स्टडी में बड़ा खुलासा, भारत में टीके लगवाने वालों में ज्यादा हो सकता है ब्रेकथ्रू इंफेक्शन
नई दिल्ली, जून 05: देश में कोरोना संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन का काम 16 जनवरी से शुरू हो गया था। देश में तीसरे चरण का टीकाकरण चल रहा है, जिसमें 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है। इस बीच भारत के अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में कोविड -19 के ब्रेकथ्रू इंफेक्शन की दर 1.6% पाई गई, जबकि शीर्ष सरकारी एजेंसियों की ओर से एक अन्य ने B.1617.2 वैरिएंट को एक कारण माना है। दिल्ली में इस तरह के मामले सबसे ज्यादा हैं।
12,248 हेल्थ वर्कर्स थे शामिल
वैक्सीन की दूसरी खुराक दिए जाने के दो सप्ताह बाद एक व्यक्ति का पूर्णत टीकाकरण माना जाता है। इस स्टडी को पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में किया गया था, जो प्रतिष्ठित द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुआ है। इसमें 12,248 हेल्थ वर्कर्स थे, जिनमें से 7170 को टीके की पहली खुराक मिली थी और 3650 को बाद में दूसरी खुराक मिली। इसके अलावा कुल 5078 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों का टीकाकरण नहीं हुआ था, जबकि बाकी सभी को कोविशील्ड की डोज मिली थी।
औसत समय का रिसर्च पर फोकस
रिसर्च में पाया कि 7170 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों (2.6%) में से कुल 184 ने टीके की कम से कम एक खुराक प्राप्त करने के बाद पॉजिटिव टेस्ट किया और पहली खुराक प्राप्त करने और सकारात्मक परीक्षण के बीच का औसत समय 44 दिनों का था। दूसरी ओर 3650 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों में से कुल 72 (2%) ने दूसरी खुराक के बाद सकारात्मक परीक्षण किया और दूसरी खुराक की प्राप्ति से सकारात्मक परीक्षण तक का औसत समय 20 दिन था।
ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के मामले आए सामने
हेल्थ वर्कर्स में जिन्होंने दोनों खुराक प्राप्त की और दूसरी खुराक के बाद कम से कम 14 दिनों का गैप पूरा किया। ब्रेकथ्रू इंफेक्शन की घटनाएं 1.6% (3000 स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों में से 48) और दूसरी खुराक प्राप्त करने का औसत समय ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के लिए खुराक 29.5 दिन था। ये निष्कर्ष 47 ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के मामलों के तुरंत बाद आते हैं। 0.5% की दर से अमेरिका के एक अस्पताल से स्वास्थ्य कर्मियों के बीच रिपोर्ट किए गए थे, जिन्हें फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्न द्वारा पूरी तरह से कोविड -19 टीके लगाए गए थे। बता दें कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का मतलब होता है कि अगर वैक्सीन की दो डोज के बाद भी संक्रमण की परेशानी का होना।
हाई ब्रेकथ्रू रिस्क का सुझाव
भारत में एक उभरते हुए शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 संस्करण के जीनोमिक लक्षण वर्णन और महामारी विज्ञान में अपने पेपर में उल्लेख किया था कि यह ध्यान दिया जाता है कि जब जनसंख्या प्रसार की तुलना में बी.1.617.2 का अधिक प्रतिनिधित्व किया गया था और बी.1.1.7 को टीकाकरण सफलताओं में भी नहीं पाया गया था, जो बी.1.1 की तुलना में बी.1.617.2 के हाई ब्रेकथ्रू रिस्क का सुझाव देता है।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दी जा रही खुराक
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली, सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और एकेडमी फॉर साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में कोविड -19 की दूसरी लहर को जीनोमिक रूप से समझने के लिए किए गए एक अलग वैज्ञानिक शोध में ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के कुल 27 मामले देखे गए। इन मामलों में, B.617.1 वैरिएंट को 8 % ब्रेकथ्रू इंफेक्शन में देखा गया था और 76 % मामले B.1.617.2 वैरिएंट के कारण हुए थे। इस वैरिएंट को अब कहीं अधिक पारगम्य माना जाता है और अन्य प्रकारों की तुलना में प्रतिरक्षा से बचने में सक्षम है। भारत में दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साथ एक Covid19 टीकाकरण अभियान चल रहा है, इसके बावजूद लोगों को कोविड -19 से बचाने की उनकी क्षमता के बारे में कुछ चिंताएं हैं, विशेष रूप से प्रचलन में वायरस के नए रूपों के मद्देनजर।
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