उर्मिला मातोंडकर ने CAA को बताया काला कानून, अंग्रेजों के समय में आए रॉलेट एक्ट से की तुलना
पुणे। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में ना केवल आम लोग बल्कि कई बॉलीवुड हस्तियों ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। कई हस्तियों ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा भी लिया है। अब अभिनेत्री से राजनेता बनीं उर्मिला मातोंडकर ने इस कानून को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने सीएए की तुलना अंग्रेजों के समय में आए रॉलेट एक्ट से की।
'सीएए गरीबों के खिलाफ है'
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर पुणे में आयोजित कार्यक्रम में पहुंची उर्मिला ने कहा, '1919 में आया रॉलेट एक्ट और 2019 में आया सीएए दोनों को इतिहास में काले कानून के तौर पर याद किया जाएगा। सीएए गरीबों के खिलाफ है। जैसा कि कहा जा रहा है कि ये कानून मुस्लिम विरोधी भी है। हम ऐसा कानून नहीं चाहते जो धर्म के आधार पर मेरी पहचान और नागरिकता का पता लगाता हो। यह हमारे संविधान में है कि आप धर्म, भाषा, लिंग या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते।'
'महात्मा गांधी हिंदुत्व के सच्चे अनुयायी थे'
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी हिंदुत्व के सच्चे अनुयायी थे और जिस आदमी (नाथूराम गोडसे) ने उन्हें गोली मारी वो भी हिंदू था। हम सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे। अभिनेत्री ने आगे कहा, 'साल 1919 में दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद अंग्रेजों को पता था कि हिंदुस्तान में असंतोष फैल रहा है और ये असंतोष बाहर आने वाला है इसलिए वो एक कानून लेकर आए थे। उस कानून के मुताबिक किसी भी शख्स को देश विरोधी गतिविधियां करने पर बिना किसी पूछताछ और सबूत के जेल में डालने की अनुमति सरकार को थी।'
बॉलीवुड के कई लोगों ने किया CAA का विरोध
गौरतलब है कि उर्मिला के अलावा कई बॉलीवुड सितारों ने भी सीएए-एनआरसी का विरोध किया है। जिनमें अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू, ऋचा चड्ढा, अली फजल, विशाल भारद्वाज, जोया अख्तर, फरहान अख्तर, अनुभव सिन्हा, स्वरा भास्कर शामिल हैं। सीएए बीते साल दिसंबर माह में आया था। इस कानून में तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को उत्पीड़न के आधार पर भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
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