महाराष्ट्र में शिवसेना भाजपा गठबंधन पर संजय राउत बोले- ये राजनीतिक मजबूरी है
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में भाजपा और शिवेसना के बीच गठबंधन हो गया है। लेकिन इसके बावजूद इनके बीच की कड़वाहट पिघली नहीं है। शिवसेना के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वो गठबंधन में इसलिए हैं क्योंकि ये राजनीतिक मजबूरी है। लेकिन केंद्र से कई मुद्दों पर उनकी असहमति थी।
'गठबंधन का मतलब आत्मसमर्पण नहीं'
टाइम्स नाउ के साथ बातचीत करते हुए संजय राउत ने कहा कि शिवसेना की कई मुद्दों पर सरकार के हर उस निर्णय से असहमति थी जो देश के हित में नहीं थे। राम मंदिर और धारा 370 पर बोलते हुए राउत ने कहा कि भाजपा ने इसे लेकर लंबे समय से वादा कर रही है। लेकिन इस मामले में आज तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंन गठबंधन पर बोलते हुए कहा कि गठबंधन का मतलब आत्मसमर्पण करना नहीं होता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मजबूरी की वजह से वो गठबंधन में है। ये दोनों पार्टियों के हित में है।
'चंद्रबाबू नायडु की यूपीए में जाना मजबूरी'
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडु का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद वो महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। नायडु पीएम मोदी के गहरे दोस्त थे लेकिन वो आज उन्हें छोड़कर यूपीए के साथ हैं। ये मजबूरी है। हम कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते हैं।
'देश में एक पार्टी का शासन खत्म'
संजय राउत ने गठबंधन पर कहा कि आज देश में ऐसे राजनीतिक हालात हैं कि एक पार्टी का शासम खत्म हो गया है। कांग्रेस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक समय वोट शेयर के मामले में वो देश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी। आज उसके हालात ये हैं कि उसका वोट शेयर क्षेत्रीय पार्टियों से भी कम हो चुका है। इसलिए वो छोटी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। यहां तक कि अमित शाह भी कहते हैं कि वो 380 सीट लेकर आएंगे लेकिन वो गठबंधन बनाकर एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव चार चरणों में 11 अप्रैल से शुरू होंगे और गिनती 23 मई को होगी।
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