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भाजपा-शिवसेना के चुनावी एजेंडे में वायु प्रदूषण नहीं

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मुंबई। केंद्र सरकार के द्वारा चलाये जा रहे नेश्‍नल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक महाराष्‍ट्र के 18 शहर उन 122 शहरों में शामिल हैं, जहां की हवा सांस लेने के लायक नहीं है। इसके बावजूद इस चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन ने पर्यावरण के मुद्दे को अपने मेनीफेस्टो में शामिल नहीं किया। जी हां हम बात कर रहे हैं भाजना और शिवसेना के घोषणा पत्रों की, जिनमें वायु प्रदूषण पर बात तक नहीं की गई।

Manifesto

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में एक-एक कर सभी बड़ी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये। कांग्रेस व एनसीपी ने जहां जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीर बताया वहीं भाजपा और शिव सेना, दोनों पार्टियों ने उन सभी पर्यावरणीय मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया है, जिनसे महाराष्ट्र राज्य कई सालों से जूझ रहा है।

हैरानी की बात यह है कि पांच महीने पहले ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वायु प्रदूषण को एक गहरा संकट बताया था और कई वादे किये, लेकिन जब बात राज्य की गायी तो पार्टी ने आंख मूंद ली। महाराष्‍ट्र देश के सबसे प्रदूषित राज्यों में से एक है।

एक नज़र महाराष्‍ट्र के वायु प्रदूषण पर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि पुणे, बदलापुर और उल्हासनगर की हवा में नाइट्रोजन डायक्साइड की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। वहीं विदर्भ, नागुपर, अकोला, अमरावती और चंद्रपुर जिलों में सूक्ष्म प्रदूषित धूलकण यानी पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) का स्तर स्वीकार्य सीमा से लगातार अधिक होता जा रहा है।

इस महीने की शुरूआत में महाराष्ट्र 'क्लीन एयर कलेक्टिव', जो वायु प्रदूषण के समाधान के लिए मुख्य तौर पर सिविल सोसायटी ग्रुप तथा गैर सरकारी संगठनों से बना एक समूह है, ने सभी राजनीतिक दलों के घोषणापत्र तैयार करने वाले नेताओं से मिला था। क्लीन एयर कलेक्टिव ने सभी पार्टी के नेताओं को उनके चुनावी घोषणापत्र में वायु प्रदूषण तथा पर्यावरणीय समस्याओं को शामिल करने के लिए कई सुझाव दिए थे, अगर वे महाराष्ट्र के सिर से देश के सबसे प्रदूषित राज्य का खिताब हटाने के प्रति गंभीर हैं। कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरों को स्वीकार किया है और हानिकारक प्रदूषण एवं उत्सर्जन को कम करने के लिए कई कदम उठाने का वायदा किया है। लेकिन सतारूढ़ गंठबंधन ने सभी पर्यावरणीय समस्याओं को दरकिनार कर मुंह फेर लिया है।

पर्यावरणविद हुए निराश

पयावरण पर काम कर रहे संगठन वातावरण के संस्थापक एवं निदेशक भगवान केसभट ने कहा, "एक ओर जहां हमारे माननीय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर निरंतर पर्यावरण संरक्षण पर सही बातें करते हुए कदम उठा रहे हैं, वहीं मैं यह देख कर हैरान हूं कि महाराष्ट्र के विजन में देश के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का माननीय प्रधानमंत्री का संकल्प ही गायब है।" कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट के एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी देबी गोयनका ने कहा कि हम विकास का स्वागत करते हैं, लेकिन ऐसा कोई विकास हमारी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होना चाहिए। भावी पीढ़ी को वायु प्रदूषण के संकट से बचाने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमें स्वच्छ और स्वस्थ हवा मिलती रहे। लिहाज़ा नीतिनिर्धारकों को इस मुद्दे से मुह नहीं फेरना चाहिये।

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English summary
The ruling alliance in Maharashtra have been failed to include the issue of air pollution in their election manifesto released for assembly polls.
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