क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ब्लॉग-पकौड़ा, पीएनबी घोटाला और 2019 का हड़बड़िया विश्लेषण

मोदी के लिए 2019 में कोई चुनौती नहीं होगी, उनकी जीत तय है, विपक्ष को 2024 की तैयारी करनी चाहिए, कुछ महीने पहले तक ऐसी बातों पर मोदी विरोधी कसमसा कर रह जाते थे, जबकि मोदी के प्रशंसक कहते थे कि 'कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं रुकता', ट्रोल्स का तो क्या ही कहना!

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
Getty Images
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

मोदी के लिए 2019 में कोई चुनौती नहीं होगी, उनकी जीत तय है, विपक्ष को 2024 की तैयारी करनी चाहिए, कुछ महीने पहले तक ऐसी बातों पर मोदी विरोधी कसमसा कर रह जाते थे, जबकि मोदी के प्रशंसक कहते थे कि 'कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं रुकता', ट्रोल्स का तो क्या ही कहना!

'पकौड़ा रोज़गार', 'गोबरधन', पीएनबी घोटाला, कोठारी घोटाला, राफ़ेल सौदा और किसानों का ग़ुस्सा हाल के दिनों की कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिसके बाद मोदी की जीत पर दांव लगाने वालों ने अपने पत्ते मानो टेबल से उठा लिए हैं, वे दम साधे देख रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव क्या गुल खिलाते हैं.

सोशल मीडिया पर शेयर होने वाली फ़ब्तियों में राहुल गांधी की जगह अब 'प्रधान सेवक', 'चौकीदार', 'झोला उठाकर चल देने वाले फ़कीर' ने ले ली है. सोशल मीडिया पर अगर आपको कोई ट्रेंड दिखता है तो उसका मतलब है कि लोग उस कंटेंट को शेयर करने लायक मान रहे हैं, ठीक वैसे ही जब मोदी की जय-जयकार की ज़ोरदार शेयरिंग हो रही थी तो उसे मोदी की लोकप्रियता का पैमाना माना गया.

आइटी सेल दोनों तरफ़ से सक्रिय हैं लेकिन उनकी भूमिका सीमित है, वे कंटेंट क्रिएट कर रहे हैं और अपने विरोधियों को ट्रोल कर रहे हैं लेकिन हिट वही होगा जिसे लोग पसंद करेंगे और आगे बढ़ाएंगे. इसी तरह 'पेड ट्रोल्स' को छोड़कर आप अपनी टाइम-लाइन पर मोदी समर्थकों के उत्साह-आत्मविश्वास पर ग़ौर करें तो आपको मूड का अंदाज़ा मिल जाएगा.

ब्लॉग: लुट गए 'धन की बात' पर मोदी कब करेंगे 'मन की बात'

'मुसलमानों का तुष्टीकरण बंद, हिंदुओं का पुष्टीकरण तेज़'

नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
BBC
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

राजनीतिक विश्लेषक हड़बड़ी में

इस राजनीतिक मूड को अंतिम मानते हुए, कई विश्लेषक बताने लगे हैं कि मोदी 2019 के चुनाव में बहुमत से दूर क्यों रह जाएंगे. गुजरात में बीजेपी के 99 के मुक़ाबले, कांग्रेस को 77 सीटें मिलने के बाद ऐसा सोचने वालों का विश्वास पुख़्ता हुआ है कि पीएम का जादू उतार पर है.

मोदी के जादू पर से एनडीए के साझीदारों का भरोसा भी घटता दिख रहा है. मसलन, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू ने बजट में आंध्र प्रदेश पर 'ध्यान न दिए जाने' की खुलकर आलोचना की. शिवसेना ने न सिर्फ़ अगला चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया बल्कि आरोप मढ़ दिया कि पीएनबी का पैसा लेकर भागे नीरव मोदी ने 2014 के चुनाव में बीजेपी की आर्थिक मदद की थी.

ये इस बात का संकेत है कि साझीदार अगली जीत के प्रति पहले की तरह आश्वस्त नहीं हैं और ये भी कि वे अकेले बहुमत ला चुके मोदी के भार तले दबे रहने के बाद नए सिरे से सौदा करने के लिए उतावले हो रहे हैं.

''आज़ादी छिनी तो छोड़ देंगे बीजेपी का साथ''

नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
Getty Images
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

2014 के चुनाव में उनका जादू अपने चरम पर था तब भी बीजेपी को बहुमत से सिर्फ़ 10 सीटें ही ज्यादा मिली थीं. विश्लेषक कहने लगे हैं कि मोदी पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाएंगे. उनका कहना है कि जिन राज्यों से सत्ताधारी दल को 2014 में सबसे अधिक सीटें मिली थीं उन राज्यों में पिछली बार की तरह कामयाबी नहीं मिलेगी, मसलन, उन्हें लगता है कि 2019 में यूपी 71 सीटें तो देने से रहा, और ऐसा ही महाराष्ट्र में भी होगा.

विकास, रोज़गार और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा-दावा अब अपनी धार खोता दिख रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में नाराज़गी है, इस बात की साफ़ झलक गुजरात विधानसभा चुनाव में दिखी जहां शहरी क्षेत्रों में समर्थन के बावजूद पार्टी को गांव में रहने वाले वोटरों के गुस्से की वजह से 16 सीटें गंवानी पड़ी.

नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
AFP
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

क्या पाकिस्तान के मुद्दे पर टूटेगा बीजेपी-पीडीपी गठजोड़?

तेल देखिए, तेल की धार देखिए

राजनीतिक विश्लेषण अक्सर ग़लत होते रहे हैं जिसके बीसियों कारण होते हैं, मसलन, चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी करने वालों ने कब बताया था कि 2015 में मोदी लहर के फ़ौरन बाद, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को इतनी सीटें मिलेंगी?

कहते हैं कि राजनीति में एक सप्ताह बहुत लंबा वक़्त होता है, ये भविष्यवाणियां उस चुनाव के बारे में की जा रही हैं जो अगले साल होने हैं. कहने का आशय ये नहीं है कि मोदी अगला चुनाव पक्के तौर पर जीत जाएंगे लेकिन अभी उनके न जीत पाने की बात कहना भी जल्दबाज़ी है.

ये कहना ज़रूरी है कि मौजूदा हालात में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे लगे कि बीजेपी पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी लेकिन अभी तो कड़ाही चढ़ी है, ज़रा आंच तेज़ तो होने दीजिए, इतनी बेसब्री किस बात की.

नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
AFP
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

पहली बात ये कि मोदी की लोकप्रियता में कितनी गिरावट आई है और क्या ये स्थिति लंबे समय तक बनी रहेगी? इसका जवाब कोई नहीं दे सकता. दूसरी बात ये कि राहुल गांधी की लोकप्रियता कितनी बढ़ी है, और क्या वे मोदी के विकल्प के तौर पर देखे जाने लगे हैं? इसका पक्का जवाब किसी के पास नहीं है.

2014 के चुनाव में मोदी लहर थी, 2019 में मोदी अगर लहर नहीं बना पाए तो उनकी सीटें कम हो सकती हैं, कितनी कम होंगी इसका अंदाज़ा लगाने का कोई ठोस तरीक़ा विश्लेषकों के पास नहीं है. ये भी सवाल है कि क्या राहुल कोई लहर बना पाएंगे, इसका जवाब कौन दे सकता है?

2014 से अब तक सारे चुनाव मोदी के नाम पर लड़े गए, अगला चुनाव अकेले मोदी के नाम पर लड़ना शायद जोखिम का काम हो सकता है इसलिए राम मंदिर का मुद्दा आना लगभग तय है, क्योंकि विकास या भ्रष्टाचार मुक्त भारत को कारगर मुद्दा बना पाना बीजेपी के लिए अब मुमकिन नहीं होगा. अब अगर ऐसा हुआ तो धर्म के आधार पर कितना ध्रुवीकरण होगा और कितना नहीं, ये कोई अभी से कैसे बता सकता है.

और इन सबसे बढ़कर मोदी का आख़िरी दम तक लड़ने का जुनून और सरप्राइज़ कार्ड खेलने की उनकी आदत, इन दोनों को नज़रअंदाज़ करना समझदारी नहीं है. 'सर्जिकल स्ट्राइक' और नोटबंदी करके मोदी साबित कर चुके हैं कि वे कोई भी बड़ा दांव चल सकते हैं, वे कई बार पर्सनल रिस्क लेकर बाज़ी पलट चुके हैं. मोदी की किलर इंस्टिंक्ट और सब कुछ झोंक देने की शैली का मुक़ाबला आसान नहीं होगा कांग्रेस के लिए.

नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव
Getty Images
नरेंद्र मोदी, बीजेपी, राहुल गांधी, कांग्रेस, 2019 लोकसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव

पीएनबी घोटाला और राफ़ेल सौदे का मुद्दा हाथ आने के बाद भी कांग्रेस कोई ख़ास माहौल नहीं बना पाई है और इन मुद्दों की धार अगले साल तक बनी रहेगी, ऐसा नहीं लगता, लेकिन ये भी नहीं कहा जा सकता कि नए मुद्दे नहीं आएंगे.

जीतने के लिए लड़ने वाली बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन और कार्यकर्ताओं को लामबंद करने को एक तरह से साइंस में बदल दिया है, कांग्रेस इस मामले में अब भी लाचार दिखाई देती है.

और आख़िर में, बीजेपी के पास नेता भी है और हिंदुत्व की कहानी भी. कांग्रेस के पास अपनी कोई कहानी नहीं है और उसके नेता अब भी उभर ही रहे हैं. कांग्रेस ख़ुद जीतने के लिए विश्वास के साथ क़दम बढ़ाने की जगह मोदी के हारने का इंतज़ार कर रही है.

इस वक़्त शायद देश की जनता ये सोच रही है कि मोदी नहीं तो फिर क्या? और इसका जवाब भी उसे नहीं मिला है, लोग नतीजे के बारे में सोचे बिना मोदी को हराने के लिए वोट देंगे, ऐसा दावा करने का कोई आधार विश्लेषकों के पास नहीं है.

पिक्चर अभी बन रही है लोग क्लाइमेक्स बताने में लगे हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Blog-pakoda PNB scam and 2019 hawking analysis
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X