लखनऊ में भाजपा-आरएसएस की समन्वय बैठक, शाह के सामने उठे सरकार पर सवाल
लखनऊ में भाजपा-आरएसएस की समन्वय बैठक, शाह के सामने उठे सरकार पर सवाल
लखनऊ। लखनऊ में भाजपा और आरएसएस की समन्वय बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कई मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ा। अमित शाह और भाजपा-संघ के नेताओं ने उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों के जायजा लिया, इस दौरान उनको अधिकारियों, यूपी सरकार और विधायक, सांसदों को शिकायत में भी खूब मिली।
बैठक में जिला और मंडल स्तर के विवाद भी उठे, जिसको लेकर असहज स्थिति भी पैदा हुई। संगठनों के पदाधिकारियों की तरफ से आरोप लगे कि सरकार में कई मंत्री और अफसर ऐसे हैं जो उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। वहीं अफसर भी उनकी नहीं सुनते। कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा, सड़कों पर चेकिंग के नाम पर पुलिस वसूली, थानों पर सुनवाई नहीं, सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार, गंगा की सफाई और कुंभ मेले को लेकर भी शिकायतें हुईं।
सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस कार्यकर्ताओं की ओर से ज्यादातकर शिकायतें आईं। आरएसएस कार्यकर्ताओं ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए तो विधायकों और सांसदों पर जनता से ना मिलने और आमजन के साथ खराब बर्ताव का मामला उठाया। संघ के पदाधिकारियों और अन्य कार्यकर्ताओं ने बैठक के दौरान कहा कि प्रदेश के 50 फीसदी सांसदों की क्षेत्र में छवि बेहद खराब है, इनको टिकट ना दिया जाए। बैठक में राममंदिर के बनाए जाने का मामला भी उठाया गया।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 29 अक्टूबर को बीजेपी संगठन के साथ योगी सरकार के मंत्रियों की बैठक तय की है। इस बैठक में मंत्री अपने काम काज का रिपोर्ट कार्ड रखेंगे और संघ की ओर से आए गए सुझावों व शिकायतों को हल करेंगे। लखनऊ के एक रिसॉर्ट पर कई घंटे तक ये बैठक चली। बैठक चार सत्रों में खत्म हुई। इसमें आरएसएस से जुड़े 37 संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया। शाह ने अपनी बाच रखते हुए कहा कि मोदी सरकार जिस तरह से काम कर रहीहै, वैसे कभी नहीं हुआ। देशहित में यही बेहतर होगा कि मोदी फर सत्ता में आएं।
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