UK-India Week 2018: विवेक ओबरॉय ने बताया 'देवी' की मदद से लड़कियों को सबल बनाने की कोशिश
नई दिल्ली। यूके इंडिया वीक 2018 के दूसरे दिन आज फिल्म अभिनेता और निर्माता विवेक ओबरॉय ने यंग लीडर्स के साथ बातचीत की और अपना विचार रखा। यूके इंडिया वीक 2018 के यंग लीडर्स फोरम में विवेक का एक ऐसा रूप सामने आया जिसके बारे में बहुत लोग नहीं जानते हैं। विवेक को बतौर अभिनेता , टीवी शो जज और फिल्म निर्माता के रूप में तो बहुत लोग जानते हैं, लेकिन इस कॉन्क्लेव विवेक ने बॉलीवुड के अलावा अपनी एक और पहचान को उजागर किया जो एक सोशल वर्कर का है।
बॉलीवुड के अलावा भी विवेक ओबरॉय की एक और पहचान
विवेक ओबरॉय ने अपनी चैरिटी प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया है कैसे उन्होंने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। गरीबों की मदद के लिए उन्होंने जिस प्रोजेक्ट को शुरू किया वो कैसे उनतक मदद पहुंचाता है। विवेक ने इस पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था अनाथ बच्चों की मदद करती है, उन्हें कंप्यूटर और आर्ट्स जैसी चीजें सिखाती है। इसके लिए उन्हें लोगों ने मदद भी मिलती है। उन्होंने बताया कि उनके कई स्पॉन्सर्स यूके से हैं।
विवेक की संस्था 'देवी' का मकसद
विवेक ओबरॉय ने बताता कि उनका प्रोजेक्ट DEVI वृंदावन में उन लड़कियों की मदद करता है, जो लड़कियां वैश्यावृत्ति के दलदल में धकेल दी जाती हैं। देवी संस्था की मदद ने उन लड़कियों को शिक्षित किया जाता है। उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबल बनाने की कोशिश की जाती है। विवेक ने बताया कि 'देवी' की मदद से अब तक 14 गांवों की 44 लड़कियों का दाखिला कॉलेज में करवाया गया है। इन सभी लड़कियों को स्कॉलशिप की मदद से उनकी पढ़ाई में मदद की जा रही है। उन्होंने बताया कि यूके के कई छात्र हैं जो उन बच्चों के साथ वक्त बिताते हैं। उनकी मदद करते हैं।
विवेक ओबरॉय ने कहा कि वो वो अपनी यूनिवर्सिटी की मदद से टीचिंग प्रोफेशन का अंतरराष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं और चाहते हैं कि मेडिसीन की पढ़ाई और डायनामिक बन सके। विवेक बायोमेडिकल सेक्टर में नए वेंचर की मदद से उस गैप को भरना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम बॉर्डी शोप पर काम कर रहे हैं, जो 100 लड़कियों के खर्चों को फंड करती है। उन्होंने कहा कि हम दूसरी कंपनियों की ओर देख रहे हैं, जिनमें से एक करीब 300 लड़कियों के पढ़ाई को फंड करती है। उन्होंने कहा कि इन फंड की मदद से लड़कियों को सशक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे साथ ऐसे बच्चे भी हैं, जो यूके से तकनीक सीख कर आएं हैं और बारत में हमारी संस्था के जरिए बच्चों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।