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Bofors Scam: UPA सरकार ने क्‍वात्रोचि के खातों को फ्रीज करने से किया था इनकार-CBI

By Rahul Sankrityayan
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नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक संसदीय कमेटी को बताया है कि बोफोर्स गन के मामले में साल 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने से रोका गया था। बताया गया कि तात्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार ने अनुमित नहीं दी थी। बता दें कि छह सदस्यीय लोक लेखा समिति की उप-समिति बोफोर्स होवित्जवर बंदूक सौदे पर 1986 की कैग रिपोर्ट के कुछ पहलुओं का पालन ना करने के मामले को देख रही है।

Bofors Scam: UPA सरकार ने क्‍वात्रोचि के खातों से फ्रीज करने से किया था इनकार!

पैनल ने पिछले महीने CBI से पूछा था किदिल्ली कोर्ट से साल 2005 में मामले में कार्यवाही को खारिज करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में क्यों नहीं गया था? सूत्रों ने जानकारी कि दी कि समिति को दी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय के साल 2005 के आदेश का विश्लेषण करते हुए CBI का मानना था कि सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष याचिका (एसएलपी) दर्ज की जानी चाहिए।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार CBI ने पैनल से यह भी कहा है कि आरोपी क्‍वात्रोचि के अकाउंट्स को यूपीए सरकार फ्रीज कर सकती थी पर नजरअंदाज किया।

CBI ने 22 जून 2017 के अपने पत्र के जरिए CBI को अपने दृष्टिकोण से अवगत कराया था कि जांच एजेंसी के तौर पर यह माना जा रहा है कि 31 मई, 2005 को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ SLP दर्ज की जानी चाहिए। हालांकि, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सरकार की अनुमति से इनकार कर दिया है।

इस बीच, वकील अजय अग्रवाल ने मामले को फिर से खोलने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कदम रखा है। CBI ने 22 जनवरी 1990 को भारतीय दंड संहिता के तहत कथित आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी और एबी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन अर्ड्बो के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के कुछ वर्गों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, कथित मध्यस्थ चड्ढा और यूरोप आधारित उद्योगपतियों, हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ मामाल दर्ज किया गया था।

CBI ने आरोप लगाया था कि भारत और विदेशों में कुछ सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों ने होवेट्जर तोपखाने बंदूक की आपूर्ति के लिए एक आपराधिक षड्यंत्र किया था और सौदे के लिए रिश्वत में 64 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2005 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत तीन हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ आरोपों को रद्द कर दिया था। बोफोर्स समझौते पर कैग की रिपोर्ट में शामिल संसदीय पैनल के कई सदस्यों ने CBI को दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा था।

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English summary
Bofors Case: CBI Said It Had Asked UPA Govt in 2005 to Approach Supreme Court
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