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जिनकी वजह से पूर्वोत्तर में बढ़ रही है बीजेपी

जन्म से मराठी मानुष, सुनील देवधर पूर्वोत्तर भारत में भारतीय जनता पार्टी का वो चेहरा हैं जिसने खुद न तो कभी यहाँ चुनाव लड़ा और ना ही खुद को समाचारों में ही रखा.

मगर त्रिपुरा में 25 सालों की वाम सरकार को चुनौती देने का सेहरा भी भारतीय जनता पार्टी सुनील देवधर के सर ही बांधती है.

 

By BBC News हिन्दी
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सुनील देवधर
BBC
सुनील देवधर

जन्म से मराठी मानुष, सुनील देवधर पूर्वोत्तर भारत में भारतीय जनता पार्टी का वो चेहरा हैं जिसने खुद न तो कभी यहाँ चुनाव लड़ा और ना ही खुद को समाचारों में ही रखा.

मगर त्रिपुरा में 25 सालों की वाम सरकार को चुनौती देने का सेहरा भी भारतीय जनता पार्टी सुनील देवधर के सर ही बांधती है.

वर्ष 2013 में विधान सभा के चुनावों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को 49 सीटें आयीं थीं. जबकि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई को एक. दस सीटों से साथ त्रिपुरा में कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल ही रहा.

मगर इस बार भारतीय जनता पार्टी वाम दलों को टक्कर देने की स्थिति में अगर आई है तो इसके पीछे सुनील देवधर की भी बड़ी भूमिका है जिन्होंने एक एक बूथ स्तर पर संगठन खड़ा करना शुरू किया.

त्रिपुरा
EPA
त्रिपुरा

त्रिपुरा से पहले पूर्वोत्तर भारत के मेघालय में भी सुनील देवधर ने संगठन का विस्तार किया.

लोक सभा के चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से लड़े थे और सुनील देवधर ने वहां भी उनके चुनाव और संगठन की कमान संभाली थी.

पूर्वोत्तर भारत में काम करते करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे सुनील देवधर ने स्थानीय भाषाएँ सीख लीं. जब वो मेघालय के खासी और गारो जनजाति के लोगों से उन्हीं की भाषा में बात करने लगे तो लोग हैरान हो गए. उसी तरह वो फ़र्राटे से बंगला भाषा भी बोलते हैं.

कहते हैं कि त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में सेंध मारने का काम भी उन्होंने ही किया है. विधानसभा के चुनावों से ठीक पहले इन दलों के कई नेता और विधायक भाजपा में शामिल हो गए.

क्या गुरू गोगोई का खेल बिगाड़ देगा चेला?

बीबीसी से बात करते हुए सुनील देवधर कहते हैं, "यहाँ पर कांग्रेस की छवि वैसी नहीं है जैसी बाक़ी के राज्यों में है. यहाँ इतने सालों तक कांग्रेस अकेले ही वाम दलों को चुनौती देती रही है. यहाँ कांग्रेस में अच्छे नेता रहे हैं."

उनका कहना है कि जब वो पूर्वोत्तर भारत का दौरा करते थे तो कांग्रेस के कई नेताओं से उनकी मुलाक़ात होती थी. उन्होंने वहीँ से ऐसे नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना शुरू किया. फिर बारी आई नाराज़ मार्क्सवादी नेताओं की. इस तरह संगठन फैलता चला गया और मज़बूत होता चला गया.

हेमंत बिस्वा सरमा

कभी ये असम के सबसे क़द्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का दाहिना हाथ माने जाते थे. कहा जाता रहा है कि मुख्यमंत्री कोई भी निर्णय बिना हेमंत से पूछे नहीं लेते थे. वो तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे और मंत्री भी रहे.

मगर वर्ष 2015 में हेमंत भाजपा में शामिल हो गए और पूरे पूर्वोत्त्तर भारत में संगठन को फैलाने के काम में जुट गए.

भारतीय जनता पार्टी ने असम में बहुमत हासिल कर पूर्वोत्तर भारत में अपने पाँव जमाने का काम किया.

कहते हैं कि हेमंत को कांग्रेस की कमजोरियां और ताक़त - दोनों का अंदाजा था और उनको पार्टी में शामिल कर भाजपा ने कांग्रेस को सांगठनिक रूप से कमज़ोर करना शुरू कर दिया.

हेमंत कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं से नाराज़ चल रहे थे और उसका फ़ायदा उठाकर भाजपा ने उन्हें पूर्वोत्तर भारत में अपने 'तुरुप का इक्का' बनाया.

उपरी असम के जोरहट में जन्मे हेमंत बिस्वा सरमा मौजूदा असम सरकार में वित्त मंत्री तो हैं ही, उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वोत्तर भारत प्रजातांत्रिक गठबंधन का संयोजक भी बनाया है.

पूरे पूर्वोत्तर भारत में कांग्रेस की शाख कमज़ोर करने का श्रेय भी हेमंत को ही जाता है.

राम माधव

अपने युवा काल से ही राम माधव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने और बाद में वो कई सालों तक संघ के प्रवक्ता भी बने रहे.

राम माधव
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राम माधव

फिर अमित शाह की टीम में वो महासचिव बांए गए जीने पूर्वोत्तर राज्यों सहित जम्मू-कश्मीर का भी प्रभार दिया गया. भारत चीन संबंध और अलगाववादी संगठनों से निपटने की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं को सौंपी गयी.

बीबीसी से बातचीत करते हुए वो कहते हैं कि असम को छोड़ कर पूर्वोत्तर भारत में भाजपा का कोई जनाधार नहीं था. असम से ही पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में संगठन का संचालन होता था.

राजनीति और सेक्स सीडी पर क्या बोले राम माधव?

आंध्र प्रदेश में जन्मे राम माधव ने कई पुस्तकें तो लिखीं साथ ही वो पूर्वोत्तर भारत में संगठन की देखरेख भी करने लगे. नागा गुटों से समझौते में भी राम माधव की बड़ी भूमिका बतायी जा रही है.

अपने संगठन के विस्तार पर चर्चा करते हुए राम माधव कहते हैं कि पिछले पांच सालों से भाजपा ने इस इलाक़े के राजनीतिक दांव पेंचों को सही तरह समझना शुरू किया.

पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस को तोड़कर उसके नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर की पार्टी अपने 'कांग्रेस मुक्त भारत' का लक्ष्य हासिल कर सकती है? वो कहते हैं, "राजनीति कुछ अलग हट कर होती है. इसमें नए दावं पेंच चलने पड़ते हैं. नए गठजोड़ होते हैं और पुराने टूटते भी हैं."

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English summary
BJP which is growing in the Northeast due to
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