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ब्लॉग: जब भी कसाई पिंजरे में हाथ डालता है...

नाइंसाफी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना ज़रूरी है. नहीं तो ऐसा करना भूल जाएगा इंसान.

By BBC News हिन्दी
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विरोध प्रदर्शन
EPA/PIYAL ADHIKARY
विरोध प्रदर्शन

सुना है कभी इंसान की भी दुम हुआ करती थी लेकिन जब उसे इस्तेमाल नहीं किया गया तो झड़ गई.

यही भाषा के साथ भी होता है. जो शब्द हम इस्तेमाल नहीं करते वो दिमाग़ से झड़ते चले जाते हैं, जैसे किंतु, परंतु, यदि, मुआनेका, आशिकार, शिराजाबंदी वगैरह शब्द अब कहां सुनने को मिलते हैं.

कुछ जुमले ऐसे भी हैं जो हम सुबह-शाम बिना मतलब इस्तेमाल करते हैं. आप भले सोते हुए भिखारी को जगा कर पूछें, 'क्या हाल हैं', कहेगा, 'भगवान की बड़ी कृपा है.'

चेहरा तकलीफ़ से चुरमुरा रहा होगा मगर बीमार से पूछें 'मियां तबीयत कैसी है', फट से बोलेगा, 'अल्लाह का बहुत शुक्र है.' हालांकि इन जुमलों का मतलब बहुत पहले दफन हो चुका है.

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स्पेशल चाइल्ड हैं भारत और पाकिस्तान

शंभूलाल केस

राजस्थान के शंभूलाल के हाथों मोहम्मद अफ़राज़ुल के कत्ल और फिर लाश जलाने के वाकये से पूरा भारत हिल गया.

मर्दान यूनिवर्सिटी में तौहीने रिसालत के शुबहे में मिशाल ख़ान के कत्ल से पाकिस्तान में हलचल मच गई.

मुंबई हमलों के बाद देश सकते में आ गया.

आर्मी पब्लिक स्कूल पेशावर में तालिबान के हाथों पढ़ने वाले बच्चों के हाथों नरसंहार के बाद पाकिस्तान दहल कर रह गया.

दिल्ली में एक लड़की के चलती बस में रेप की ख़बर ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक दुख की लहर दौड़ा दी.

गौरी लंकेश के कत्ल ने ज़मीन हिला दी.

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पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन
RIZWAN TABASSUM/AFP/Getty Images
पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन

दुनिया बेचैन हो गई....

राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने के ऐलान से दुनिया बेचैन हो गई.

दंगल फ़िल्म की गीता को विमान में हिरासा करने के वाकये और एयरलाइन के व्यवहार पे हर तरफ से कड़ी आलोचना और गीता से हमदर्दी के हज़ारों ट्वीट.

ये मानने में आख़िर अब क्या बाधा है कि हम करोड़ों अरबों में होते हुए भी अपनी ज़ात और नज़रिए के बड़े से पिंजरे में मुर्गियों की तरह बंद चंद कसाइयों की कृपा और दृष्टि के इंतज़ार में हैं.

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हर नई घटना के बाद...

जब भी कसाई पिंजरे में हाथ डालता है तो मुर्गियां कुड़ुक-कुड़ुक-कूं-कां करते हुए एक दूसरे पे चढ़ जाती हैं और हर बार शुक्र अदा करती हैं कि 'चलो इस बार मैं बच गई'.

मगर शाम तक पिंजरा तब भी खाली हो जाता है और अगली सुबह फिर मुर्गियों से भर जाता है.

कहते रहिए हर नई घटना के बाद 'दिल दहल गया, 'ज़मीन हिल गई', 'सकते में आ गए', 'बिजली दौड़ गई', 'निंदा हो गई', 'हलचल मच गई'.

मर जाइएगा मगर कभी अपनी चोंच, सींग और खुर से काम मत लीजिएगा- मैले हो जाएंगे.

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English summary
Blog Whenever butcher puts his hand in the cage
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