नवी की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी:
मैं 28 साल की भारतीय लड़की हूं जो अपने परिवार के साथ मलेशिया में रहती है. मेरे परिवार में मेरे माता-पिता और बड़ी बहन है. मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, कुछ साल बतौर इंजीनियर काम भी किया है.
मुझे भरतनाट्यम डांस का बहुत शौक़ है. मुझे खाना बनाने और कर्नाटक संगीत भी बहुत पसंद है. मैं घूमने-फिरने और दोस्त बनाने की शौक़ीन हूं. मुझे मेकअप करना और सजना-संवरना भी बहुत पसंद है.
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साल 2013 में मुझे अपने स्तन कैंसर का पता चला. ज़ाहिर है, मैं बहुत सदमे में थी. इससे पहले तक मैं ज़िंदगी को गंभीरता से नहीं ले रही थी लेकिन कैंसर का पता चलते ही सबकुछ बदल गया. मैं डरी हुई तो थी लेकिन फिर भी मन में भरोसा था कि इससे उबर जाऊंगी.
कुछ सालों के इलाज के बाद मैं ठीक भी हो गई लेकिन साल 2018 में मेरा कैंसर फिर लौट आया. इस बार स्तन कैंसर मेरी रीढ़ की हड्डी और लिवर में फैल चुका था. अब मैं बेहद डर गई थी. ऐसा लगा जैसे कि या तो मैं ज़िंदा रहने के लिए पूरी जान लगा दूं या फिर मौत के सामने आत्मसमर्पण कर दूं.
कैंसर इंसान को शारीरिक और भावनात्मक तौर पर तोड़कर रख देता है. इससे न सिर्फ़ मरीज़ को दर्द होता है बल्कि उसके परिवार के लोग और करीबियों को भी बेइंतहां तकलीफ़ से गुज़रना पड़ता है. मलेशिया के सरकारी अस्पतालों में कैंसर के इलाज के लिए कुछ ख़ास सुविधाएं नहीं हैं इसलिए मुझे एक प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ा. इस दौरान हमें आर्थिक दिक्कतों से भी दो-चार होना पड़ा.
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कैंसर में आपका शरीर और मन पूरी तरह बदल जाता है. इस नए शरीर और नए मन से तालमेल बिठाने में बहुत तकलीफ़ होती है. अब तक मैंने कीमोथेरेपी के 16 सेशन लिए हैं.
मैं डिप्रेशन का शिकार हो गई थी और नकारात्मकता ने मुझे घेर लिया था. परिवार के लोग और कुछ दोस्त तो मेरे साथ थे लेकिन ऐसा लगता था कि बाकी दुनिया मुझसे दूर हो रही थी. कैंसर और डिप्रेशन को लेकर मलेशियाई समाज में भी शर्मिंदगी और हिचकिचाहट का माहौल है. इसलिए मेरे माता-पिता ने मुझे किसी से अपने कैंसर और डिप्रेशन बारे में बात करने से मना कर दिया था.
उन्हें लगता था कि अगर मैं लोगों को मेरी बीमारियों के बारे में पता चलेगा तो वो मुझसे दूर हो जाएंगे, कोई लड़का मुझे डेट नहीं करेगा, मेरी शादी के लिए अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा.
बावजूद इसके मैंने बग़ावत की और इंस्टाग्राम पर अपने कैंसर के बारे में पोस्ट करने लगी. मुझे लोगों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और मेरा हौसला बढ़ने लगा.
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ये सब चल ही रही था और एक दिन मैं बिस्तर पर लेटी नेटफ़्लिक्स पर कोई फ़िल्म देख रही थी. अचानक ही मेरे मन में ख़याल आया कि क्यों न मैं दुल्हन बनकर ब्राइडल फ़ोटोशूट कराऊं. मैं नहीं जानती थी कि कभी मुझे प्यार मिलेगा या नहीं, मेरी शादी होगी या नहीं...लेकिन मैं अपने इस सपने को पूरा करना चाहती थी.
