अशांति फैलाने के आरोप में बॉम्बे कोर्ट ने जाकिर नाईक को राहत देने से किया इनकार
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सांप्रदायिक अशांति फैलाने और अवैध गतिविधियां चलाने के आरोपों का सामना कर रहे विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक को राहत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उसने जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी या इच्छा नहीं दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि, उन्होंने जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने में कोई इच्छा नहीं दिखाई है। बॉम्बे हाईकोर्ट में जाकिर नाईक ने एनआईए की चार्जशीट को चुनौती दी थी। जिसे कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पासपोर्ट संस्पेंड ना करने की जाकिर की मांग को भी मानने से इंकार कर दिया। बता दें कि नाईक ने यह भी अनुरोध किया था कि उसके पासपोर्ट के निरसन का आदेश रद्द करने का विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया जाये।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा,'याचिका में मांगी गयी अन्य राहतों के संदर्भ में हमें यह नजर नहीं आता कि यह अदालत कैसे इन बिन्दुओं पर विचार कर सकती है जबकि याचिकाकर्ता जांच एजेंसियों के सामने पेश ही नहीं हुआ। हाई कोर्ट ने कहा कि आदर्श स्थिति तो यह है कि नाईक को भारत आना चाहिए था और जांच एजेंसियों के सामने पेश होना चाहिए, अगर वह ऐसा करते तो बात इतनी आगे नहीं बढ़ती। याचिकाकर्ता की गैरहाजिरी में हम कैसे ऐसी याचिकाओं पर विचार कर सकते हैं।