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गुजरात जीतकर भी यहां बुरी तरह हारी भारतीय जनता पार्टी

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नई दिल्‍ली। गुजरात विधानसभा चुनाव के नजीते स्‍पष्‍ट हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया है। 182 सीटों में से बीजेपी को 99 और कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं। कांग्रेस एक बार फिर गुजरात में 22 सालों से जारी बीजेपी की सत्ता को उखाड़ पाने में नाकाम साबित हुई लेकिन वो बीजेपी के कई गढ़ों में सेंध लगाने में कामयाब हो गई। साफ शब्‍दों में कहें तो जीत भले ही बीजेपी को मिली है लेकिन बढ़त कांग्रेस की है। यही नहीं, आज के चुनाव परिणाम में बीजेपी के कई गढ़ भी ध्वस्त हुए हैं। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले अहमदाबाद में कांग्रेस ने बड़ी सेंध लगाई है। अहमदाबाद की 2 सीटों पर अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने बीजेपी उम्मीदवारों को हरा दिया है।

ग्रामीण इलाकों के वोटर बीजेपी से रहे दूर

ग्रामीण इलाकों के वोटर बीजेपी से रहे दूर

नतीजों के मुताबिक गुजरात में ग्रामीण वोटरों ने बीजेपी को सोचने का मौका दिया है। ग्रामीण इलाकों के कुल 109 सीटों में कांग्रेस को 62 सीटें मिली हैं जबकि भाजपा को 43 सीटें। साल 2012 में भी ग्रामीण वोटरों का साथ कांग्रेस के साथ ही था। ग्रामीण गुजरात में कांग्रेस को 42.9 फीसदी और भाजपा को 42.1 फीसदी वोट मिला था। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा ने 44 और कांग्रेस ने 49 सीटों पर जीत हासिल की थी।

शहरी वोटरों को समर्थन नहीं होता तो बीजेपी की लाज नहीं बचती

शहरी वोटरों को समर्थन नहीं होता तो बीजेपी की लाज नहीं बचती

2012 के आंकड़ों पर गौर करें तो शहरी इलाकों के वोटरों ने बीजेपी को सत्ता दिलाई थी। इस बार भी वही हाल रहा। इस बार शहरी इलाकों की 84 सीटों में से बीजेपी को सीटें मिली हैं, जबकि 2012 में ये आंकड़ा 66 सीटों का था। गुजरात के 4 बड़े शहरों अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और सूरत की 55 में से 44 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया जबकि कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटों पर ही संतोष दर्ज करना पड़ा। निश्चित रूप से शहर ही बीजेपी का गढ़ रहा है इस बार भी शहरों ने ही बचाया है और गांव का वोट जाति के हिसाब से बंटा है।

शहरी क्षेत्रों में भी कांग्रेस की दस्‍तक

शहरी क्षेत्रों में भी कांग्रेस की दस्‍तक

बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाने वाले शहरी क्षेत्रों पर भी कांग्रेस ने अपनी गंभीर दस्तक दी है। वहीं बीजेपी की जीत के बावजूद बीजेपी सरकार में मंत्री रहे कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे नितिन पटेल भी कई राउंड की गिनती में अपने प्रतिद्वंद्वी से पीछे रहे थे, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने बाजी मार ली।अगर बड़े नामों की बात करें तो गुजरात सरकार में सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रहे केशाजी ठाकोर बनासकांठा की दीयोदर सीट से, सामाजिक न्यायमंत्री आत्माराम परमार बोटाद की गढ्डा सीट से, जल आपूर्ति मंत्री रहे जशा बारड़ सोमनाथ से, कृषि मंत्री चिमन सापरीया और बनासकांठा की वाव सीट से स्वास्थ्य मंत्री शंकर चौधरी को हार का सामना करना पड़ा है।

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English summary
The final results in the Gujarat assembly election are yet to come out, but the trends so far have thrown up some interesting facts about how Gujaratis cast their vote.
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