जानिए काला धन पर सरकार ने कोर्ट के सामने क्या-क्या शर्तें रखीं
नई दिल्ली। सोमवार को तमाम उद्योग घरानों में तब हलचल मच गई, जब केंद्र सरकार ने एक-एक कर काला धन रखने वालों के नामों के खुलासे करने शुरू किये। केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में दो व्यक्तियों और एक कंपनी व उसके पांच निदेशकों के नामों का खुलासा कर चुकी है। ये वो लोग हैं जिन्होंने विदेशी बैंकों में अवैध धन जमा कर रखे हैं। सरकार ने कहा कि इन सभी ने विदेशी बैंकों में धन जमा कर रखा है और उनके खिलाफ कर चोरी मामले में प्रक्रिया शुरू की गई है।
सबसे पहले वो नाम जिनका हुआ खुलासा
-
डाबर
समूह
के
प्रमोटर
परिवार
के
सदस्य
प्रदीप
बर्मन
-
राजकोट
के
सोना-चांदी
कारोबारी
पंकज
चिमनलाल
लोधिया
- गोवा की खनन कंपनी टिमब्लो प्राइवेट लिमिटेड
-
इसी
कंपनी
की
निदेशक
राधा
सतीश
टिमब्लो
-
चेतन
एस.
टिमब्लो,
रोहन
एस.
टिमब्लो,
- अन्ना सी. टिमब्लो और मलिका आर. टिमब्लो
सरकारी हलफनामे के मुख्य अंश जिनमें सरकार की कुछ शर्तें भी शामिल हैं
- बर्मन की सूचना फ्रांस सरकार से तथा अन्य नाम की सूचना दूसरे देशों की सरकारों से मिली है।
-
विदेशी
सरकारों
की
तरफ
से
ऐसे
भारतीय
खाताधारकों
की
दी
गई
जानकारी
व
नामों
को
छिपा
कर
रखने
की
सरकार
की
कोई
मंशा
नहीं
है।
- इन खातों में ऐसे धन रखे हैं, जिन पर कर का भुगतान नहीं किया गया है। कुछ रपटों के मुताबिक इससे संबंधित एक सूची में 780 नाम हैं।
-
सरकार
विदेशों
में
छुपे
काले
धन
को
सामने
लाना
चाहती
है
और
इस
मकसद
को
पूरा
करने
के
लिए
वह
सभी
वैधानिक
और
कूटनीतिक
उपाय
करेगी।
- विदेशी बैंक में खोला गया हर खाता अवैध हो यह जरूरी नहीं। साथ ही नामों का खुलासा तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि गलत काम का को कोई प्रमाण न मिल जाए।
- कोर्ट अपने पुराने आदेश में संशोधन करे, जिसमें उनसभी के नाम सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था, जो सरकार को मार्च 2009 में जर्मनी से मिले थे और जिनके खाते लिचेंस्टीन के एलजीटी बैंक में हैं।
- विभिन्न देशों से मिले सभी नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह उन सरकारों के साथ अपने समझौतों का उल्लंघन नहीं कर सकती है और पूरे सबूत के साथ पहले अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद ही नामों का खुलासा किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार, विदेशों में जमा किए गए काले धन की जांच के लिए 29 मई, 2014 को एक विशेष टीम (एसआईटी) गठित कर दी थी।
डाबर इंडिया का बयान- कंपनी के पूर्व निदेशक प्रदीप बर्मन ने विदेशी बैंक में खाता उस वक्त खोला था, जब वह अनिवासी भारतीय (एनआरआई) थे और उन्हें इसकी वैधानिक अनुमति मिली थी।
क्या कहा पंकज लोधिया ने- विदेश में मेरा कोई खाता नहीं है। मैंने जो भी जरूरी जानकारी है, उन्होंने आयकर विभाग को दे दी है। मैं सूची में अपना नाम देख कर वह हैरत में हूं।
राधा एस. टिमब्लो ने कहा- मैं पहले हलफनामे का अध्ययन करूंगी। मैं अपनी प्रतिक्रिया सर्वोच्च न्यायालय में दूंगी।