ममता की TMC को मात देने के लिए अब यूं 'बंगाली' इमेज चमकाएगी BJP
नई दिल्ली- पश्चिम बंगाल में बीजेपी के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की काट के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी ने पिछले कुछ समय से 'बंगाली' अस्मिता को बहुत ज्यादा महत्त्व की कोशिश की है। उन्होंने कई बार टकराव के दौरान बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर बाहरी होने का आरोप लगाकर 'बंगाली' सहानुभूति बटोरने की कोशिश की है। खासकर पश्चिम बंगाल के मीडिल क्लास बुद्धिजीवियों के लिए 'बंगाली' अस्मिता की छाप बहुत ही गहरी है। अब बीजेपी ने तृणमूल को उसके इसी हथियार से मात देने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। अब भाजपा भी बंगाल में अपना 'बंगाली' इमेज चमकाना चाहती है और इसके लिए वह तृणमूल कांग्रेस की तरह ही दुर्गा पूजा कमिटियों में शामिल होने की कोशिश शुरू कर चुकी है और बदले राजनीतिक हालात में उसके लिए यह करना आसान भी हुआ है।
बीजेपी को क्यों बदलनी पड़ी रणनीति?
बंगाल में बीजेपी अबतक ज्यादातर रामनवमी और हनुमान जयंती ही मनाती थी, क्योंकि तृणमूल के प्रभाव के चलते उसके लिए दुर्गा पूजा समितियों में घुसना थोड़ा मुश्किल था। लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी की ओर से 'जय श्रीराम' के नारे लगाए जाते थे, तो ममता बनर्जी की ओर से उसे गैर-बंगाली रंग देने की कोशिश की जाती थी। ममता बनर्जी ने खुद को मुसलमानों का एकमात्र हिमायती तो बताती ही रही हैं, बीजेपी को गैर-बंगाली पार्टी के रूप में पेश करने का भी भरसक प्रयास शुरू कर दिया है। खासकर जब कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटी तो ममता ने उस मुद्दे को बंगाल की मर्यादा से जोड़कर तत्काल लपक लिया था। उसके बाद से वो लगातार बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर बाहर से आकर बंगाल में उपद्रव करने का आरोप लगाती रही हैं। इसी कड़ी में टीएमसी अचानक बंगाली महापुरुषों का भी महिमामंडन करने में जुट चुकी है। संसद तक में उसके सांसदों ने 'जय बांग्ला' का नारा लगाकर अपना इरादा साफ कर दिया है। इन सबके अलावा मुख्यमंत्री अपने भाषणों में बंगाली पर खास जोर भी देने लगी हैं और हिंदी बोलने वालों से भी बांग्ला सीखने को कह रही हैं। यही वजह है कि बीजेपी अब अपनी बढ़ी हुई ताकत को जरिया बनाकर दुर्गा पूजा समितियों में घुसना चाह रही है। दुर्गा विसर्जन में ममता पर मुस्लिम हित में फैसले लेने का आरोप लगाने वाली बीजेपी अब उन आयोजनों में सक्रिय रूप से शामिल होकर बंगाली प्रबुद्ध वर्ग और मिडिल क्लास से पूरी तरह से घुल-मिल जाना चाहती है।
दुर्गा पूजा में सक्रिय रूप से शामिल होगी बीजेपी
खबरें हैं कि दुर्गा पूजा समितियों से तृणमूल के दबदबे को खत्म करने के लिए बीजेपी ने अभी से दुर्गा पूजा के आयोजकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। पार्टी नेतृत्व को लग रहा है कि अगर बंगाल में 'बंगाली' इमेज बनानी है, तो दुर्गा पूजा उसका एक बहुत ही सहज माध्यम बन सकता है। इस साल दुर्गा पूजा का आयोजन 4 अक्टूबर से होना है, जिसके लिए अभी से आयोजकों और कमिटियों के गठन का काम शुरू हो रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इसको लेकर अपना इरादा अभी से साफ कर दिया है। उन्होंने कहा है, "पूरे बंगाल में हमारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता दुर्गा पूजा का हिस्सा होंगे। मैं खुद भी पूजाओं का उद्घाटन करूंगा।"
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पूजा समितियों में शामिल होने के लिए क्या कर रही है बीजेपी?
दुर्गा पूजा बंगाली अस्मिता और बंगाली संस्कृति से जुड़ा महापर्व है। बंगाली जनमानस से जुड़ने के लिए इससे बड़ा कोई मौका हो ही नहीं सकता। इसीलिए नॉर्थ कोलकाता के बीजेपी जिला अध्यक्ष दिनेश पांडे कहते हैं, "हमने पार्टी के सभी नेताओं, पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से पूजा समितियों और क्लबों से संपर्क करने को कहा है। यह बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है और हम आयोजन समितियों का हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, टीएमसी की तरह हम इसपर नियंत्रण करने में विश्वास नहीं करते।" पार्टी की ओर से आयोजन समितियों से ये भी वादा किया जा रहा है कि अगर वे चाहेंगे तो उन्हें पार्टी अच्छे स्पॉन्सर्स भी लाकर देगी। दुर्गा पूजा पर होने वाले भारी भरकम खर्चों के मद्देनजर अच्छे स्पॉन्सर्स का इंतजाम करवाकर बीजेपी इन आयोजन समितियों पर टीएमसी की तरह अपना प्रभाव कायम करना चाहती है।
दुर्गा पूजा में बड़े नेताओं को भी बुला सकती है बीजेपी
पूरे बंगाल में बड़ी-बड़ी नामचीन हस्तियों द्वारा दुर्गा पूजा की शुरुआत कराने का प्रचलन है। माना जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व इसके लिए भी अभी से संभावनाएं तलाश रहा है। चर्चा है कि पार्टी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े नेताओं के माध्यम से भी पूजा आयोजनों के उद्घाटन की योजना पर काम कर रही है। अभी तक पश्चिम बंगाल की ज्यादातर दुर्गा पूजा समितियों पर टीएमसी का दबदबा है। बीजेपी के लिए अच्छी बात ये है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के बाद से कई इलाकों में खासकर जहां भाजपा जीती है, वहां से उसे पूजा क्लबों में शामिल होने का न्योता भी मिलने लगा है। जाहिर है कि इस स्थिति में बीजेपी नेताओं का उत्साह भी बहुत बढ़ गया है।