रिपब्लिक टीवी संपादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज दोनों FIR पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाई रोक
नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णव गोस्वामी के खिलाफ दर्ज दोनों प्राथमिकी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। अर्णब के खिलाफ पहली प्राथिमकी में पालघर लिंचिंग पर उनके कवरेज लेकर दर्ज कराया गया था, जिसमें उन पर कथित रूप से साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप लगाया गया था, जबकि दूसरी प्राथमिकी मुंबई के बांद्रा रेलवे में प्रवासी कामगारों के जमा होने को लेकर मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंडपीठ ने कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मुकदमा नहीं बनता है। पीठ ने आदेश दिया कि अर्नब के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने गत 12 जून को याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा था।
रिपब्लिक टीवी मालिकाना हक पर अर्णब गोस्वामी ने दिया जवाब
FIR राजनीति से प्रेरित थी, महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने पर लगी
अर्णब गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मिलिंद साठे ने कोर्ट से कहा था कि एफआईआर राजनीति से प्रेरित थी और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के परिणाम स्वरूप दर्ज की गई थी। वहीं, महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत प्रेस की स्वतंत्रता में सांप्रदायिक प्रचार करने का अधिकार शामिल नहीं है।
IPC की विभिन्न धाराओं के तहत अर्णब गोस्वामी के खिलाप मामला दर्ज हुआ
रिपब्लिक टीवी संपादक गोस्वामी पर आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 153 बी, 295 ए, 298, 500, 504, 505 (2), 506, 120 बी और 117 के तहत मामला दर्ज किया गया था। साल्वे ने धारा 153 बी के माध्यम से प्रतिवाद किया और कोर्ट से कहा कि उपरोक्त धारा के तहत कोई अपराध नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबाआई को ट्रांसफर करने की याचिका खारिज की
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी द्वारा कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने FIR को रद्द करने की उनकी प्रार्थना को भी खारिज करते हुए कहा था कि अनुच्छेद 32 के तहत FIR पर कोई सुनवाई नहीं हो सकती।
अर्णब के खिलाफ दर्ज कई FIR को एक साथ मुंबई में ट्रांसफर किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के पास सक्षम अदालत के समक्ष उपाय अपनाने की स्वतंत्रता है। हालांकि सुनवाई कर रही जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने गत 24 अप्रैल को पारित पहले के अंतरिम आदेश की पुष्टि की थी, जिसमें कई FIR को एक साथ कर मुंबई में ट्रांसफर किया गया था। पीठ ने एफआईआर पर फैसला सुनाने तक के लिए कठोर कार्रवाई से अर्णव गोस्वामी को अंतरिम सुरक्षा भी प्रदान की थी।
मुंबई पुलिस ने कथित विवादित बयान मामले में अर्णब को भेजा था नोटिस
मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में कथित विवादित बयान देने संबंधी मामले में नोटिस भेजा था। सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत भेजे गए इस नोटिस में उन पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने का आरोप था। उन्हें सोमवार सुबह 9 बजे पुलिस के सामने पेश होने कहा गया था।
सोनिया पर बयान वाले केस में मुंबई पुलिस पूछताछ करना चाहती हैः अर्णब
अर्णब ने बयान जारी कर कहा था कि सोनिया पर बयान वाले केस में मुंबई पुलिस मुझसे पूछताछ करना चाहती है, ये कहते हुए मुझे उसने 12 घंटों में दो नोटिस भेजे हैं। कानून के तहत बाध्य नागरिक होने के नाते मैं जांच में सहयोग करूंगा। साथ ही अपील है कि पुलिस ऐसी ही तेजी मुझ पर और मेरी पत्नी पर हुए हमले (23 अप्रैल को) के केस में भी दिखाए।
पत्रकार अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने की 12 घंटे पूछताछ
अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने 12 घंटे लंबी पूछताछ की थी। यह पूछताछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर उनके द्वारा की गई टिप्पणियों पर FIR दर्ज कराने के बाद की गई थी। अर्णब ने पालघर मॉब लिंचिंग पर शो करते हुए सोनिया गांधी को उनके इटालियान नाम से संबोधित किया था।
महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग की घटना पर अर्णब किया था डिबेट
महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर डिबेट के दौरान अर्णब गोस्वामी ने कहा था कि सोनिया गांधी को लेकर कई बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि इस घटना पर वो चुप हैं और शायद अंदर ही अंदर खुश हैं।