तेलंगाना विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बागियों का सहारा, अमित शाह की रैली में होगा बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। हाल ही में तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा को भंग कर बड़ा दांव लगाया है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल अगली साल जून 2019 में खत्म होना था लेकिन उन्होंने अभी ही विधानसभा भंग कर दी। अब उम्मीद है कि इस साल के अंत तक तेलंगाना में चुनाव करा दिए जाएंगे। अभी के हाल को देखें तो राज्य में कोई भी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को टक्कर देती नजर नहीं आती है। बीजेपी ने हालांकि हाल ही में हुई अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेलंगाना पर विशेष जोर देने की बात कही है लेकिन फिर भी पार्टी को वहां अभी और ज्यादा मेहनत करनी होगी। बीजेपी ने वहां अपने संगठन का विस्तार किया है और हिंदुत्व कार्ड भी खेल रही है लेकिन अभी तक वो ऐसी स्थिति में नहीं पहुंच पाई है, जहां वो राज्य में टीआरएस को हराने की चुनौती पैदा कर सके। ऐसे हालात में बीजेपी वहां दूसरी पार्टियों के बागियों पर नजर टिकाए हुए है।
बन
रही
है
रणनीति
बीजेपी
के
वरिष्ठ
नेताओं
का
कहना
है
कि
पार्टी
अपनी
रणनीति
पर
काम
कर
रही
है
और
ज्यादातर
चीजें
महबूबनगर
में
पार्टी
अध्यक्ष
अमित
शाह
की
15
सितंबर
को
होने
वाली
रैली
में
उजागर
की
जाएंगी।
पार्टी
के
सूत्रों
ने
बताया
कि
अमित
शाह
की
इस
रैली
के
दौरान
हो
सकता
है
कि
दूसरी
पार्टियों
के
कुछ
लोग
बीजेपी
में
शामिल
हों।
कम
से
कम
इस
बार
के
विधानसभा
चुनाव
में
बीजेपी
के
पास
राज्य
में
कोई
जाना
पहचाना
चेहरा
नहीं
हैं।
पार्टी
को
इस
बार
दूसरी
पार्टी
से
बीजेपी
में
शामिल
होने
वाले
नेताओं
पर
ही
भरोसा
करना
होगा।
कई
नेताओं
से
है
संपर्क
हालांकि
पार्टी
नेताओं
ने
इस
बात
का
खुलासा
नहीं
किया
कि
अमित
शाह
की
इस
रैली
में
कौन
से
नेता
बीजेपी
में
शामिल
होंगे।
लेकिन
पार्टी
दूसरे
दलों
के
नेताओं
को
अपने
साथ
जोड़कर
अपना
आधार
बढ़ाने
की
कोशिश
में
है।
ऐसे
कुछ
नेता
बीजेपी
के
संपर्क
में
भी
हैं।
पार्टी
का
कहना
है
कि
उसने
अपने
संगठन
का
विस्तार
राज्य
के
दूरस्थ
इलाकों
में
भी
कर
दिया
है
और
अगर
इस
बार
नहीं
तो
आने
वाले
वक्त
में
जल्द
ही
बीजेपी
टीआरएस
को
सत्ता
से
बाहर
करने
की
स्थिति
में
होगी।
टीआरएस
को
अभी
टक्कर
नहीं
इस
वक्त
लग
रहा
है
कि
तेलंगाना
राष्ट्र
समिति
के
प्रमुख
और
राज्य
के
मुख्यमंत्री
के
चंद्रशेखर
राव
की
विधानसभा
को
भंग
करने
की
चाल
ने
दूसरे
सभी
दलों
को
चौंका
दिया
है।
क्योंकि
दूसरे
दल
अभी
राज्य
में
चुनवों
को
लेकर
तैयार
नहीं
थे।
कांग्रेस
अब
राज्य
में
कोई
बड़ी
ताकत
नहीं
है
और
टीडीपी
की
उपस्थिति
सिर्फ
हैदराबाद
और
कुछ
शहरों
के
आसपास
है
जबकि
AIMIM
का
मुस्लिम
बहुल
इलाकों
में
वर्चस्व
है
जबकि
बीजेपी
को
अभी
भी
राज्य
में
बहुत
कुछ
करने
की
जरूरत
है।
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