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वर्ल्ड बुक फेयर, फिल्मी किताबों की तगड़ी सेल, हिन्दी का मतलब साहित्य

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला) दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले में सिनेमा की किताब ‘दिल्ली फोर शोज' की जिस तरह से आज बिक्री होती दिखी,उससे लगा कि नौजवान पाठक साहित्य से ज्यादा फिल्मी किताब पढ़ना चाहता है। आज दिल्ली फोर शोज के लेखक जिया उस सलाम अपने पाठकों के सामने थे। पाठक सवाल पूछ रहे थे। वे जवाब दे रहे थे। सवाल फिल्मों के बदलते मिजाज से लेकर मल्टीपलेक्स में फिल्म देखने से संबंधित थे।

Book Fair

बातचीत का सिलसिला खत्म हुआ तो उनकी किताब की करीब 100 प्रतियां तुरंत बिक गईं। नेशनल बुक ट्रस्ट की यामिनी ने बताया कि नौजवान पाठक सिनेमा की किताबों में दिलचस्पी लेते हैं। कुछ समय पहले दिलीप कुमार पर उदय तारा नायर की लिखी पुस्तक की तगड़ी सेल हुई थी।

काम की किताबें

इस बीच, वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल ने कहा कि वे पिछले दो दिन से लगातार जा मेले में जा रहे हैं। मगर एक भी काम की किताब नहीं मिली। वर्नाक्यूलर भाषाओं का मंडप हाल नंबर 12 है। वहां पर हिंदी में कथा, कहानी और कविता व गीत की किताबों की तो भरमार है लेकिन एक भी ढंग की किताब इतिहास, भूगोल व समाजशास्त्र तथा धर्म के समाजशास्त्रीय अध्ययन की नहीं मिली।

साहित्य ही साहित्य

राजकमल से लेकर हिन्द पाकेट बुक्स के स्टाल में साहित्य की पुस्तकें ही हैं। उर्दू और संस्कृत के स्टाल पर गीता और कुरान के असंख्य संस्करण थे। वे सवाल पूछते हैं कि क्या हिंदी का मतलब फिक्शन और संस्कृत, उर्दू का मतलब बस धर्म भर रह गया है। यह एक गंभीर प्रश्न है और भाषा के एजेट्स को इस पर विचार करना चाहिए।

एक और सज्जन ने कहा कि मेले में अंग्रेजी में ज्ञान, विज्ञान, इतिहास और भूगोल सब की पुस्तकें उपलब्ध हैं। पर हिंदी में नहीं हैं। वे इसकी वजह तलाश रहे थे।

Comments
English summary
Brisk sale from filmi books in book fair. There are not many takers for Hindi books.
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