क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

HC के फर्जी आदेश से बैंक अकाउंट से 51 लाख रुपये निकालने की थी कोशिश, जज को लग गई भनक

Google Oneindia News

नई दिल्ली- बॉम्बे हाई कोर्ट के जाली आदेश के इस्तेमाल से बैंक खातों से 51 लाख रुपये निकालने की बड़ी साजिश रची गई थी। लेकिन, दो वकीलों की सजगता से इस जालसाजी का समय रहते ही खुलासा हो गया। दोनों वकीलो ने समय रहते संबंधित जज जस्टिस गौतम पटेल को इसकी सूचना दे दी। अब जस्टिस पटेल ने उनके नाम से फर्जी आदेश जारी होने के मामले की तहकीकात के लिए एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने उस जाली आदेश को पहले ही पूरी तरह से फर्जी घोषित कर दिया है और इस मामले में एक याचिकाकर्ता और एक वकील को सफाई देने के लिए तलब किया है। यही नहीं जस्टिस पटेल ने जांच पूरी होने तक संबंधित बैंक अकाउंट को फ्रीज करने का भी आदेश दिया है। पूरा मामला संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा हुआ है। लेकिन, जिस तरह से इसके लिए हाई कोर्ट के जाली आदेश का इस्तेमाल करने की कोशिश की गई है, उससे इसके पीछे बहुत बड़े खेल की बू आ रही है और इसीलिए जस्टिस पटेल ने इसकी गहराई से जांच के भी आदेश दिए हैं।

अपने नाम के जाली आदेश से सकते में जज साहब

अपने नाम के जाली आदेश से सकते में जज साहब

एक बड़े दर्जे के फर्जीवाड़े की वजह से इन दिनों बॉम्बे हाई कोर्ट के एक जज भी सकते में हैं। जस्टिस गौतम पटेल को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जिस मामले को वह न जानते हैं और न ही उनके पास कभी सुनवाई के लिए लाया गया, उसमें उनके नाम से आदेश कैसे जारी हो गया? जस्टिस पटेल के नाम से जारी उस आदेश में बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑफिशियल वॉटरमार्क का भी इस्तेमाल किया गया है। जस्टिस पटेल को इस फर्जीवाड़े की भनक भी नहीं लगती, अगर दो वकीलों को उस आदेश पर संदेह नहीं होता। सबसे बड़ी बात तो ये है कि 1 दिसंबर, 2019 को जिस दिन यह फर्जी आदेश जारी किया गया था, उस दिन रविवार था और जज साहब ने कोई अदालती कार्रवाही भी नहीं की थी।

जाली आदेश से 51 लाख निकालने की थी कोशिश

जाली आदेश से 51 लाख निकालने की थी कोशिश

मामला दो बैंक अकाउंट में जमा 51 लाख रुपये की निकासी की कोशिश से जुड़ा है। दरअसल, केस पार्थ गोराडिया नाम के शख्स के एक उत्तराधिकार याचिका से संबंधित है। गोराडिया ने अपने मृत चचेरे दादा सतीशचंद्र गोराडिया की संपत्ति पर कब्जे के लिए दावा ठोका है, जिनके बेटे मितेश की भी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। उसी उत्तराधिकार याचिका के एक हिस्से के तौर पर दो टर्म डिपॉजिट के इस्तेमाल करने का अधिकार देने वाला वह 1 दिसंबर का जाली आदेश भी लगाया गया था, जिसपर जस्टिस गौतम पटेल का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। जब उत्तराधिकार याचिका को देख रहे दो वकीलों उमेश मोहिते और हीतल पांड्या को जस्टिस गौतम के नाम से आदेश (जो कि जाली है) की कॉपी मिली और उन्हें शक हुआ तो वह उसकी पुष्टि करने के लिए जज साहब के दफ्तर पहुंच गए।

जज ने दिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश

जज ने दिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश

हाई कोर्ट के जज के जाली आदेश की कॉपी देखकर उनके स्टाफ का भी माथ ठनक गया। उन्हें आदेश की फॉर्मेंटिंग देखकर ही संदेह हो गया कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। आदेश की फॉन्ट, लाइन स्पेसिंग सब अलग था, जो कि जस्टिस गौतम पटेल कभी इस्तेमाल ही नहीं करते। आदेश में कोई पेज नंबर भी नहीं लिखा था। जब दोनों वकीलों ने जज साहब को सूचना दी तो उन्होंने दोनों को औपचारिक शिकायत दर्ज कराने को कहा। मंगलवार को जस्टिस पटेल ने बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।

न वह वकील मिला, न कोई मुकदमा

न वह वकील मिला, न कोई मुकदमा

दोनों वकीलों की शिकायत के मुताबिक पार्थ गोराडिया वसीयतनामा की अर्जी दाखिल करने के लिए फरवरी के पहले हफ्ते में उनके पास आए थे। उनके चचेरे दादा की इसी साल जनवरी में मौत हो गई थी और वो उनके एस्टेट पर कब्जा चाहते हैं, क्योंकि उनके बेटे की पहले ही मौत हो चुकी है। शिकायत के मुताबिक पार्थ ने बताया था कि उनके चचेरे दादा ने अपने बेटे की संपत्ति पर उत्तराधिकार प्रमाणपत्र पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए किसी अशोक वगेरिया नाम के वकील को रखा था। लेकिन, जब वकील पांड्या और मोहिते ने हाई कोर्ट की वेबसाइट पर उस केस के बारे में पता किया तो कुछ भी नहीं मिला और न ही अशोक वगेरिया का कोई वकील ही वहां रजिस्टर्ड है। यही नहीं पार्थ ने 5 फरवरी को जस्टिस पटेल की उस जाली आदेश की कॉपी भी वॉट्सऐप पर भेजी थे।

अकाउंट फ्रीज करने का निर्देश

अकाउंट फ्रीज करने का निर्देश

जांच और वकीलों की शिकायत के आधार पर जस्टिस पटेल ने पिछले 15 फरवरी को एक आदेश जारी कर कहा कि 'सारा दस्तावेज एक जालसाजी है।' उन्होंने अपने आदेश में लिखा, 'ऐसा कोई आदेश नहीं है।' इस दौरान जस्टिस पटेल ने उस जाली आदेश की फॉर्मेटिंग को लेकर एक गंभीर टिप्पणी भी की है कि संभव है कि पूरा दस्तावेज किसी कोर्टरूम के टर्मिनल का ही इस्तेमाल कर बनाया गया हो, जिसकी जांच की जरूरत है। उन्होंने रजिस्ट्रार (लीगल एंड रिसर्च) को जांच पूरी होने तक टर्म डिपोजिट वाल अकाउंट को भुनाने से रोकने के लिए फ्रीज करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने उस वकील वगेरिया और पार्थ गोराडिया को भी जाली दस्तावेज के बारे में बताने के लिए समन भेजा है।

इसे भी पढ़ें- Voter Id से जुड़ेगा Aadhaar, चुनाव आयोग को कानूनी अधिकार देगी सरकारइसे भी पढ़ें- Voter Id से जुड़ेगा Aadhaar, चुनाव आयोग को कानूनी अधिकार देगी सरकार

Comments
English summary
Preparations were made to withdraw Rs 51 lakh from the fake order of Bombay High Court, the judge got a sense of forgery
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X