बीजेपी हारी नहीं, विरोधी जीते, कितना सच है अमित शाह का ये दावा?
नई दिल्ली। अमित शाह ने कहा है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी हारी नहीं है, उसके विरोधी जीते हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तीन राज्यों के हाथ से निकल जाने पर ये सफाई दे रहे हैं। अपने कार्यकर्ताओं को मनोबल ऊंचा रखने की सलाह दे रहे हैं और ऐसा आभास कराने की कोशिश कर रहे हैं मानो कोई हार हुई ही नहीं। सवाल ये है कि क्या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सही कह रहे हैं? या फिर अपने कार्यकर्ताओं को झूठी दिलासा दे रहे हैं?
क्या
हैं
बीजेपी
के
तर्क?
बीजेपी
के
लिए
सबसे
मजबूत
तथ्य
है
कि
मध्यप्रदेश
में
उसे
कांग्रेस
से
ज्यादा
वोट
मिले
हैं।
मगर,
सीट
ज्यादा
नहीं
मिली।
बीजेपी
और
कांग्रेस
के
बीच
वोटों
का
फर्क
शून्य
दशमलव
एक
है।
इसी
0.1
फीसदी
वोट
से
ऊर्जा
पाते
दिख
रहे
हैं
बीजेपी
अध्यक्ष
अमित
शाह।
दूसरा
तर्क
है
नोटा।
कहा
जा
रहा
है
कि
नोटा
की
वजह
से
नजदीकी
मुकाबले
पर
फर्क
पड़ा।
करीब
20
से
22
सीटें
बीजेपी
जीत
सकती
थी।
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हार को जीत समझने में ये हैं बीजेपी कार्यकर्ताओं की मुश्किलें
बीजेपी
अध्यक्ष
भले
ही
हार
को
जीत
समझने
का
संदेश
दे
रहे
हों
लेकिन
बीजेपी
कार्यकर्ताओं
कुछ
बातें
खुद
को
समझाना
बहुत
मुश्किल
होगा-
·
बीजेपी
को
मध्यप्रदेश
में
56
सीटों
का
नुकसान
हुआ
·
8.5
फीसदी
वोटों
की
बढ़त
घटकर
0.1
फीसदी
हो
गयी
·
बीजेपी
का
अपना
वोट
3.88
फीसदी
गिर
गया
मध्यप्रदेश
में
56
सीटों
का
नुकसान
कैसे
भूलें
बीजेपी
कार्यकर्ता
मध्यप्रदेश
में
बीजेपी
को
2013
के
विधानसभा
चुनाव
में
230
सीटों
में
से
165
सीटें
मिली
थीं।
2018
में
बीजेपी
की
टैली
रह
गयी
है
109.
यानी
सीधे
तौर
पर
56
सीटों
का
नुकसान।
56
सीटों
के
नुकसान
को
0.1
फीसदी
वोट
से
आगे
रहने
और
नोटा
की
वजह
से
नुकसान
होने
के
तौर
पर
देखने
की
हिम्मत
बीजेपी
कर
रही
है,
यह
2019
का
चुनाव
परिणाम
बताएगा
कि
दुस्साहस
है
या
साहस।
बीजेपी की बढ़त भी घटी, वोट भी घटे
अब देखें कि 0.1 फीसदी वोटों से आगे रहने के तर्क से बीजेपी को ऊर्जा मिल पाएगी या नहीं। पहली बात ये है कि बीजेपी की बढ़त घट गयी और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उसे मिले वोटों के प्रतिशत में भारी गिरावट आयी। बीजेपी के कार्यकर्ता यह बात कैसे भुला दें कि विगत विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44.88 फीसदी वोट मिले थे और उसमें 3.88 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ताजा विधानसभा चुनाव में पार्टी को महज 41 फीसदी वोट मिले हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस पर 8.5 फीसदी वोटों की बढ़त थी। यानी वोटों की बढ़त गिरकर महज 0.1 फीसदी रह गयी।
नोटा
पर
हार
का
ठीकरा
फोड़ना
भी
सही
नहीं
नोटा
पर
गौर
करें
तो
मध्यप्रदेश
में
नोटा
के
तहत
1.4
फीसदी
वोट
