महाराष्ट्र: भाजपा-शिवसेना गठबंधन में विधानसभा सीटों पर पेंच, अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी ?
नई दिल्ली- महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के बीच एक बार फिर से 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले जैसी स्थिति सामने आने लगी है। ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर दोनों पार्टियां पूरी तरह से अड़ी हुई हैं। भाजपा इस बार ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं और वह शिवसेना को अपनी शर्तों पर दी गई विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी करना चाहती है। शिवसेना भी जमीनी हालात से वाकिफ है, लेकिन वह किसी भी सूरत में 135 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने के लिएतैयार नहीं हो रही है। ऐसी खबरें भी आने लगी हैं कि दोनों पार्टियां कहीं इस बार भी अलग-अलग चुनावी मैदान में जाने की तैयारी तो नहीं कर रही हैं? उधर एनडीए के एक और सहयोगी आरपीआई ने भी अपने लिए 10 सीटों की मांग दोनों पार्टियों के सामने रखी दी है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या वहां एनडीए गठबंधन लोकसभा चुनावों की तर्ज पर ही तालमेल के साथ चुनाव लड़ेगा या फिर 2014 के विधानसभा चुनावों की ही कहानी फिर से दोहराई जाएगी।
गठबंधन में 2014 जैसे बन रहे हालात
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच आपसी हालात इस वक्त लगभग उसी दौर से गुजर रहे हैं, जैसा 5 साल पहले देखने को मिल चुका है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार बीजेपी ड्राइविंग सीट पर है और शिवसेना की स्थिति काफी बदली हुई नजर आ रही है। खबरों के मुताबिक बीजेपी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से कहा है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के लिए वो सीटें छोड़ेंगी, जिसपर वे पिछले चुनाव में जीते थे। उसके बाद जो सीटें बच जाएंगी, उनमें से आधी-आधी सीटों पर दोनों चुनाव लड़ेंगी। अगर, बीजेपी की इस योजना को अमलीजामा पहनाया गया तो शिवसेना के खाते में करीब 115 सीटें ही आएंगी, जिसके लिए वह हरगिज तैयार नहीं हो रही। शिवसेना की ओर से इस फॉर्मूले पर आपत्ति जताते हुए कहा जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने वादा किया था कि विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियां आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। जबकि, खबरें हैं की बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि शिवसेना के नेताओं को जमीनी परिस्थितियों को कबूल कर लेना चाहिए।
तालमेल की घोषणा में हो रही है देरी
गौरतलब है कि 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र विधानभा में 2014 के चुनावों में बीजेपी को 123 सीटें मिली थीं और शिवसेना सिर्फ 63 सीटें ही जीत पाई थी। सीटों पर तालमेल को लेकर दोनों दलों में किस तरह की रस्साकशी चल रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले हफ्ते ही उद्धव ठाकर ने कहा था कि दो दिनों में विधानसभा चुनावों को लेकर गठबंधन की ओर से सीटों की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन हफ्ते गुजर जाने के बाद भी यह ऐलान नहीं हो पा रहा है। बीजेपी के दावों के मुताबिक 2014 में शिवसेना 150 सीटों से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं हुई थी, इसलिए गठबंधन टूट गया था। पिछले शुक्रवार को उद्धव ने तंज भरे अंदाज में कहा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कहा है कि वे शिवसेना उम्मीदवारों की लिस्ट भी तैयार कर दें। जबकि, फडनवीस सिर्फ इतना कहकर टाल गए थे कि बातचीत चल रही है।
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अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी?
जानकारी के मुताबिक बदले हालातों में शिवसेना सीटों पर अपने दावों से थोड़ा पीछे हटने के लिए तैयार है और उसे बीजेपी से कम सीटों पर लड़ना भी मंजूर हो गया है। लेकिन, वह किसी भी सूरत में 135 सीटों से कम पर मानने के लिए राजी नहीं है। जबकि, बीजेपी की ओर से उसे 128 सीटों का ऑफर दिया गया है, जो उसे हरगिज मंजूर नहीं है। दरअसल, दोनों पार्टियों में टिकट की उम्मीद लगाकर एनसीपी और कांग्रेस के कई नेता शामिल भी हुए हैं, इसलिए स्थिति थोड़ी और मुश्किल हो गई है। कहा जा रहा है कि जितने भी दलबदल हुए हैं, वह चुनाव की योजनाओं के मुताबिक ही कराए गए हैं और इसलिए ऐसी आशंकाएं भी जताई जा रही हैं कि कहीं दोनों पार्टियां एक बार फिर से अकेले-अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी तो नहीं कर रही हैं?
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कम से कम 240 सीटें जीतेंगे- अठावले
भाजपा-शिवसेना में सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध के बीच रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) ने भी अपना पत्ता फेंक दिया है। पार्टी के मुखिया रामदेव अठावले ने कहा है कि उनकी पार्टी ने 10 सीटों की मांग की है और महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना और उनकी पार्टी का गठबंधन कम से कम 240 सीटों पर फतह करेगी।
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