ये इंडिया है भाई! यहां पांच रुपए का सिक्का 10 रु में बिकता है
आज के दिन में भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक समस्या खुले या चिल्लर सिक्कों की है। भारतीय बाजारों से धातु के सिक्के तेजी से गायब हो रहे हैं। अगर आप आज अपनी पॉकेट में देखें तो जितने भी सिक्के पाएंगे, वह सभी नए होगें यानि 2010 के बाद के बने हुए। गिलट के बने हुए सिक्के बहुत कम संख्या में देखने को मिलते है।
जहां एक ओर भारतीय बाजारों में सिक्कों की कमी आती जा रही है, वहीं गिलट या निकेल जैसी धातुओं के दाम दिन दूनी, रात चौगुनी स्पीड से बढ़ रहे है। क्या इन दोनों ही बातों का आपस में कोई सम्बंध है या फिर ये बात महज़ एक संयोग है। जी नहीं, ये किसी प्रकार का संयोग नहीं है बल्कि ये एक गैरकानूनी धंधा है जो भारत के कई राज्यों में फैल चुका है।
इस प्रकार के गैरकानूनी धंधे से आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था का करारा झटका लगने की संभावना है। हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने कालेधन और नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए 2005 से पहले बने हुए नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि सिक्कों के इतने बड़े काले धंधे पर रोक लगाने के लिए अब तक रिजर्व बैंक ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
भारत में सिक्कों में आई कमी के पीछे कौन लोग शामिल है और वह कहां - कहां, किन तरीकों से इस धंधे को चलाते है, पढिए इस रिपोर्ट में :
कहां - कहां फैला है जाल
उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कुछ लोग बहुत ही सामान्य तरीके से सिक्कों को इक्ट्ठे करने का काम करते है। वह लोग, स्थानीय दुकानदारों और फेरी वालों के अपने इस्तेमाल की बात कहकर सिक्के ले लेते है।
गांवों में देते है लालच
सिक्कों का गैर कानूनी व्यापार करने वाले लोग, गांवों में जाते है और लोगों को गिलट के सिक्के लाने को कहते है। 2 रूपए का सिक्का 2 रूपए 40 पैसे में और 5 रूपए का सिक्का 10 रूपए में बिकता है। इस तरह शहर से दूर ग्रामीण इलाकों के लोगों को शिकार बनाया जाता है।
क्या करते हैं
2 रूपए का एक सिक्का छ: ग्राम को होता है, ऐसे पांच सौ सिक्कों का मूल्य सिर्फ 1000 रूपए होगा लेकिन अगर इन्हे गलाकर गिलट निकाली जाएं, तो एक किलो गिलट निकलेगी, जिसकी कीमत तीन हजार रूपए होगी। इस तरह धंधा करने वालों को लोगों को सिक्कों के इक्ट्ठा करने वाले लोगों सीधा तीन गुना लाभ होता है।
गिलट की कीमत
आज से तीन साल पहले गिलट की कीमत मात्र साढ़े तीन सौ रूपए प्रति किलो थी, जो आज बढ़कर एक हजार रूपए प्रति किलो हो गई है, ऐसे में सिक्कों को गलाकर उनसे गिलट निकालने का धंधा जोरों पर चल रहा है।
कौन लोग शामिल हैं
इस काम को करने वाले लोग स्थानीय होते है जिनसे कुछ दलाल आकर किलो - किलो के हिसाब से पैकेट उठाकर ले जाते है और उन्हे उनका कमीशन दे देते है। ये दलाल कौन है, कहां से आते है और कहां जाते है इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं होता है।
रिजर्व बैंक की प्रतिक्रिया
हाल की में रिजर्व बैंक ने एक ताजा रिपोर्ट में भारतीय बाजार में सिक्कों में आई कमी पर चिंता जताई है और जल्दी ही इसके लिए जांच करवाने के लिए कहा है।
सिक्कों की संख्या में आई कमी
रिजर्व बैंक के मुताबिक, पिछले चार सालों में सिक्कों की संख्या में आधी से ज्यादा गिरावट आई है। 2010 में भारतीय बाजार में लगभग 11 लाख सिक्के चलते थे जो आज मात्र 7 लाख ही रह गए।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
इस तरह के काले धंधे से भारतीय बाजारों में सिक्कों की भयंकर कमी आ जाएगी और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचेगा।
गिलट का उपयोग
सिक्कों से प्राप्त की जाने वाली गिलट का क्या किया जाता है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन सामान्यत: गिलट धातु का उपयोग ब्लेड उद्योग और बिजली के यंत्र बनाने में होता है।
क्या करे सरकार
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को जांच बैठाने से पहले इस धंधे को रोकने के प्रयास करने चाहिये ताकि सिक्कों की बर्बादी को जल्द से जल्द रोका जाएं।