इसके तुरंत बाद मैंने फ़ोटोग्राफ़रों और मेकअप आर्टिस्टों से इस बारे में बात की. उन्हें मेरा आइडिया बहुत पसंद आया और वो इसके लिए तैयार हो गए. जब मैं फ़ोटोशूट करा रही थी तब मुझे अंदाज़ा नहीं था कि ये इस क़दर वायरल हो जाएगा. हालांकि मेरे दिल में कहीं न कहीं ये हसरत ज़रूर थी कि मेरी कहानी और तस्वीरें ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं तक पहुंचें. ख़ुशकिस्मती से ऐसा ही हुआ.
फ़ोटोशूट इंस्टाग्राम पर आने के बाद मुझे हज़ारों मेसेज आए. इनमें से बहुत से मेसेज कैंसर से जूझ रही लड़कियों के थे. ये सब मुझे बहुत ख़ुशी देता है.
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अगर बात ख़ूबसूरती की करें तो सच्चाई ये है कि असलियत की ठोकरें लगने पर 'ख़ूबसूरती देखने वालों की आंखों में बसती है' वाली कहावत कई बार किताबी और बेमानी लगती है. लेकिन ये पूरी तरह से झूठ भी नहीं है. अगर आप ख़ूबसूरत महसूस करेंगे तो ख़ूबसूरत ही लगेंगे. ख़ूबसूरती सिर्फ़ ख़ुद को प्यार करने और ख़ुद पर भरोसा करने का नाम है.
अभी फ़िलहाल मैं सिंगल हूं. वैसे मैं किसी से प्यार करती हूं. मैं उसके साथ रिलेशनशिप में थी लेकिन अब हमारा ब्रेकअप हो गया है. अच्छी बात ये है कि ब्रेकअप कैंसर की नहीं, बल्कि किसी और वजह से हुआ. मैं आज भी उससे बहुत प्यार करती हूं. मुझे प्यार पाने की चाहत भी है और उम्मीद भी.
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नवी ने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें पोस्ट करने के अलावा एक प्यारी सी चिट्ठी भी लिखी है, जिसका एक अंश कुछ इस तरह है:
कैंसर का इलाज हमारी ज़िंदगियों में तमाम तरह की बंदिशें लगा देता है. ये हमसे हमारी ख़ूबसूरती लूट लेता है, हमारा आत्मविश्वास छीन लेता है. जब हम सब छोटी बच्चियां होती हैं, अपने शादी वाले दिन के बारे में सोचते हैं, सोचते हैं कि हम दुल्हन बनकर कैसे लगेंगे. लेकिन कैंसर हमें अपने ये सपने पूरे करने से रोकने लगता है. बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो कैंसर की वजह से अपनी शादी या तो टाल देती हैं या कैंसल कर देती हैं.
एक कैंसर सर्वाइवर के तौर पर मैंने हमेशा उस शख़्स से शादी करने का सपना देखा जिससे मैं प्यार करती हूं. मैंने दुल्हन जैसी दिखने का सपना देखा, दुल्हन जैसा महसूस करने का सपना देखा. कैंसर के इलाज के दौरान (कीमोथेरेपी वगैरह) अपने बालों को खोना मेरे लिए अब तक की सबसे मुश्किल चीज़ रही है. मुझे ऐसा लगा कि मैं इतनी ख़ूबसूरत नहीं हूं कि कोई मुझसे प्यार करे. मुझे लगा मैं कभी भी दुल्हन जैसी दिखने या दुल्हन जैसा महसूस करने के लायक ख़ूबसूरती हासिल नहीं कर पाऊंगी.
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बालों को हम औरतों के लिए 'ताज' जैसा माना जाता है और इस ताज का आपसे छीना जाना आपको बर्बाद कर देता है. लेकिन मेरे पास जो कुछ था मैंने उसे स्वीकार करने और उसकी तारीफ़ करने का फ़ैसला लिया. मैंने आने वाले वक़्त का स्वागत करने का फ़ैसला किया. तो लीजिए, हाज़िर है- बोल्ड इंडियन ब्राइड (बहादुर भारतीय दुल्हन).