जिस मोदी समर्थक ने विकास में 'पागल' को पहचाना
जानिए आख़िर वो कौन शख़्स है जिसने 'विकास पागल हो गया है' नारे की शुरुआत की और फिर वायरल हो गया.
भारतीय जनता पार्टी 'विकास के गुजरात मॉडल' की चर्चा और सराहना लंबे समय से करती रही है. गुजरात मॉडल की प्रशंसा देश और विदेश के कुछ प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री भी करते रहे हैं.
भारत की राजनीति में नरेंद्र मोदी के ताक़तवर नेता बनने की यात्रा में भी गुजरात मॉडल के प्रचार-प्रसार की अहम भूमिका रही है.
नरेंद्र मोदी हर मौक़े पर गुजरात में शासन-व्यवस्था की चर्चा मिसाल के तौर पर करते रहे हैं. जब भी मोदी के विकास और अन्य वादों की गंभीरता को लेकर सवाल खड़े किए गए तो बीजेपी ने गुजरात मॉडल को साक्ष्य के तौर पेश करने में कभी देरी नहीं की. बीजेपी मोदी की उपलब्धि के रूप में गुजरात को सबूत की तरह पेश करती रही है.
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'पागल विकास' हुआ वायरल
बीजेपी या मोदी के 'गुजरात मॉडल' का मुक़ाबला करने या उसे कटघरे में खड़ा करने में कांग्रेस समेत सारा विपक्ष लंबे समय तक नाकाम रहा. विपक्ष का यह काम इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों ने कर दिया.
कटाक्ष करती हुई हर पोस्ट के साथ गुजराती हैशटैग 'विकास गांदो थायो छे' मतलब 'विकास पागल हो गया है' वायरल हो गया. पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया पर 'विकास पागल हो गया है' नारे की तरह इस्तेमाल होने लगा.
जब गुजरात में विधानसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के लिए यह हैशटैग काफ़ी असहज करने वाला साबित हो रहा है. कांग्रेस ने मौक़े का इस्तेमाल करते हुए 'विकास पागल हो गया है' नारे को तत्काल अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बना लिया. 'विकास पागल हो गया है' के ईर्द-गिर्द और भी नारे गढ़े गए.
इस नारे के पीछे आख़िर कौन?
लेकिन इस लोकप्रिय कटाक्ष को गढ़ने में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है.
अहमदाबाद का एक युवक इस नारे को ट्रेंड में लाने का दावा करता है. 20 साल के सागर सवालिया दावा करते हैं कि उन्होंने पहली बार एक तस्वीर के साथ इस टैगलाइन को पोस्ट किया था. सागर अभी अहमदाबाद स्थित इंडस कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. सागर अहमदाबाद में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं.
सागर ने बीबीसी गुजराती सेवा से कहा, ''मैंने इसी साल 23 अगस्त को बीच सड़क पर एक गड्ढे में फंसी गुजरात परिवहन निगम की बस की तस्वीर के साथ इस टैगलाइन का इस्तेमाल किया था. कुछ ही देर में यह पोस्ट वायरल हो गई. लोगों ने इस टैगलाइन के साथ अपना ग़ुस्से का इज़हार करना शुरू कर दिया. यह ग़ुस्सा देश और प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ था और इस ग़ुस्से में 'विकास पागल हो गया है' हैशटैग वायरल हो गया.''
सागर को इसका अंदाज़ा नहीं था कि 'विकास पागल हो गया है' इस क़दर वायरल होगा. दिलचस्प है कि सागर कभी नरेंद्र मोदी के प्रचंड समर्थक हुआ करते थे. उन्होंने 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार भी किया था.
मोदी से मोहभंग क्यों?
मोदी से राजनीतिक वफ़ादारी का मोहभंग होना सागर के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे पाटीदारों पर कथित पुलिसिया हिंसा से सागर बहुत परेशान हुए थे और उन्होंने ख़ुद को बीजेपी और मोदी से अलग कर लिया.
सागर ने कहा, ''पाटीदारों की एक बड़ी रैली में मैंने पुलिस को बुरी तरह से मारते हुए देखा था. उसी वक़्त मैंने ख़ुद को बीजेपी से अलग कर लिया. पुलिस ने मेरे घर में भी तोड़फोड़ की थी.''
सागर जिस रैली की बात कर रहे हैं वो अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में 25 अगस्त को हुई थी. ख़बरों के अनुसार इस रैली में क़रीब पांच लाख लोग शरीक हुए थे. रैली पाटीदार समुदाय की थी और आरक्षण के समर्थन में इसका आयोजन किया गया था.
हालांकि पुलिस ने प्रदेश में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए बल का इस्तेमाल किया था. पुलिस और लोगों की झड़प में दर्जनों लोग ज़ख़्मी हुए थे.
सागर दावा करते हैं कि उन्होंने ख़ुद को राजनीतिक रूप से इस आंदोलन से दूर रखा था, लेकिन पुलिसिया हिंसा के कारण वो भी पाटीदार अनामत आंदोलन समिति में शामिल हो गए.
'समझदार विकास' क्या है?
सागर का नारा 'विकास पागल हो गया है' की गूंज गुजरात में हर कोई महसूस कर रहा है. हालांकि सागर का अभी राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि अभी उनका पूरा ध्यान पढ़ाई पर है.
जब सागर से पूछा गया कि समझदारी भरा विकास क्या होता है तो उन्होंने कहा, ''मेरे लिए विकास की बिल्कुल आसान परिभाषा है. युवाओं को काम मिलना चाहिए. यही विकास है. साथ ही अगर युवा सड़क पर रोज़गार के लिए आंदोलन कर रहा है तो उसका जवाब पुलिसिया दमन नहीं होना चाहिए.''
सागर की कसौटी पर विकास की परिभाषा को सत्ता के गलियारे में कितनी तवज्जो मिलेगी ये तो नहीं पता, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सागर के 'विकास पागल हो गया है' के जवाब में एक नारा ज़रूर दिया- 'हूं विकास छूं, हूं गुजरात छूं' मतलब मैं विकास हूं, मै गुजरात हूं.' सागर के बारे में कहा जा रहा है कि राज्य की राजनीति में उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी है.