पड़े।
इससे
ज्यादा
नोटा
के
वोट
छत्तीसगढ़
में
पड़े,
जहां
2
फीसदी
नोटा
के
वोट
दर्ज
किए
गये
हैं।
राजस्थान
में
जहां
सबसे
ज्यादा
एन्टी
इनकम्बेन्सी
की
चर्चा
रही,
वहां
भी
नोटा
का
प्रतिशत
1.3
रहा।
यह
बात
समझ
से
परे
है
कि
जब
छत्तीसगढ़
और
राजस्थान
में
नोटा
की
वजह
से
हार
नहीं
हुई,
तो
मध्यप्रदेश
के
संबंध
में
ऐसा
कैसे
कहा
जा
सकता
है।
नजदीकी
मुकाबलों
में
बीजेपी
की
हार
एक
सच्चाई
जरूर
है,
लेकिन
नजदीकी
मुकाबलों
में
बीजेपी
की
जीत
भी
विगत
चुनाव
में
हुई
थी-
यह
भी
सच
है।
जब
परिवर्तन
की
हवा
चलती
है
तो
नजदीकी
मुकाबलों
का
रुख
बदलाव
के
साथ
ही
होता
है।
नोटा
का
तर्क
गले
नहीं
उतरता।
छत्तीसगढ़ में शर्मनाक प्रदर्शन को कैसे भुला सकेगी बीजेपी
छत्तीसगढ़ के संबंध में अगर अमित शाह के बयान को देखें तो यहां बीजेपी की हार नहीं हुई और कांग्रेस की जीत हुई, ये बिल्कुल अटपटा लगता है। सीटें भी घटीं, वोटों का प्रतिशत भी जबरदस्त तरीके से गिरा। अगर फिर भी ये हार नहीं है तो लगता है बीजेपी अध्यक्ष 2019 में और बड़ी हार का इंतज़ार कर रहे हैं। 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में बीजेपी को महज 15 सीटें मिली हैं। विधानसभा की ताकत का छठा हिस्सा। क्या इससे भी शर्मनाक प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी? पिछले चुनाव में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 49 सीटें जीती थीं। 34 सीटों का भारी नुकसान पार्टी को हुआ है। ज़बरदस्त हार है यह। मगर बीजेपी कह रही है कि यह विरोधी दलों की जीत है। बहुत खूब! वोटों के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 2018 में बीजेपी को छत्तीसगढ़ में 33 प्रतिशत वोट मिले हैं। यह 2013 में बीजेपी को मिले 40.29 फीसदी वोटों के मुकाबले स्पष्ट रूप से 7.29 फीसदी कम है। वोट प्रतिशत के रूप में यह भारी गिरावट है। बीजेपी का शायद ही कोई कार्यकर्ता इसे अपनी जीत के रूप में देख पाए। एक बार फिर अमित शाह के साहस या कहें कि दुस्साहस की दाद देनी होगी।
राजस्थान में 90 सीटों की हार भी छोटी है!
राजस्थान में बीजेपी ने राजस्थान 73 सीटें हासिल की हैं। पिछले चुनाव की अगर बात करें तो 2013 में बीजेपी को 163 सीटें मिली थीं। कहने का मतलब ये है कि बीजेपी को 90 सीटों का नुकसान हुआ है। यह नुकसान जितनी सीटें बीजेपी को मिली हैं उससे भी बड़ा है। आंकड़े दोहराएं तो सीट मिली 73, नुकसान हुआ 90 सीटों का। 2013 में बीजेपी को 45.17 फीसदी वोट मिले थे। मगर, ताजा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें, तो बीजेपी को 38.8 फीसदी वोट मिले हैं। यानी राजस्थान में 6.37 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ। अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ही बता सकते हैं कि राजस्थान में बीजेपी के इस प्रदर्शन को उनके कार्यकर्ता अपनी जीत के रूप में कैसे लें।
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