राजस्थान की परंपरा तोड़ने के लिए शाह लेकर आए टिकट वितरण का नया फॉर्मूला
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अगर किसी राज्य में सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है तो वो है राजस्थान। राजस्थान में उसे कांग्रेस से सीधे चुनौती मिल रही है लेकिन फिर भी पार्टी वहां लगातार कड़ी मेहनत कर उस पुरानी परंपरा को तोड़ने की कोशिश में है जिसमें राज्य में हर पांच साल में सत्ताधारी पार्टी की सरकार बदल जाती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राज्य में चुनाव के प्रबंधन पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पार्टी ने अपनी अंदरूनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन समितियों का गठन भी किया है।
सूत्रों का कहना है कि ये तीनों समितियां स्थिति का आंकलन करने के लिए पूरे राज्य का दौरा करेंगी और एक रिपोर्ट तैयार करके राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को आगे की कार्रवाई के लिए सौंपी जाएगी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्य के भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना जयपुर डिवीजन की रिपोर्ट तैयार करेंगे। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्य के संगठन सचिव, चंद्रशेखर दक्षिण राजस्थान पर रिपोर्ट तैयार करेंगे जबकि सतीश पुनिया और राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव, वी सतीश पश्चिमी राजस्थान पर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
टिकट वितरण का आधार
पार्टी
के
सूत्र
बताते
हैं
कि
ये
तीन
टीमें
राज्य
के
दौरे
के
बाद
पार्टी
अध्यक्ष
अमित
शाह
को
अपनी
रिपोर्ट
जमा
करेगीं।
कहा
जा
रहा
है
कि
चुनाव
के
लिए
टिकट
वितरण
के
दौरान
इस
रिपोर्ट
की
मदद
ली
जाएगी।
केंद्रीय
कृषि
राज्य
मंत्री
और
राजस्थान
चुनाव
प्रबंधन
समिति
के
अध्यक्ष
गजेंद्र
सिंह
शेखावत
ने
कहा
है
कि
इस
टीम
का
गठन
बेहतर
समन्वय
के
लिए
किया
गया
है।
इससे
पार्टी
को
और
मजबूती
मिलेगी
और
पार्टी
कार्यकर्ताओं
में
भी
ये
उत्साह
भरने
का
काम
करेगी।
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बाद
इस
प्रदेश
में
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पार्टी
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पूजा
खन्ना
को
दी
अहम
जिम्मेदारी
बेहतर हुआ है समन्वय
सूत्रों का कहना कि अब पार्टी पहले के मुकाबले राजस्थान में ज्यादा समन्वय के साथ काम कर रही है। इसका नतीजा ये हो रहा है मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुकाबले राजस्थान में पार्टी के कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित हैं और जोश के साथ काम कर रहे हैं और पार्टी को सत्ता में वापसी की ज्यादा संभावना दिखने लगी है।
उम्मीद है बरकरार
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता याद दिलाते हुए कहते हैं कि पिछली बार जब बीजेपी कांग्रेस से हार गई थी तो ये कहा गया था कि अगर भाजपा के कार्यकर्ता घर न बैठे होते और चुनाव में पूरा काम किया होता तो पार्टी चुनाव जीत लेती। इसलिए इस बार बीजेपी कार्यकर्ता उस गलती को नहीं दोहराना चाहते। हालांकि जमीनी स्तर पर सभी सर्वेक्षण और लोग ये मान रहे हैं कि बीजेपी राजस्थान में वापसी नहीं कर पाएगी लेकिन फिर भी बीजेपी नतीजों को लेकर आशान्वित है।
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