हर बूथ पर किस जात के कितने वोटर, भाजपा ने जल्द से जल्द सूची तैयार करने को कहा
नई दिल्ली। देश के राजनीतिक दल लाख दावा कर लें की वो जात की राजनीति को महत्वपूर्ण नहीं मानते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि इस देश में जात बिरादरी और धर्म के नाम पर ही सबसे ज्याद राजनीति होती है। किस इलाके में कौन सी जाति का समीकरण क्या है चुनाव में सबसे ज्यदा इस बात को ही राजनीतिक दल ध्यान में रखते हैं और इसी के गुणा भाग के हिसाब से टिकटों का भी बंटवारा होता है। इस अंक गणित से कोई राजनीतिक दल अछूता नहीं है। सभ्य भाषा में इसे हमारे राजनीतिक दल 'सोशल इंजीनियरिंग' का नाम देते हैं लेकिन ये राजनीति हमारे देश में असल मुद्दों की राजनीति को भाटका रही है। 2019 का लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सभी दल अलग-अलग समीकरणों को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बड़े नेता मंदिर मस्जिद में सजदे कर रहे हैं तो वहीं निचले स्तर पर जात बिरादरी का भी गुणा भाग चल रहा है। बीजेपी पहले से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रेदेश में मंदिरों, मठों, महंत और पुजारियों के आंकड़े जुटाने में लगी है तो वहीं अब उसने बूथ स्तर पर विभिन्न जातियों के मतदाताओं का डेटा भी इकट्ठा करने के लिए कहा है।
बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को एक फॉर्म जारी किया है जिसके जरिए पार्टी ने ये जानकारी इकट्ठा करने को कहा है कि किस बूथ पर किस जाति के कितने मतदाता हैं। पार्टी इस जानकारी को जल्द से जल्द एकत्र करना चाहती है ताकि वो इस हिसाब से अगली रणनीति तैयार कर सके।
हर बूथ का होगा डेटा
इस
फॉर्म
के
जरिए
पार्टी
ने
देश
भर
के
चुनावी
बूथों
से
जानकारी
मांगी
है।
हर
बूथ
पर
सामाजिक
समीकरण
के
बारे
में
डेटा
हासिल
करना
होगा।
पार्टी
हर
बूथ
से
हर
जाति
के
बारे
में
डेटा
चाहती
है
जिसमें
उस
जाति
का
नाम
और
उस
विशेष
जाति
के
वोटों
की
कुल
संख्या
तक
शामिल
होगी।
पार्टी
के
सूत्रों
का
कहना
है
कि
बूथ
समितियों
ने
अपने
कार्यकर्ताओं
को
इन
आंकड़ों
को
इकट्ठा
करने
को
कह
दिया
है
और
इसके
बाद
इन्हें
पार्टी
के
प्रदेश
कार्यालय
में
भेजा
जाएगा।
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डेटा से बनेगी रणनीति
सूत्रों ने कहा कि इस डेटा के आधार पर ये निर्णय भी लिया जा सकेगा की किन चुनिंदा क्षेत्रों में कौन चुनाव प्राचार करेगा। हालांकि टिकटों के बंटवारे के बार में कहा जा रहा है कि इसमें कई और फैक्टर देखे जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि एक बार जब इन आंकड़ों को एकत्रित कर लिया जाएगा उसके बाद विश्लेषण होगा और पार्टी कार्यकर्ता इन मतदाताओं से संपर्क करेंगे। उत्तर प्रदेश में 1.60 लाख बूथ हैं और इसी तरह अन्य राज्य में भी राज्य के आकार के अनुसार बूथों की संख्या हैं। इसलिए हर राज्य इस तरह से डेटा तैयार करेगा जिससे कार्यकर्ता परिचित लोगों के जरिए लोगों से संपर्क कर सकें।
बनेंगे नए सदस्य
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इससे पार्टी को नई रणनीति बनाने में मदद मिलेगी क्योंकि इस वक्त अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम पारित होने के बाद जाति समीकरण जबरदस्त तरीके से बदलते दिख रहे हैं। पार्टी ने हर बूथ पर अन्य पिछड़ा वर्ग और एससी / एसटी के 10 नए सदस्य बनाने के लिए भी कहा है। पार्टी अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भी बूथ स्तर पर काम करने की रणनीति पर काम कर रही है।
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