Naroda Gam Massacre: पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा कि अभी तक सारे बयान फर्जी साबित हुए
अहमदाबाद। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी के बचाव गवाह के रूप में पेश होने के लिए स्पेशल एसआईटी के समक्ष प्रस्तुत हुए। वो साल 2002 में नरोदा गाम दंगा मामले मेें यहां कोडनानी के पक्ष में गवाही दी । कोडनानी मुख्य आरोपी में से एक हैं। कोडनानी द्वारा दायर याचिका पर, विशेष एसआईटी न्यायाधीश पी. बी. देसाई ने शाह को 18 सितंबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि अगर शाह आज नहीं पहुंच सके तो अदालत दोबारा सम्मन जारी नहीं करेगा।
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12:17 PM- बचाव पक्ष के वकील ने कहा 57 लोगों की हुई गवाही, अब कोई और गवाह नहीं बचा है।
12:16 PM- पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा कि अभी तक सारे बयान फर्जी साबित हुए।
12:15 PM- अदालत ने कहा कि विधानसभा से माया बीच में कहां गई थी तो शाह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं।
12:15 PM- अदालत ने पूछा कि मायाबेन को कब देखा तो शाह ने देखा कि जब मैं लौट रहा था तब देखा था.सुबह 9.30 बजे मैं पहुंचा था।
12:13 PM- अदालत ने पूछा कि कार्यवाही कितनी देर चली, तो शाह जवाब दिया किया पक्का याद नहीं 15 या 20 मिनट चली थी।
11:26 AM- शाह की गवाही हुई खत्म।
11:19 AM- अमित शाह ने कोर्ट में कहा- कोडनानी दंगे के समय थी विधानसभा में
11:07:AM- कोर्ट में गवाही दे रहे हैं अमित शाह।
11:02 AM- कोर्ट पहुंचे अमित शाह
10:37AM- अपने घर से अदालत के लिए निकले शाह
कोडनानी के वकील अमित पटेल ने अमित शाह का आवासीय पता बतौर अहमदाबाद शहर के थल्टेज, अदालत के सामने पेश किया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें उसी पते पर सम्मन जारी किया। इससे पहले, कोडनानी उस पते को नहीं दे पाईं थीं, जिस पर शाह को सम्मन जारी किया जाना था। उनके वकील ने दो बार चार दिन के लिए समय मांगा था, ताकि वो शाह का पते के बारे में जानकारी पा सके और फिर उन्हें सम्मन जारी किया जा सके।
इसी अप्रैल में अदालत ने दी थी अनुमति
अदालत ने इसी साल अप्रैल में कोडनानी की याचिका को अनुमति दी थी कि शाह और कुछ अन्य लोगों को उनके गवाह के रूप में सम्मन जारी किया जा सके। बाद में सुनवाई में के दौरान अदालत ने कोडनानी से पूछा था कि क्या शाह को अपने गवाह के रूप में पेश करेंगे। कोडनानी ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अपने आवेदन में कहा कि घटना के दिन वह राज्य विधान सभा में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गई थीं। अपनी याचिका कोडनानी नेदावा किया कि शाह, जो उस समय विधायक थे, भी सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थे, जहां साबरमती ट्रेन में लगी आग के बाद 'कारसेवकों' का शव लाए गए थे।
कोडनानी ने कहा था कि शाह की गवाही उनकी बेगुनाही साबित करने में मदद करेगी। दो हफ्ते पहले, सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी अदालत से चार महीने के भीतर ट्रायल समाप्त करने के लिए कहा था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ को सूचित किया गया था कि यह मुकदमा चल रहा था और बचाव पक्ष के साक्ष्य एक विशेष अदालत ने दर्ज किए जा रहे थे। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा था कि शेष गवाहों के दो महीनों में बयान दर्ज किए जाएं।
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि अहमदाबाद में नरोदा गाम में नरसंहार, साल 2002 में हुए दंगों के 9 मुख्य मामलों में से एक है, जिसकी विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की थी। 2002 के दंगों में नरोदा गाम में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में कुल 82 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं। कोडनानी, जो तब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राज्य सरकार में मंत्री थीं, को पहले ही दोषी ठहराया गया था और नरोदा पाटिया में दंगों के मामले में 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 97 लोग मारे गए थे।